महिला दिवस पर मोदी सरकार का महिलाओं को बड़ा तोहफा

8 मार्च को पूरे देश में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा।। इस मौके पर ताजमहल के साथ-साथ ASI के सभी ऐतिहासिक स्थलों पर महिलाओं की एंट्री फ्री रहेगी

Update: 2020-03-07 10:20 GMT

कल यानी आने वाली 8 मार्च को पूरे देश में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा।। इस बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ताजमहल के साथ-साथ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सभी ऐतिहासिक स्थलों पर महिलाओं की एंट्री फ्री रहेगी।

ये एलान केंद्रीय टूरिज्म कल्चर मिनिस्टर प्रहलाद पटेल ने शनिवार को किया है। देश में ASI के तहत 3,693 केंद्र संरक्षित स्मारक और स्थल हैं। जिसमें उत्तर प्रदेश में 745, कर्नाटक में 506 और तमिलनाडु में 413 एएसआई-अनुरक्षित स्थलों की संख्या है।

8 मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस एएसआई स्मारक और स्थलों पर घूमने जाना महिलाओं के लिए लाभकारी होगा। इस दिन महिलाओं को एंट्री से छूट दी गई है।

ऐसे शुरू हुआ महिला दिवस मनाना

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक मज़दूर आंदोलन की उपज है। जो वर्ष 1908 में हुआ था। उस वक्त लगभग 15 हज़ार महिलाओं ने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में प्रोटेस्ट मार्च निकालकर, महिलाओं के लिए काम के घंटे कम करने की मांग की थी।

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साथ ही उनकी मांग थी, कि उन्हें बेहतर वेतन दिया जाए और मतदान करने का अधिकार भी दिया जाए। इसके एक साल बाद 'सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका' (Socialist Party of America) ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया।

इसके बाद इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का आइडिया जर्मनी की एक महिला Clara Zetkin ने दिया। जो जर्मनी की एक एक्टिविस्ट थीं।

इसलिए 8 मार्च को होता है महिला दिवस

Clara Zetkin ने वर्ष 1910 में डेनमार्क की राजधानी Copenhagen में कामकाजी महिलाओं की एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया था। लेकिन अभी भी Clara Zetkin ने महिला दिवस मनाने के लिए कोई तारीख़ पक्की नहीं की थी।

अब सवाल ये है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है? 1917 में विश्व युद्ध के दौरान Russia की महिलाओं ने 'Bread and Peace' यानी भोजन और शांति की मांग की थी।

महिलाओं की इस हड़ताल की वजह से वहां के सम्राट निकोलस को पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। फिर वहां की अंतरिम सरकार ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दे दिया था। इसे एक महत्वपूर्ण घटना माना गया था और यही घटना बाद में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की तारीख का आधार बनी।

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उस समय Russia में Julian कैलेंडर का प्रयोग होता था और जिस दिन महिलाओं ने ये हड़ताल शुरू की थी, वो तारीख़ थी 23 फरवरी। लेकिन, Gregorian कैलेंडर में ये दिन 8 मार्च था और उसी के बाद से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाने लगा।

सौ साल बीतने के बाद भी नहीं सुधरी महिलाओं की स्थिति

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत एक नेक मकसद से की गई थी। लेकिन सौ से ज्य़ादा वर्ष बीत जाने के बाद भी भारत सहित दुनिया भर में महिलाओं की एक बहुत बड़ी आबादी आज भी अपना हक पाने के लिए संघर्ष कर रही है। भारत समेत पूरी दुनिया में महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए शिक्षा को सबसे अहम माना गया है।

लेकिन सच ये है कि शिक्षा के मामले में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अब भी काफी पीछे हैं। अगर भारत की बात करें तो आज भी भारत में महिलाओं की स्थिति क्या है इससे हर कोई अच्छी तरह से वाकिफ़ है।

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आज भी महिलाओं के साथ आए दिन रोज कोई न कोई वारदात होती ही रहती है। आज भी न जाने कितनी महिलाएं अपना हक पाने किए दौड़ रहीं हैं। लेकिन फिर भी हम सब बड़ी ही शान से हर साल महिला दिवस मनाते हैं।

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