रामलला से भागवत का प्रेम: कई पीढ़ियों से ये काम कर रहा परिवार, देख उड़ जाएंगे होश
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की तैयारियां जोरों पर है। 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान राम की जन्मभूमि पर उनके भव्य मंदिर का शिलान्यास करेंगे।
नाथ बख्स सिंह
अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की तैयारियां जोरों पर है। 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान राम की जन्मभूमि पर उनके भव्य मंदिर का शिलान्यास करेंगे।
इस खास मौके पर भगवान राम के बाल स्वरूप रामलला और उनके तीन भाई, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न सहित हनुमान जी को भी नई पोशाक पहनाई जाएगी। भूमि पूजन के दिन रामलला नवरत्न जड़ित पोशाक पहनेंगे। इस पोशाक की सिलाई का काम तेजी से चल रहा है।
कई पीढ़ियों से रामलला के वस्त्रों की सिलाई करने वाले टेलर भागवत प्रसाद और शंकर लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री बहुत ही शुभ दिन अयोध्या आ रहे हैं। टेलर भागवत प्रसाद कहते हैं कि यह दिन इतने लंबे इंतजार के बाद आया है। हमारे जन्म से पहले ही मंदिर के लिए संघर्ष शुरू हो गया था। पांच अगस्त को भगवान राम हरे रंग के मखमली वस्त्र पहनेंगे जिस पर लाल और पीले रंग का बॉर्डर होगा। टेलर भागवत प्रसाद और शंकर लाल भाई हैं।
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प्रमोद वन बड़ी कुटिया में बाबू लाल टेलर्स के नाम से शंकर लाल की दुकान है। शंकर लाल का परिवार चार पीढ़ियों से रामलला के लिए वस्त्र की सिलाई करता आ रहा है। उन्होंने और उनके परिवार ने वह दौर भी देखा है जब रामलला ताला बंद मंदिर में थे। लंबे संघर्ष के बाद ताला खुला तो भगवान टाट में पहुंचे।
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भूमि पूजन के दिन हरे रंग का वस्त्र पहनेंगे रामलला
रामलला को हर दिन अलग-अलग रंग के वस्त्र पहनाए जाते हैं। रामलला को सोमवार के दिन सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को क्रीम, शनिवार को नीला और रविवार को गुलाबी रंग के वस्त्र धारण कराए जाते हैं। पांच अगस्त को बुधवार का दिन पड़ रहा है। ऐसे में रामलला को हरे रंग के वस्त्र पहनाए जाएंगे।
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पंडित कल्किराम द्वारा तैयार कराए जा रहे वस्त्र
रामादल के अध्यक्ष पंडित कल्किराम द्वारा ये वस्त्र तैयार कराए जा रहे हैं। जिसे वे रामजन्मभूमि के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को सौंपेंगे। विवादित ढांचा के विध्वंस के बाद विवादित जगह के पास विराजमान रामलला जिस टेंट में थे जिसमें पिछले 26 साल में सिर्फ दो बार रामलला का वस्त्र बदला गया है। यहां सुबह-शाम उनकी आरती होती है, भोग लगता है और शृंगार होता है, लेकिन सालभर में सिर्फ एक ही बार उनके वस्त्र सिलवाए जाते हैं।
सात वस्त्रों के दो सेट अलग-अलग रंगों के होते हैं। हर एक रंग के वस्त्र, दुपट्टा, बिछौना और पर्दे का सेट 11 मीटर कपड़े से तैयार किया जाता है। अगर किसी वजह से वस्त्र फट जाएं तो इन्हें बदलने और उसका खर्च उठाने के लिए भी कमिश्नर से अनुमति लेनी पड़ती थी।
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रामनवमी के अवसर पर हर साल रामलला के लिए दिनों के मुताबिक 7 वस्त्रों के दो सेट तैयार कराए जाते हैं। रामनवमी में 9 दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना होती है और भोग चढ़ता है। इन सभी कार्यों के लिए 52 हजार रुपए का सालाना फंड अतिरिक्त मिलता था। इसमें 3600 रुपए तो वस्त्रों की सिर्फ सिलवाई पर खर्च होते हैं। इसके कपड़े पर खर्च ऊपर से होता है। जितना धन रामनवमी के नाम पर मिलता है, उसी में ही राम जन्मोत्सव की व्यवस्था की जाती है। दीपावली जैसे त्योहारों पर रामलला को पीले वस्त्र ही पहनाए जाते हैं। जिस दिन जिस रंग का वस्त्र होता है, उसी रंग का रामलला का बिछौना और पर्दा भी होता है।
देवताओं के प्रिय रंग और दिन के हिसाब से सिलवाए जाते हैं रामलला के वस्त्र
सोमवार : सफेद (चंद्र देव)
मंगलवार : लाल (हनुमान जी)
बुधवार : हरा (गणेशजी)
गुरुवार : पीतांबर (श्रीहरि)
शुक्रवार : गुलाबी या गहरा लाल (आदि शक्ति)
शनिवार : नीला (शनि देव)
रविवार : नारंगी (सूर्य देव)
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