मिला रहस्यमयी गांव: हर कोई देख दंग रह गया, यहां सिर्फ बौने बसते रहे

बचपन में दादी-नानी से कहानियों में आपने बौनों के देश के बारे में जरूर सुना होगा। मगर ऐसा सच में भी हो सकता है ये शायद ही कभी किसी ने सोचा हो।

Update: 2020-09-19 11:30 GMT
रहस्यमयी है ये गांव, जहां सालों पहले सिर्फ बौने बसते रहे

नई दिल्ली: बचपन में दादी-नानी से कहानियों में आपने बौनों के देश के बारे में जरूर सुना होगा। मगर ऐसा सच में भी हो सकता है ये शायद ही कभी किसी ने सोचा हो। लेकिन आज हम आपक एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सैकड़ों साल पहले सिर्फ बौने ही रहा करते थे।

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दरअसल, आज से करीब डेढ़ सौ साल पहले ईरान के 'माखुनिक' नामक गांव में बौने रहा करते थे। ये गांव अफगानिस्तान-ईरान सीमा से करीब 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसा माना जाता है की इस समय में ईरान के लोगों की जितनी औसत लंबाई है, उससे करीब 50 सेंटीमीटर कम लंबाई वाले लोग इस गांव में रहा करते थे।

... तब पहली बार आया चर्चा में

साल 2005 में खुदाई के दौरान इस गांव से एक ममी मिली थी जिसकी लंबाई सिर्फ 25 सेंटीमीटर थी। उस दौरान इस गांव का नाम इंटरनेशनल मीडिया की सुर्खियां बन गया था। इस ममी के मिलने के बाद जांच में पता लगा कि इस गांव में बेहद कम लंबाई वाले लोग रहा करते थे। ममी मिलने के बाद विशेषज्ञ इसे पक्का मानने लगे। लेकिन कुछ जानकारों के मुताबिक ये ममी समय से पहले पैदा हुए किसी बच्चे की भी हो सकती है। जिसकी करीब 400 साल पहले मृत्यु हुई होगी। वे लोग इस बात पर यकीन नहीं करते कि इस गांव के लोग बौने होंगे।

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आखिर इनके बौने होने क्या वजह थी ?

हालांकि कुछ एक्सपर्ट इसके पीछे कुपोषण को जिम्मेदार मानते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, माखुनिक नामक यह गांव ईरान के दूरदराज का एक सूखा इलाका है। इस जगह पर कुछ अनाज, शलजम, बेर, कजूर और जाऊ की खेती हुआ करती थी। यहां रहने वाले लोग पूरी तरह से शाकाहारी थे। शरीर के विकास के लिए जिन पौष्टिक आहारों की जरुरत होती है वो यहां रहने वाले लोगों को नहीं मिल पाते थे। इसी कारण यहां के लोगों का शारीरिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता था।

बंजर होने के कारण इस गांव तक कोई भी सड़क नहीं आती थी, लेकिन 20 वीं सदी के समय में जब इस इलाके तक सड़कें बनाई गयी और गाड़ियों की आवाजाही इस गांव तक पहुंची, तब जाकर यहां के लोगों ने ईरान के बड़े शहरों में जाकर काम करना शुरू किया था। इस तरह से गांव के लोगों को खानपान सुधरा और धीरे-धीरे उनका कद भी बढ़ा।

बेहद कम ऊचाई वाले घर

इस गांव में करीब दो सौ घर हैं, जिनमें से 70 से 80 ऐसे घर हैं जिनकी ऊचाई बेहद कम है। केवल डेढ़ से दो मीटर ऊंचाई वाले घर और 1 मीटर और 4 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर बनी छत को देखकर ये साफ़ पता चलता है कि यहां बौने लोग रहा करते होंगे।

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