अजी जनाब! अब चाट, चटनी की प्लेट मत चाटिए, इसे पूरा खाने को हो जाइए तैयार

एडिबल कटलेरी बाजार में प्लास्टिक के विकल्प के रूप में मौजूद बगास (गन्ने की खोई) व एरिका पाम से बनी कटलरी के मुकाबले यह न केवल बेहद सस्ती है बल्कि इसे बनाना भी बेहद आसान है। बगैर किसी भारी-भरकम लागत के बहुत थोड़ी सी रकम से तैयार किया जा सकता है।

Update:2020-08-13 18:26 IST

लखनऊ। प्लास्टिक के खतरों से हम सभी लोग वाकिफ हैं। सरकार ने कुछ तरह की प्लास्टिक प्रतिबंधित भी की है लेकिन बावजूद आम आदमी आम कारोबारी उसे अपनी जिंदगी से नहीं निकाल पा रहा है। और प्रतिबंधों के बावजूद प्लास्टिक का उपयोग बदस्तूर जारी है। वास्तव में अगर हमें प्लास्टिक का विकल्प देना है तो उसी तरह का सस्ता विकल्प देना होगा साथ ही ये ध्यान भी रखना होगा कि प्लास्टिक का वेस्ट जिस तरह मानव जीवन और हमारे पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है उस तरह से उसका विकल्प तो कम से कम न बने।

हम प्लास्टिक के नुकसान जानते हुए भी घरेलू फंक्शन या शादी ब्याह के मौके पर प्लास्टिक डिस्पोजेबल थालियां, कटोरियां चम्मच, गिलास कप का इस्तेमाल कर रहे हैं। अभी हाल में एक खबर आई थी कि एनबीआरआई के विज्ञानियों ने ऐसी डिस्पोजेबिल कटलरी तैयार की है जिसे खाया भी जा सकता है।

छोड़ दी नौकरी

ये पढ़ते हुए मुझे ध्यान आया कि कुछ समय पहले दो महिलाओं ने आईबीएम की नौकरी छोड़ दी थी ताकि वह पर्यावरण और मानव जीवन को बचाने के लिए कुछ कर सकें। इन महिलाओं के नाम शैला गुरुदत्त और लक्ष्मी भीमकर थे। इनके द्वारा स्थापित स्टार्टअप, सस्ती दरों पर डिजाइन, स्वाद, रंग और बनावट के मामले में 80 से अधिक प्रकार की खाने योग्य कटलरी प्रदान करता है।

ये इन महिलाओं का पर्यावरण के प्रति एक साझा जुनून था जिसके चलते इन पूर्व आईबीएम कर्मचारियों, शैला और लक्ष्मी ने नौकरी छोड़ दी और 2018 में उद्यम शुरू किया। शैला और लक्ष्मी का कहना है, “हम सभी पर्यावरण और नदियों तालाबों को एकल-उपयोग प्लास्टिक कटलरी आइटम से होने वाले नुकसान से अवगत हैं।

प्लास्टिक सैकड़ों वर्षों तक रहता है जो आपके स्वास्थ्य को एक से अधिक तरीकों से प्रभावित कर सकता है। एक पर्यावरण-जागरूक व्यक्ति होने के नाते, वह हमेशा से खाद्य उद्योग में पर्यावरण-अनुकूल विकल्प पेश करना चाहती थीं। EdiblePRO प्लास्टिक के उपयोग को कम करने का हमारा तरीका है।

सपना हकीकत बना

शैला और लक्ष्मी का सपना हकीकत में बदला बेंगलुरु-आधारित स्टार्टअप, am गजमुख फूड्स ’ से। वे ब्रांड नाम, एडिबलप्रो के तहत पर्यावरण के अनुकूल, शून्य-अपशिष्ट खाद्य कटलरी का निर्माण करती हैं।

शुरुआत से पहले इन दोनो ने अपने विचार को मूर्त रूप देने के लिए अनुसंधान और विकास पर लगभग एक वर्ष बिताया। इन्हें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) - DFRL द्वारा निर्देशन और समर्थन मिला।

बचपन में हम सभी ने अपने हलवे की प्लेट, खीर की कटोरी, आइसक्रीम लगे चम्मच और यहां तक ​​कि चाट की प्लेटों तक को चाटा है। हालांकि चाटने खराब शिष्टाचार माने जाने के कारण डांट भी खाई है, फटकार लगाई गई है।

बेहतर विकल्प

इस दिशा में साइंस का आगे बढ़ना निसंदेह अच्छा संकेत है। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) के वैज्ञानिकों ने डिस्पोजेबिल कटलरी का ऐसा विकल्प तैयार किया है जिसे खाया जा सकता है। यानी यदि आप सूप पी कर उसका चम्मच, बाउल खा भी सकते हैं। इसे ऐसी वनस्पति से तैयार किया गया है जिसे हम भोजन के रूप में प्रयोग में लाते हैं।

जैसा कि दावा किया गया है बाजार में प्लास्टिक के विकल्प के रूप में मौजूद बगास (गन्ने की खोई) व एरिका पाम से बनी कटलरी के मुकाबले यह न केवल बेहद सस्ती है बल्कि इसे बनाना भी बेहद आसान है। बगैर किसी भारी-भरकम लागत के बहुत थोड़ी सी रकम से तैयार किया जा सकता है।

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वास्तव में यह आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में अहम कदम है। महिला सशक्तिकरण को भी इससे जोड़कर देखा जा सकता है। महिलाएं बेहद मामूली रकम से घर बैठे स्वरोजगार के रूप में इसे अपनाकर आत्मनिर्भर बन सकती हैं।

इसे भी खा जाइए

एनबीआरआइ के फाइटोकेमेस्ट्री विभाग की डॉ.मंजूषा श्रीवास्तव इसकी पुष्टि करती हैं कि कटलरी को तैयार करने के लिए जिस कच्चे माल का प्रयोग किया गया है उसे भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इसीलिए इसे 'एडिबल कटलरी' कहा गया है। उन्होंने बताया कि इसके कई तरह के प्रयोग संभव हैं।

इंडस्ट्री अपने हिसाब से इसे तैयार करवा सकती है। आइसक्रीम इंडस्ट्री सॉफ्टी कोन या अन्य तरह से इसका प्रयोग कर सकती है। वहीं मिठाई पैकिंग के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। पानी की बोतल के रूप में भी इसे छह-सात घंटे स्टोरेज के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। वही तेल को 20 से 21 दिन तक इसमें सुरक्षित रखा जा सकता है।

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