ये जांबाज कुत्ते: जिनको मार दी जाती है गोली, मिलता है शहीद का दर्जा
हमारे देश के जवानों को सबसे ज्यादा महत्त्व दी जाती है। देश में जब सारे देशवासी चैन की नींद सोते हैं तो हमारे वीर जवान बॉर्डर पर देश की रक्षा करते हैं।
नई दिल्ली: हमारे देश के जवानों को सबसे ज्यादा महत्त्व दी जाती है। देश में जब सारे देशवासी चैन की नींद सोते हैं तो हमारे वीर जवान बॉर्डर पर देश की रक्षा करते हैं। हमारे जवान हमेशा देश के प्रति आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार रहते हैं। डिस्प पर कोई भी मुश्किल आए वो सोचतें कैसे कर के वो उसे अपने उपर ले लें। लेकिन हमारी आर्मी का सबसे ज़रूरी हिस्सा एक और है। जिसे शायद सब जानते होंगे। जी हां हम बात कर रहे हैं आर्मी डॉग्स की। जैसे किसी देश के लिए आर्मी के जवान जरुरी हैं वैसे ही आर्मी डॉग्स भी जरुरी होतें हैं। इनका भी देश के प्रति काफी योगदान रहता है।
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इन डॉग्स को प्रॉपर ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वो देश की हेल्प कर सकें। इन्हें काफी अच्छी और हेल्दी लाइफस्टाइल दी जाती है। इनको एक आर्मी जवान की तरह ही पूरी सैलरी दी जाती है। आज दुनिया भर की लगभग हर सेना में कुत्ते अपनी सेवाएं दे रहे है। भारतीय सेना ने 1959 में पहली बार कुत्तों को सेना में शामिल करना शुरू किया है। सेना के कुत्तों को बहुत बार उनकी बहादुरी के लिए उन्हें कई पुरस्कार दिया गया।
भारतीय सेना में शामिल कुत्तों को विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए अत्यधिक प्रशिक्षित किया जाता है। जब वे पैदल सेना गश्त इकाइयों का हिस्सा होते हैं तो बम और इत्यादि चीजों का पता लगाते हैं। इनका उपयोग उन महत्वपूर्ण स्थानों की रक्षा के लिए भी किया जाता है।
रिटायर होने के बाद मौत के घाट उतार दिया जाता है
लेकिन क्या आपको पता है कि भारतीय सेना में कुत्तों को कुछ साल सेवा करने के बाद रिटायर कर दिया जाता है या जब वे काम करने लायक नहीं रहते है तो उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता है।
सेना द्वारा ये कदम सुरक्षा कारणों से उठाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि अगर रिटायर कुत्ता किसी आतंकवादी या दुश्मन के हाथ लगा तो देश की सुरक्षा से खतरा हो सकता है क्योंकि इनके पास सभी ज़रूरी और अत्यधिक गोपनीय स्थानों खासकर सीमा जहां सेना संचालित होती है आदि की जानकारी होती है। इनको सभी रास्ते आसानी से याद होते है। यही वजह है कि सेना में 8-9 साल तक अपनी सेवाएं देने के बाद उन्हें रिटायर कर दिया जाता है और उसके बाद उन्हें मार दिया जाता है।
मारने की है ये खास वजह
इसकी खास वजह ये है कि सेना ने पाया है कि रिटायर कुत्तों की देखभाल करने वाले कई संगठन और गैर सरकारी संगठन अपना काम ठीक से नहीं कर रहे थे। यहां पर कुत्तों को कई बार जांच के दौरान बुरी स्थिति में पाया गया और सेना अपने इन सैनिकों को इस तरह की स्थिति में नहीं देखना चाहती थी इसलिए उन्हें ये कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा।
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हालांकि, जानवरों के अधिकार के लिए काम करने वाले समूहों के अनुरोध पर सरकार के करने के बाद रिटायर कुत्तों को मारने का यह काम अब बंद कर दिया गया है। अब सेना खुद इन रिटायर कुत्तों की देखभाल करती है। अब सेना ने मेरठ में रिटायर कुत्तों को रखने के लिए एक स्थान बनाया है जहां पर इनकी देखभाल की जाती है। इसके अलावा आप पूरी प्रक्रिया के बाद इन्हें अडॉप्ट भी कर सकते है।
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