किसान आंदोलनः अक्टूबर तक धार देने के लिए टिकैत बंधुओं पर है नजर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुए दंगों के दौरान जाट और मुस्लिम बंट गए थे। इसमें टिकैत बंधुओं पर आरोप लगे थे। हालांकि बाद में इन लोगों ने माफी मांग ली थी लेकिन दिलों के जख्म नहीं भरे।

Update: 2021-02-11 12:45 GMT
किसान आंदोलन अक्टूबर तक धार देने के लिए टिकैत बंधुओं पर है नजर

रामकृष्ण वाजपेयी

एक सवाल क्या अक्टूबर तक चल पाएगा किसान आंदोलन। किसान नेताओं का यह दावा हवा हवाई है या इसमें दम है। ये सवाल सरकार को जितना परेशान कर रहा है उतना ही उन लोगों को भी जो शहरी पृष्ठभूमि के हैं जिन्हें नहीं पता कि गांव, पंचायत, खाप आदि में सामाजिक समीकरण कैसे होते हैं। इसलिए सबसे बड़ा सवाल यही है कि किसान कैसे अपने आंदोलन डेडलॉक की स्थिति में आगे चला पाएंगे। जबकि सरकारी स्तर पर आंदोलन को तोड़ने, खत्म कराने, आंदोलन को मिलने वाली आर्थिक मदद को बंद कराने की कोशिशें लगातार जारी हैं।

किसानों का आंदोलन कैसे और कब तक चलेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद अब यह स्पष्ट हो चुका है कि सरकार न तो एमएसपी के मुद्दे पर किसानों की मांगें मानने जा रही है और न ही तीनों कृषि कानूनों पर पीछे हटने जा रही है। इन हालात में किसानों का आंदोलन कैसे और कब तक चलेगा।

लेकिन इसका एक जवाब है। यदि पांच राज्यों के होने वाले चुनाव में भाजपा को झटका लगता है और किसानों व उनके समर्थकों के वोट भाजपा को नहीं मिलते हैं तो एक संदेश जा सकता है। दूसरे उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव हैं। हालांकि पंचायत चुनाव दलगत आधार पर नहीं होते हैं फिर भी यदि किसान भाजपा समर्थक लोगों का सफाया कर देते हैं तो एक संदेश जाएगा।

 

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों के अलावा मुसलमान

रही बात दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन की तो वहां किसान संयुक्त मोर्चा की कमान भारतीय किसान यूनियन के नेता प्रवक्ता के रूप में राकेश टिकैत संभाल रहे हैं। लेकिन राकेश टिकैत पर क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों के अलावा मुसलमान यकीन कर पाएंगे।

भाकियू नेता राकेश टिकैत पर भाजपा समर्थक होने का आरोप है। आंदोलन के दौरान हो रही पंचायतों में भी वह चौधरियों से सरकार के खिलाफ न बोलने की गुजारिश करते हैं। उनके मन में अभी भी सरकार के प्रति साफ्ट कार्नर है। यही मुद्दा उन्हें राकेश टिकैत से अलग कर रहा है और मुस्लिम जाट किसानों के गठजोड़ में बाधक बन रहा है। वरना पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन तेजी से फैल सकता है।

जबर्दस्त खमियाजा भुगतना

दरअसल भाजपा के सत्ता में आने के बाद से और उत्तर प्रदेश में योगीराज में काफी सहमे हुए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम नेताओं का कहना है कि जाट का लड़का यदि वही गलती करता है तो उसे आसानी से छोड़ दिया जाता है लेकिन मुसलमान का लड़का वही गलती करे तो उसे इसका जबर्दस्त खमियाजा भुगतना पड़ता है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुए दंगों के दौरान जाट और मुस्लिम बंट गए थे। इसमें टिकैत बंधुओं पर आरोप लगे थे। हालांकि बाद में इन लोगों ने माफी मांग ली थी लेकिन दिलों के जख्म नहीं भरे। लेकिन अब किसानों का मामला है इसमें सब एकजुट हो सकते हैं। टिकैत बंधुओं का भी यही कहना है कि पुराने गिले शिकवे भूलकर खेती को बचाना पहली जरूरत है।

 

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सभी किसानों की समस्याएं समान

कुछ मुस्लिम किसान नेताओं का यह भी कहना है कि सभी किसानों की समस्याएं समान हैं। लेकिन अगर हम धरने पर बैठ जाएंगे तो हमें आतंकवादी करार दे दिया जाएगा। हम पर मुकदमे लाद दिये जाएंगे।

हालांकि सारा दारोमदार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एकछत्र नेता रहे महेंद्र सिंह टिकैत के पुत्रों राकेश और नरेश टिकैत पर है। राकेश टिकैत को जहां गांव के लोग अपना नहीं मानते हैं वहीं नरेश टिकैत की गांवों में सभी वर्गों पर अच्छी पकड़ है। इसलिए यदि ये दोनो भाई राकेश और नरेश टिकैत किसानों के साथ रहकर सत्ता का करीबी बनने का मोह छोड़ दें तो किसान आंदोलन को धार मिल सकती है।

अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मुस्लिम किसान आंदोलन के लिए आगे आएगा तो इसका देश में एक संदेश जाएगा। और व्यापक असर भी देखने को मिलेगा।

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