बरसात बन गई इनकी जिंदगी की काल, 20 साल में 12 लाख मौतें
भारत में औसतन 70 की उम्र तक पहुंचने पर सांप के काटने से 250 में से एक इनसान की मौत होती है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह आंकड़ा 100 लोगों में एक का है।
नई दिल्ली: भारत में अधिकतर लोग कृषि पर आधारित हैं। ऐसे में यहां सांप के काटने की घटनाएं आम बात हैं लेकिन हैरानी की बात है कि भारत में पिछले 20 सालों में सांप के काटने से 12 लाख लोगों की मौत हुई है। हर साल 46 हजार से 58 हजार लोगों की मौत साँप के काटने से हो जाती है।
12 लाख में से 50% मौतें 30-69 वर्ष के लोगों की
ओपन एक्सेस जर्नल ई-लाइफ में प्रकाशित एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। इस अध्ययन को भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों ने 'मिलियन डेथ स्टडी' से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर किया है। अध्ययन में बताया गया है कि भारत में हुई 12 लाख लोगों की मौत में से करीब 50 प्रतिशत मौत 30-69 आयु वर्ग के लोगों की हुई है। इसी प्रकार 25 प्रतिशत मौत बच्चों की हुई है। भारत में औसतन 70 की उम्र तक पहुंचने पर सांप के काटने से 250 में से एक इनसान की मौत होती है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह आंकड़ा 100 लोगों में एक का है।
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भारत में ज्यादातर मौत रसेल वाइपर, करैत और कोबरा प्रजाति के सांपों के काटने से हुई है। इसी तरह अन्य मौतें सांपों की 12 अन्य प्रजातियों के काटने और समय पर उपचार नहीं मिलने से हुई है। भारत में हुई कुल मौतों में 50 प्रतिशत मौतें मानसून काल यानी जून से सितंबर के बीच हुई है। इस अवधि में बारिश के कारण सांप अपने बिल से बाहर निकलते हैं। सबसे अधिक मौत सांपों द्वारा पैरों में काटने से हुई है।
नौ राज्यों में 70 प्रतिशत मौतें
अध्ययन के अनुसार भारत में साल 2001 से 2014 के बीच सांप के काटने से हुई कुल मौतों में से 70 प्रतिशत मौतें नौ राज्यों में हुई हैं। इनमें बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और गुजरात शामिल हैं। 97 फीसदी मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में हुईं। सबसे ज्यादा 59 फीसदी शिकार पुरुष हुये जबकि महिलाओं में ये आंकड़ा 41 फीसदी था। अध्ययन के अनुसार हर वर्ष साँप के काटने की सबसे ज्यादा घटनाएँ यूपी में हुईं। इनकी संख्या 8700 थी। इसके बाद आंध्रा प्रदेश (5200) और बिहार (4500) का स्थान रहा है।
आक्रामक होता है रसेल वाइपर
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अध्ययन में बताया गया है कि रसेल वाइपर यानी दुबोइया बेहतर आक्रामक सांप होता है और यह पूरे भारत और दक्षिण एशिया में मुख्य रूप से पाया जाता है। यह शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पाया जाता है। करैत सांप आमतौर पर रात में हमला करता है और उसी लंबाई 1.75 मीटर (5 फीट 9 इंच) तक होती है। इसी तरह कोबरा आमतौर पर रात में शिकार करता है और इसके काटने पर तत्काल उपचार की जरूरत होती है।
दुनियाभर में हर साल होती हैं 54 लाख घटनाएं
अध्ययन में कहा गया है कि भारत में सबसे अधिक घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में हुई है। यहां सांप जनित हादसों से बचने के लिए किसानों को शिक्षित किया जाना आवश्यक है। कृषि अधिकारियों को कृषकों को सुरक्षित फसल कटाई, खेत में काम करते समय रबर के जूते, ग्लव्ज और मशालों का उपयोग करने के लिए जागरूक करना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सांप के काटने की घटनाओं को वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकता में लिया है।
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अध्ययन के अनुसार दुनियाभर में प्रतिवर्ष सांप के काटने 54 लाख घटनाएं होती है। इनमें से प्रतिवर्ष 81,000 से 1.38 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसके अलावा चार लाख से अधिक लोग सांप के काटने के बाद समय पर उपचार मिलने से जिंदा तो बच जाते हैं, लेकिन उनमें किसी ना किसी स्तर की विकलंगता आ जाती है।
अपनाएं ये तरीके
- सांप के जहर से ऊतक नष्ट होते हैं ,नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है, ब्लड प्रेशर एवं हृदय पर असर अथवा क्लॉटिंग एवं रक्त स्राव होता है। जहरीले सांप के काटने पर यदि सांप द्वारा जहर नहीं उगला गया है, तो खतरा नहीं होता। यदि जहर उगला गया है तब काटने के स्थान पर तेज दर्द ,छाला पड़ना, सूजन, लालिमा, नीलापन , रक्त स्राव, काला पड़ना या सुन्न होना हो सकता है।
- सांप दिखने पर उसके पास ना जाए, ना ही उसे मारने की कोशिश करें, उसे बचकर जाने दें। हलचल एवं कंपन से सांप दूर भागते हैं।
- सर्पदंश पर घबराएं नहीं। आराम से लेट जाएं। काटे हुए भाग को दिल के लेवल से थोड़ा नीचे रखें, कपड़े ढीले कर दे ,चूड़ी ,कड़े ,घड़ी ,अंगूठी जैसे आभूषण निकाल दें।
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- छोटे बच्चे , वृद्ध और अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों में जहर का असर गंभीर हो सकता है, इनमें विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है अतः इनके उपचार में देरी ना करें।
घाव के साथ छेड़छाड़ ना करें, घाव को काटने ,चूसने ,बर्फ लगाने, कसकर बांधने, देसी दवा, केमिकल लगाने का कोई स्पष्ट लाभ नहीं होता है अपितु घाव में नुकसान हो सकता है, जहर शरीर में ज्यादा तेजी से फैल सकता है।
- घबराने, दौड़ने, भागने से जहर तेजी से शरीर में फैलता है। पीड़ित व्यक्ति को नशे की कोई चीज तथा चाय-काफी न दें। दर्द के लिए सिर्फ पैरासिटामोल दें। झाड़ फूंक से बचें।
रोगी को शीघ्र जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ले जाएं और चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही उपचार कराएं। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही से खतरा ज्यादा गंभीर हो सकता है।