पं.जसराज: पंडित अमरनाथ की एक फटकार ने बना दिया तबलावादक से गायक
झिड़कते हुए पंडित अमरनाथ ने कहा कि जसराज तुम मरा हुआ चमड़ा पीटते हो, तुम्हें जीवित सुर की क्या समझ। पंडित जी ने अपने विभिन्न साक्षात्कारों में इस पूरी घटना की कई बार चर्चा की है। पंडित जसराज ने बताया था कि उस दिन के बाद मैंने कभी तबले को हाथ नहीं लगाया और तबला वादन की जगह गायकी शुरू कर दी।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: शास्त्रीय संगीत के रसराज पंडित जसराज नहीं रहे। 90 वर्षीय पंडित जसराज ने अमेरिका के न्यू जर्सी में अंतिम सांस ली। मेवाती घराने के पंडित जसराज के निधन की खबर मिलने के बाद संगीत जगत शोक में डूब गया है। राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम विशिष्ट लोगों ने पंडित जसराज के निधन पर शोक जताते हुए इसे अपूरणीय क्षति बताया है। कम ही लोगों को इस बात की जानकारी है कि पंडित जसराज ने पहले तबला वादन में हाथ आजमाया था। मगर पं. अमरनाथ चावला की एक डांट ने उन्हें शास्त्रीय संगीत का दिग्गज गायक बना दिया।
परिवार की चार पीढ़ियां शास्त्रीय संगीत में
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पंडित जसराज का जन्म 28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार में ऐसे परिवार में हुआ था जिसने चार पीढ़ियों तक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को एक से बढ़कर एक रत्न दिए। पंडित जसराज के पिता पंडित मोतीराम जी स्मेवाती कराने के विशिष्ट संगीतज्ञ थे। तीन साल की उम्र में ही पंडित जसराज के सर से पिता का साया छिन गया। पंडित मोतीराम जी के बाद उनके बड़े सुपुत्र और पंडित जसराज के बड़े भाई संगीत महामहोपाध्याय पंडित मणिराम जी ने परिवार के लालन पालन का भार संभाला।
14 साल की उम्र में लिया था प्रण
पंडित मणिराम जी की छत्रछाया में ही पंडित जसराज ने संगीत का ककहरा सीखा। पहले उन्होंने तबला वादन सीखा और मणिराम जी अपने साथ बालक जसराज को तबला वादक के रूप में ले जाया करते थे। उस दौर में सारंगी वादकों की तरह तबला वादकों को भी बहुत ज्यादा सम्मान नहीं मिला करता था। इसीलिए 14 साल की उम्र में पंडित जसराज ने तबला वादन त्याग दिया और यह प्रण लिया कि जब तक वे शास्त्रीय गायन में विशारद हासिल नहीं कर लेते तब तक अपने बाल नहीं कटवाएंगे।
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इसके बाद पंडित जसराज ने मेवाती घराने के दिग्गज महाराणा जयवंत सिंह वाघेला और आगरा के स्वामी वल्लभदास जी से संगीत विशरद प्राप्त किया। 16 साल की उम्र में एक गायक के रूप में अपना प्रशिक्षण लेना शुरू किया था और 22 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला लाइव संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
जब पं. अमरनाथ चावला ने इस तरह डांटा
पंडित जसराज ने एक साक्षात्कार में खुलासा किया था कि 1960 में अस्पताल में उनकी मुलाकात बड़े गुलाम अली खान से हुई थी और तब गुलाम अली उनसे अपना शिष्य बनने के लिए कहा था। इस पर पंडित जसराज ने उन्हें इनकार कर दिया था क्योंकि वह पहले से ही मणिराम के शिष्य थे और उनसे गायकी का हुनर सीख रहे थे। पंडित जसराज ने एक बार अपने गायक बनने के राज का खुलासा किया था। उनका कहना था कि 14 बरस की उम्र में मुझे एक कार्यक्रम में ऐसा अपमान झेलना पड़ा जिसने मुझे गायक बनने की ओर मोड़ दिया।
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पुराने दिनों की याद करते हुए पंडित जसराज ने बताया था कि 1945 में लाहौर में रेडियो से प्रसारित कार्यक्रम में उन्होंने कुमार गंधर्व के साथ संगत की। अगले दिन पंडित मणीराम से मिलने पहुंचे संगीतज्ञ व शास्त्रीय गायक पंडित अमरनाथ चावला ने उनसे कहा कि अगर बड़े लोग भी गलत गाएंगे तो नई पीढ़ी का क्या होगा। कुमार गंधर्व ने राग भीम पलास में धैवत पर सम लिया है। यह तो गलत है। उनकी इस बात का खंडन पंडित जसराज ने किया और कहा कि इसमें गलत कुछ नहीं है, बल्कि राग तो अच्छा बन पड़ा।
इस पर उन्हें झिड़कते हुए पंडित अमरनाथ ने कहा कि जसराज तुम मरा हुआ चमड़ा पीटते हो, तुम्हें जीवित सुर की क्या समझ। पंडित जी ने अपने विभिन्न साक्षात्कारों में इस पूरी घटना की कई बार चर्चा की है। पंडित जसराज ने बताया था कि उस दिन के बाद मैंने कभी तबले को हाथ नहीं लगाया और तबला वादन की जगह गायकी शुरू कर दी।
बेगम अख्तर के गीत के थे दीवाने
वह बेगम अख्तर के गीत दीवाना बनाना है से बहुत अधिक प्रभावित थे। अपने स्कूल के दिनों में पंडित जसराज क्लास बंक करने के बाद एक छोटे से रेस्तरां में घंटों बैठा करते थे जहां यह गीत रोजाना बजा करता था। प्रसिद्ध संगीतकार जतिन-ललित उनके भतीजे हैं और 1980 के दशक में कई हिंदी फिल्मों में दिखने वाली सुलक्षणा पंडित और विजेता पंडित उनकी भतीजी हैं। पंडित जसराज ने पहली बार सन 2008 में रिलीज किसी हिंदी फिल्म में गीत को अपनी आवाज दी।
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उन्होंने विक्रम भट्ट द्वारा निर्देशित फिल्म 1920 के लिए अपनी जादुई आवाज में गाना गाया। पंडित जसराज ने इस फिल्म के प्रचार के लिए बनाए गए वीडियो के गीत वादा तुमसे है वादा को अपनी दिलकश आवाज में गाकर सबका दिल जीत लिया। इस गाने को समीर ने लिखा है और इसका संगीत अदनान सामी ने दिया है। इस गाने की शूटिंग मुंबई के जोगेश्वरी स्थित विसाज स्टूडियो में की गई है। इस फिल्म में वर्ष 1920 के दौर का चित्रण किया गया है और यह एक भारतीय लड़के और अंग्रेजी लड़की की प्रेम कहानी है।
पंडित जसराज के नाम पर ग्रह
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कम ही लोगों को इस बात की जानकारी है कि पंडित जसराज इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (आईएयू) मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित एक छोटे से ग्रह का नाम पंडित जसराज रखा है। पंडित जसराज यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय कलाकार हैं। इस छोटे ग्रह (माइनर प्लेनेट) की खोज 11 नवंबर 2006 को हुई थी और यह मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच भ्रमण करता है। पंडित जसराज ने इस सम्मान पर कहा था कि इसमें मुझे ईश्वर की असीम कृपा दिखती है।
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यह भारत और भारतीय संगीत के लिए भगवान का आशीर्वाद है। पंडित जसराज ने 2012 में एक अनूठी उपलब्धि हासिल की थी। 82 साल की उम्र में उन्होंने अंटार्कटिका में अपनी प्रस्तुति दी थी। इस प्रस्तुति के साथ ही वे सातों महाद्वीपों में कार्यक्रम पेश करने वाले पहले भारतीय बन गए। पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज ने 8 जनवरी 2012 को अंटार्कटिका तट पर सी स्पिरिट नामक क्रूज अपना कार्यक्रम पेश किया था। इससे पहले वह 2010 में पत्नी मधुरा के साथ उत्तरी ध्रुव का दौरा भी कर चुके थे।
काशी में पंडित जसराज का गायन
काशी के संकट मोचन मंदिर में होने वाला संगीत समारोह पंडित जसराज के बिना हमेशा अधूरा माना जाता था। पंडित जसराज ने कई वर्षों तक लगातार संकट मोचन संगीत समारोह में अपनी प्रस्तुति दी। इस समारोह के दौरान पंडित जसराज अंतिम कलाकार के रूप में मंच पर पहुंचते थे और उन्हें सुनने के लिए भीड़ अंत तक जुटी गाती थी। इस दौरान वे हमेशा कहा करते थे कि हनुमान जी के दरबार में गाकर मैं धन्य हो गया। वे मंगला आरती तक अपना गायन पेश करते थे।
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कम ही लोगों को इस बात की जानकारी है कि पंडित जसराज की शादी वी शांताराम की बेटी मधुरा के साथ हुई थी। शादी से पहले पंडित जसराज और मधुरा के बीच काफी दिनों तक पत्र व्यवहार भी चला था। बाद में मधुरा ने साफ तौर पर कह दिया था कि शादी करूंगी तो पंडित जसराज से वरना नहीं करूंगी। वी शांताराम की रजामंदी के बाद 19 मार्च 1962 को मधुरा और पंडित जसराज की धूमधाम से शादी हुई थी।