चौहान ने किया था गावस्कर के साथ कमाल, दिग्गज गेंदबाजों के छुड़ा दिए छक्के
सियासत के मैदान में कामयाबी का झंडा गाड़ने से पहले चौहान ने सुनील गावस्कर के साथ ओपनिंग बल्लेबाजी में पूरी दुनिया के गेंदबाजों को छकाया था।
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान का रविवार को निधन हो गया। 72 वर्षीय चेतन चौहान को कोरोना से संक्रमित पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में किडनी में संक्रमण बढ़ने के बाद उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल रेफर किया गया था। जहां इलाज के दौरान रविवार को उनका निधन हो गया। सियासत के मैदान में कामयाबी का झंडा गाड़ने से पहले चौहान ने सुनील गावस्कर के साथ ओपनिंग बल्लेबाजी में पूरी दुनिया के गेंदबाजों को छकाया था।
गावस्कर के साथ सबसे शानदार जोड़ी
चेतन चौहान ने ओपनिंग बल्लेबाज के तौर पर भारत की ओर से 40 टेस्ट मैच खेले। उन्होंने सात एकदिवसीय मुकाबलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। सुनील गावस्कर के साथ चौहान की जोड़ी को टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में भारत की सबसे शानदार जोड़ियों में गिना जाता है। चौहान और गावस्कर की जोड़ी के मैदान में उतरने पर इस जोड़ी को तोड़ने के लिए विपक्षी गेंदबाजों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी।
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चौहान और गावस्कर की प्रारंभिक जोड़ी ने टेस्ट क्रिकेट में ओपनिंग जोड़ी के रूप में 3000 से अधिक रन बनाए। 10 पारियों में गावस्कर और चौहान ने पहले विकेट पर शतकीय साझेदारी निभाई। प्रारंभिक बल्लेबाज के तौर पर चौहान और गावस्कर की जोड़ी का औसत 53.75 रन था। भारतीय क्रिकेट इतिहास में इस जोड़ी ने रिकॉर्ड कायम किया।
शुरुआत में अंदर-बाहर होते रहे चौहान
चौहान ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 1969 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था। मगर दो टेस्ट के बाद ही उन्हें टीम से बाहर का रास्ता देखना पड़ा। बाद में उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फिर खेलने का मौका मिला। मगर चौहान ज्यादा कमाल नहीं दिखा सके और फिर उन्हें तीन साल तक टीम से बाहर बैठना पड़ा। 1972-73 में रणजी ट्रॉफी मुकाबलों में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद चौहान को एक बार फिर टीम इंडिया में शामिल किया गया। चौहान ने इंग्लैंड के खिलाफ दो टेस्ट खेले मगर फिर ज्यादा कामयाब न होने पर उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया गया।
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इसके बावजूद चौहान ने कभी हार नहीं मानी और 1976-77 में उन्होंने हरियाणा के खिलाफ 158 रनों की पारी खेली। इसी सीजन के दौरान उन्होंने पंजाब के खिलाफ 200 और कर्नाटक के खिलाफ 147 रनों की पारी खेलकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। बाद में उन्होंने दिलीप ट्रॉफी में भी सैकड़ा जोड़कर ऑस्ट्रेलिया जाने वाली भारतीय टीम में अपना स्थान पक्का कर लिया। इसके बाद चौहान ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने बल्ले से शानदार प्रदर्शन करके सबका दिल जीता।
चौहान ने आस्ट्रेलिया में दिखाया दम
ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान चौहान ने विक्टोरिया के खिलाफ 157 रनों की पारी खेली। इसके बाद उन्हें श्रृंखला के दूसरे टेस्ट के लिए टीम में शामिल कर लिया गया और उन्होंने पहली पारी में 88 रनों की पारी खेलकर सबका दिल जीत लिया। इसके बाद वे टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर के साथ नियमित ओपनिंग बल्लेबाज बन गए। अपने क्रिकेट कैरियर के अंत तक उन्होंने केवल एक टेस्ट मैच छोड़ा। चौहान और गावस्कर की ओपनिंग जोड़ी ने 1979 में इंग्लैंड दौरे के दौरान शानदार प्रदर्शन किया।
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इंग्लैंड के 429 रनों के स्कोर का पीछा करते हुए ओवल के मैदान में चौथी पारी के दौरान चौहान और गावस्कर की जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 213 रन जोड़े थे। हालांकि यह मैच भारत 9 रन से जीतने से वंचित रह गया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1980- 81 के दौरान चौहान ने तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला में 250 रन बनाए। एडिलेड टेस्ट में चौहान ने 97 रनों की पारी खेली और 3 रनों से शतक से चूक गए। मेलबर्न के मैदान में चौहान व गावस्कर ने पहले विकेट के लिए 165 रनों की पारी खेलकर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को पानी पिला दिया।
चौहान के नाम दर्ज है रिकॉर्ड
इस मैच के दौरान एक ऐसी घटना घटी जो टेस्ट क्रिकेट में क्रिकेट में चर्चा का विषय बन गई। हुआ यूं कि 165 रन के स्कोर पर गावस्कर को अंपायर ने एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया और इस फैसले से गावस्कर काफी नाखुश थे। इस पर गावस्कर ने चौहान से अपने साथ ही मैदान छोड़ने को कहा। टीम इंडिया के मैनेजर विंग कमांडर शहीद दुर्रानी ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए स्थिति को बिगड़ने से बचाया। उसके बाद न्यूजीलैंड दौरे के दौरान चौहान केवल एक मैच के दौरान 50 से ज्यादा रन बना सके और इस दौरे के बाद टीम इंडिया में नहीं दिखे। चेतन चौहान ने अपने क्रिकेट करियर के दौरान 40 टेस्ट में 2084 रन बनाए।
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वे टेस्ट क्रिकेट के पहले प्लेयर थे जिन्होंने बिना कोई शतक बनाए दो हजार से ज्यादा रन बनाए। 1985 में मुंबई के खिलाफ रणजी फाइनल मुकाबला उनका आखिरी प्रथम श्रेणी का मैच था। जिसमें उंगलियों में फ्रैक्चर होने के बावजूद उन्होंने 98 और 54 रनों की बेहतरीन पारी खेली थी। चौहान को शानदार करियर के लिए अर्जुन पुरस्कार भी मिल चुका है। चौहान के साथ एक और दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने अपने डेब्यू टेस्ट में ही छक्का जड़ दिया था और इसके बाद उन्होंने अपने टेस्ट करियर में एक भी छक्का नहीं लगाया।
जेटली ले आए सियासत में
चौहान ने अपने क्रिकेट करियर के दौरान 31.58 के औसत से 2084 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 16 अर्धशतक जड़े। वे एक भी शतक नहीं लगा सके। सात एकदिवसीय मुकाबलों के दौरान उन्होंने 153 रन बनाए और इस दौरान उनका सर्वोच्च स्कोर 46 रहा। घरेलू क्रिकेट मैच में उन्होंने दिल्ली और महाराष्ट्र की टीमों का प्रतिनिधित्व किया। क्रिकेट की दुनिया से अवकाश लेने के बाद चेतन चौहान ने सियासत की दुनिया में कदम रखा। डीडीसीए में काम करने के दौरान चौहान अरुण जेटली के संपर्क में आए और उन्होंने भाजपा का दामन थामा। उन्होंने दो बार अमरोहा सीट से लोकसभा का चुनाव जीता।
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तीन साल पहले विधानसभा का चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था और उन्हें खेल मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी थी। 11 जुलाई को कोरोना से संक्रमित के बाद उन्हें लखनऊ के पीजीआई में भर्ती कराया गया था। बाद में किडनी संबंधी संक्रमण होने पर उन्हें मेदांता अस्पताल रेफर कर दिया गया था जहां उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई। किडनी फेल होने के कारण रविवार को उनका निधन हो गया। चौहान के निधन पर राजनीति और खेल से जुड़े दिग्गजों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है।