कोरोना इफेक्ट : पुतले ले रहे इन्सानों की जगह

कोई भी किसी खाली रेस्तरां में जाना पसंद नहीं करता जहां चारों ओर सिर्फ खाली टेबलें हों। कोरोना से पहले के युग में अगर आप किसी खाली रेस्तरां में जाते तो यही ख्याल आता कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है?

Update:2020-05-23 10:36 IST

नई दिल्ली: कोई भी किसी खाली रेस्तरां में जाना पसंद नहीं करता जहां चारों ओर सिर्फ खाली टेबलें हों। कोरोना से पहले के युग में अगर आप किसी खाली रेस्तरां में जाते तो यही ख्याल आता कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है?

लेकिन कोरोना युग में सन्नाटा और खालीपन चारों ओर पसर गया है। लोग दूर दूर हैं। भले ही दुनिया में तमाम जगह लॉकडाउन खोल दिया गया हो लेकिन लोगों के एक जगह एकत्र होने की संख्या सीमित कर दी गई है। लोग खुद भी कहीं जाने से डर रहे हैं। रेस्तरां हों या सैलून सभी जगहों पर लोगों की कमी डर और अवसाद पैदा कर सकती है। इसलिए लोगों की जगह पुतले या कट आउट रखने का सिलसिला चल पड़ा है।

 

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रेस्तरां वालों को अब लोगों को दूर दूर बैठाने की मजबूरी है। ऐसे में लोगों को आसपास भीड़ होने का एहसास कराने के लिए पुतलों की मदद ली जा रही है। अमेरिका में कई रेस्तरां खाली टेबल्स पर पुतले बैठाने की योजना बना रहे हैं। कई ने तो इसे लागू भी कर दिया है। वाशिंगटन के एक एक रेस्तरां में पुतलों को सूट, शादी की ड्रेस, जींस आदि अलग अलग ड्रेस में सजा कर अलग अलग टेबल्स पर बैठा दिया गया है ताकि किसी ‘सजीव’ ग्राहक को अकेलापन न लगे। वैसे ये नजारा मैडम तुसाद के म्यूजियम जैसा ही नजर आता है।

सिडनी, आस्ट्रेलिया के रेस्तरां में अधिकतम ग्राहकों की संख्या 10 तय की गई है। ऐसे में खालीपन को दूर करने के लिए कट आउट का सहारा लिया जा रहा है। इसके साथ रेस्तरां में लोगों की बातचीत और प्लेट चम्मच आदि आवाजों का टेप भी धीमे धीमे बजाया जाता है ताकि लगे कि काफी लोग वहाँ बैठे हुये हैं। रेस्तरां मालिकों ने नए इंतज़ामों के वीडियो पोस्ट किए हैं ताकि लोग उन पर कमेन्ट कर सकें।

अमेरिका, चीन, आस्ट्रेलिया आदि सभी देशों में डिजिटल मेनू, रोबोटिक वेटर, औटोमेटिक चेक इन आदि सुविधाएं भी लागू की गईं हैं ताकि ग्राहकों और स्टाफ के बीच न्यूनतम संपर्क रहे। पेमेंट भी सिर्फ डिजिटली लिए जा रहे हैं। चीन में तो आपके खाने के ऑर्डर को सर्व करते समय कुक के शरीर का टेम्परेचर भी आपको बताया जाता है ताकि किसी के मन में कोई संदेह न रहे।

 

खेल के मैदान में भी पुतले

पुतलों और कटआउट का सहारा सिर्फ रेस्तरां में ही नहीं बल्कि खेल के मैदानों में भी लिया जा रहा है। खिलाड़ियों को दर्शकों की कमी न खले इसके लिए स्टेडियम के स्टैंड्स में इन्सानों के कट आउट रखे जा रहे हैं।

ताइवान और कोरिया में बेसबाल स्टेडियम में कार्ड बोर्ड से बने कट आउट सीटों पर रखे गए। इन कट आउट दर्शकों के हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियाँ भी चिपकाई गई हैं।

यूनाइटेड किंगडम में टॉप फुटबाल लीग के अधिकारी मैचों के दौरान भीड़ की आवाजें और शोर के टेप बजाने पर विचार कर रहे हैं।

फ्रांस के एक लोकप्रिय कराओके शो में लाइव दर्शकों की जगह बलून में चेहरे की आकृति बना कर रखा गया।

कई जगह कपड़े की दुकानों वाले पुतले (मैनीक्वीन) इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

सो, ऐसे में अगर आप अगली बार अपने दफ्तर या किसी दुकान में जाएँ तो इन्सानों की जगह कट आउट या पुतले देख कर डर मत जायेगा।

जर्मनी में कुछ दिन पहले प्रोफेशनल फुटबाल फिर से शुरू हुआ। मैच में सख्त सावधानी बरती गई। खाली स्टेडियम में खिलाड़ियों ने मैच खेला। हाँ, दर्शकों के कार्डबोर्ड कटआउट जरूर रखे गए थे। करीब 12 हजार दर्शकों ने अपने ये कटआउट खरीद कर वहाँ रखवाए थे। हर कट आउट की कीमत करीब 21 डालर पड़ी थी।

 

 

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डिलीवरी मशीनों का जमाना

अमेरिका और यूरोप में सामानों की डिलिवरी मशीनों द्वारा की जाने लगी है। इसके लिए ड्रोन और रोबोट को लगाया गया है। बड़ी कंपनियाँ स्वचालित कारों की बजाय स्वचालित डिलिवरी मशीनों में ज्यादा निवेश की होड़ में जुट गई हैं। सेल्फ ड्राइविंग टेक्नोलोजी कंपनी वेमो के सीईओ जॉन क्रफ़्सिक का कहना है कि आज लोगों को ले जाने वाली गाड़ियों से ज्यादा बड़ा बाजार सामानों की डिलिवरी का है। वेमो कंपनी गूगल की सहयोगी कंपनी है और इसका प्रमुख बिजनेस स्वचालित टैक्सी का रहा है। ये कंपनी स्वचालित ट्रक और अन्य डिलिवरी वाहन भी डेवलप कर रही है। ऐसी वाहनों की कितनी मांग ये इसी से पता चलता है कि इसी महीने वेमो को 3 बिलियन डालर की फंडिंग मिली है। वैसे स्वचालित डिलवरी मशीनों के मांग अस्पतालों में भी बहुत तेजी से बढ़ी है और इस दिशा में नए नए इनोवेशन हो रहे हैं। भारत में ही बंगलोर से लेकर पुणे तक कई स्टार्टअप कंपनियों ने तरह तरह की मशीनें बना डाली हैं जिनका प्रयोग भी सफलतापूर्वक किया जा रहा है।

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