नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश, प्रधानमंत्री का है यहां से गहरा नाता

गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को जब 2014 में भाजपा की प्रचार समिति का मुखिया बनाया गया तो उस समय तक न तो यूपी भाजपा का मोदी से कोई तादाम्य था और न ही मोदी का।

Update: 2020-09-17 03:06 GMT

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को जब 2014 में भाजपा की प्रचार समिति का मुखिया बनाया गया तो उस समय तक न तो यूपी भाजपा का मोदी से कोई तादाम्य था और न ही मोदी का। लेकिन लोकसभा के इस चुनाव में मोदी ने देश के सबसे बड़े सूबे के धार्मिक शहर वाराणसी से चुनाव लड़ने की घोषणा की और अपने चुनाव प्रचार के दौरान जब ये कहा ‘मां गंगा ने बुलाया है’ तो इस एक वाक्य से मोदी ने न केवल वाराणसी बल्कि पूरे प्रदेश की जनता के दिलों पर अपनी जगह बना ली।

मोदी का चुनावी सफर यूपी से शुरू हुआ

बस मोदी का चुनावी सफर यहीं से शुरू हुआ और पूरे यूपी से होता हुआ दिल्ली की सत्ता तक पहुंच गया। इस लोकसभा चुनाव में यहां की जनता ने नरेन्द्र मोदी को हाथों हाथ लिया और 80 में 73 सीटें दिलवाकर दिल्ली के सत्ता के सिंघासन तक पहुंचाने में अपनी विशेष भूमिका निभाई।

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पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में कई योजनाओं की शुरूआत यूपी से

चुनाव में मिली बड़ी सफलता और मोदी के यूपी प्रेम का पैमाना इसी बात से लगाया जा सकता है कि तत्कालीन यूपी भाजपा प्रभारी अमित शाह को तुरन्त बाद भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई योजनाओं की शुरूआत यूपी से ही की। चाहे वह उज्जवला योजना हो, कौशल विकास योजना, रोजगार भारत हो अथवा स्वच्छ भारत मिशन ही क्यों न हो।

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अपने पांच साल के कार्यकाल का सफलता पूर्वक निर्वहन करने के बाद जब पिछले साल लोकसभा के आम चुनाव हुए तो यूपी की जनता ने एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपने प्रेम का इजहार करते हुए उन्हें हाथों हाथ लिया। भाजपा को इस चुनाव में भी 80 में 65 सीटे मिलीं जिससे नरेन्द्र मोदी फिर से देश के प्रधानमंत्री बने।

मोदी ने यूपी का रखा विशेष ख्याल

अब हाल यह है कि प्रधानमंत्री मोदी जब भी कोई योजना बनाते हैं तो यूपी का विशेष ख्याल रखते हैं। साथ ही वह बार-बार यूपी के धार्मिक स्थलों के विकास के लिए प्रदेश की योगी सरकार को सहयोग देने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। मोदी के दूसरे प्रधानमंत्रित्व काल में भी कई योजनाएं केन्द्र सरकार के सहयोग से यूपी में शुरू हो चुकी हैं।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यूपी प्रेम इसी बात से झलकता है कि वह अक्सर अपने भाषणों में इसके महत्व के बारे में कहते हैं कि यूरोप के अगर इंग्लैंड, फ्रांस, इटली और स्पेन को देखें तो इनका दुनिया में दबदबा है। अगर चारों देशों की कुल जनसंख्या को जोड़ दें तो इनकी जनसंख्या 24 करोड़ है। यहां अकेले यूपी की संख्या 24 करोड़ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चाहे अपनी पहली सरकार का कार्यकाल हो अथवा दूसरी सरकार का। उनके हर साल यूपी में आठ से दस दौरे हो ही जाते हैं। इतने दौरे वह देश के और किसी राज्य के नहीं करते हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी का हिन्दुत्व किसी से छिपा नहीं है। यूपी धार्मिक स्थलों का देश में सबसे बडा केन्द्र है। राम, कृष्ण और बुद्ध की धरती होने के साथ ही भगवान शंकर की प्रिय नगरी वाराणसी भी इसी उत्तर प्रदेश में है। इसलिए मोदी अक्सर इन धार्मिक केन्द्रों पर आकर यूपी के महत्व को बताते रहते हैं।

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पिछले साल प्रयागराज में कुम्भ के दौरान उनके दौरे से यूपी की जनता बेहद प्रभावित हुई थी जब उन्होंने सफाई कर्मियों के पैरों को अपने हाथों से साफ करने का काम किया था। इसके बाद इस साल भी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का शिलान्यास किया तो एक बार फिर यूपी की जनता ने उनकी जय-जयकार की।

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