1882 में ट्रेन से ढोया जाता था अमृतसर का कूड़ा

इस खबर पर सहसा किसी को आसानी से यकीन नहीं होगा। होना भी नहीं चाहिए। क्‍योंकि जिस देश में यात्रियों को लाने ले जाने के लिए रेलगाडि़यां कम पड़ रही हैं भला उस देश में ट्रेन से कूड़ा ढोए जाने की बात अपने आप में किसी अजूबा से कम नहीं है।

Update:2020-04-08 14:40 IST

दुर्गेश पार्थ सारथी

अमृतसर: किसी को भी यह जानकर हैरानी होगी कि देश में कभी म्‍यूनिसिपल का कचरा रेलवे से ढोया जाता था। इस खबर पर सहसा किसी को आसानी से यकीन नहीं होगा। होना भी नहीं चाहिए। क्‍योंकि जिस देश में यात्रियों को लाने ले जाने के लिए रेलगाडि़यां कम पड़ रही हैं भला उस देश में ट्रेन से कूड़ा ढोए जाने की बात अपने आप में किसी अजूबा से कम नहीं है।

137 साल पहले शुरू हुई यह सेवा

हम बात कर रहे हैं ब्रिटिश इंडिया की। पंजाब में रेलगाडि़यों का परिचानल शुरू होने के करीब 21 वर्ष बाद 1982 में अमृतसर शहर का कूड़ा उठाने के लिए ट्रेन सेवा शुरू हो गई। कूड़ा ढोने के लिए यह रेलगाड़ी अमृतसर फर्स्‍ट क्‍लास म्‍यूनिसिपल कमेटी ने इंग्‍लैंड से खरीदी थी। उस समय लाहौर से दिल्‍ली के बीच अमृतसर म्‍यूनिसिपल कमेटी इकलौती फर्स्‍ट क्‍लास म्‍यूनिसिपल कमेटी थी। 137 साल पहले यह रेलगाड़ी दो सवारी डिब्‍बों के साथ चलती थी।

देश की एकलौती थी कूड़ा ढोने वाली ट्रेन

रेल मंडल फिरोजपुर से मिली जानकारी के मुताबिक यह देश की एकलौती ऐसी ट्रेन थी जिससे शहर का कूड़ा ढोने का काम लिया जाता था। हलांकि बदलते समय और देश की आजादी के बाद इस ट्रेन और रेल ट्रैक का कहीं निशान तक नहीं है। और न ही भारतीय रलवे के रिकॉर्ड में कहीं इसका नाम दर्ज है और ना ही संरक्षित की गई है। बल्कि इंग्‍लैंड सरकार ने इस ट्रेन को ऐतिहासिक शुरुआत बताते हुए लंदन में अपने संग्रहालय में फोटो और रिकॉर्ड के साथ संरक्षित किया है। ताकि लोगों को आज से करीब 137 साल पहले के रेलवे के विकास की गौरव गाथा सुना सके।

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संभाल नहीं सके विरासत

रेलमंडल फिरोजपुर के मंडल परिचालन प्रबंधक और रेलवे हैरिटेज कमेटी के मंडल अधिकारी एसपी सिंह भाटिया ने कहा कि यह गर्व करने वाली बाल है कि भारत में 1882 में ही कूड़ा ढोने के लिए शहर में रेलगाड़ी चालई गई थी। लेकिन, दुख इस बात का है कि अपनी इस गौरवमयी विरासत को हम संभाल नहीं सके।

म्‍यूनिसिपल कमेटी ने खरीदी थी ट्रेन

एसपी सिंह कहते हैं कि इस ट्रेन का सीधे तौर से रेलवे से कोई संबंध नहीं था। क्‍योंकि यह ट्रेन अमृतसर फर्स्‍ट क्‍लास म्‍यूनिसिपल कमेटी ने शहर का कूड़ा उठाने के लिए खरीदी थी। उन्‍होंने बताया कि 14 पौंड वजनी यह ट्रेन पांच किलोमीटर लंबे रेल ट्रेक पर चलती थी। दस्‍तावेजों के मुताबिक कुछ ही दिनों में पांच किमी लंबा रेल ट्रैक बिछा कर 14 दिसंबर 1882 को इस ट्रेन की शुरुआत कर दी गई थी।

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46 हजार रुपये में खरीदी गई थी ट्रेन

रेलवे हैरिटेज कमेटी सदस्‍य एसपी सिंह के मुताबकि रॉबट हुडसन नाम के इस इंजन को तत्‍कालीन म्‍यूनिसिपल कमेटी ने 46466 रुपये में इंग्‍लैंड की निर्माता कंपनी हुडसवेल क्‍लार्क कंपनी से खरीदा था। इसके लिए अप्रैल 1882 में कंपनी को आर्डर दिया गया था।

40 डिब्‍बों के साथ इंग्‍लैंड से भारत आई थी ट्रेन

लंदन म्‍यूजियम में रखे दस्‍तावेजों के मुताबिक इंग्‍लैंड की मार्टिन एंड कंपनी ने 1882 में 40 डिब्‍बों के साथ भारत में अमृतसर म्‍यूनिसिपल कमेटी को सप्‍लाई किया था। उस समय यह ट्रेन दो सवारी डिब्‍बों के साथ दो फुट चौड़े ट्रैक पर शहर का कूड़ा लेकर चलती थी।

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