विस्फोटक सचिन पायलट: इनकी लव स्टोरी किसी फिल्म से कम नहीं, ऐसी है लाइफ

सचिन ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत नई दिल्ली के एयरफोर्स बालभारती स्कूल से की और उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की।

Update: 2020-07-13 09:24 GMT

जयपुर: राजस्थान में कांग्रेसी सरकार की सांसें उखड़ने लगी हैं। इसका मुख्य कारण उनके ही प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट बन गए हैं। सचिन पायलट की नाराज़गी और राजस्थान सरकार में पड़ी दरार का आलम यह है कि प्रदेश अध्यक्ष उनकी तस्वीरों वाले पोस्टर भी प्रदेश कार्यालय से हटा दिए गए हैं। आइए जानते हैं कौन हैं सचिन पायलट। क्या है सचिन की लाइफ स्टोरी, लव स्टोरी और कैरियर

राहुल गांधी के बेहद करीबी थे सचिन पायलट

सचिन पायलट एक समय राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाते थे। वह दिग्गज कांग्रेसी नेता राजेश पायलट के बेटे हैं। उनकी सरपरस्ती में राजस्थान में कांग्रेस ने भाजपा की वसुंधरा राजे से सत्ता छीन ली। सचिन ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत नई दिल्ली के एयरफोर्स बालभारती स्कूल से की और उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने गाज़ियाबाद के आईएमटी कॉलेज से मार्केटिंग में डिप्लोमा किया और फिर आगे की पढ़ाई के लिए लंदन की पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी चले गए। यहां से उन्होंने अपनी एमबीए की डिग्री हासिल की।

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लंदन में मिले सारा अब्दुल्ला से

लंदन में ही पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्लाह की बेटी से हुई जिन्हें वह पसंद करने लगे।फारूख अब्दुल्ला की बेटी और उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला जल्द ही डेटिंग करते लंदन में देखे जाने लगे।पढ़ाई पूरी करने के बाद सचिन वापस आ गए लेकिन सारा लंदन में ही रहीं।दोंनों के बीच के प्यार ने इस लॉंग डिस्टेंस रिलेशनशिप को भी ज़िंदा रखा और ईमेल ,फोन के ज़रिए लगभग तीन साल तक दोनों एक दूसरे को डेट करते रहे।

शादी में आई बड़ी अड़चनें

सचिन और सारा ने जब अपने अपने परिवार में इस रिश्ते की जानकारी दी तो बवाल खड़ा हो गया। हाई प्रोफाइल होने के बावजूद इनके बीच मज़हब की दीवार आ गई । सचिन के परिवार ने तो शादी से साफ इंकार कर दिया।वहीं फारूख अब्दुल्ला ने सारा से इस विषय पर बात करने से भी मना कर दिया। कहा जाता है कि सारा अपने पिता को मनाने की बहुत कोशि करती रहीं।

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कई दिनों तक रोईं भी लेकिन उनके पिता नहीं पिघले। बर्फ पिघलती ना देख सचिन और सारा ने एक बड़ा कदम उठाया।जनवरी 2004 में सारा ने अपने परिवार की परवाह किए बिना ही सचिन से शादी कर ली।इस शादी में अब्दुल्ला परिवार से कोई शामिल तो नहीं हुआ लेकिन सचिन के परिवार ने सारा का पूरा साथ दिया।वक्त ने अब्दुल्ला परिवार के ज़ख्मों को भी भर दिया और उन्होंने भी बाद में सचिन को अपना लिया।

ना चाहते हुए भी आए राजनीति में

जानकारों की मानें तो सचिन ने कभी राजनीति को अपनी मंज़िल नहीं माना था।वह राजनीति में आना भी नहीं चाहते थे पर नियति को कुछ और ही मंज़ूर था।पिता राजेश पायलट की मौत ने 26 साल की उम्र में सचिन को राजनीति की राह पर धकेल दिया ।

राजनीति में किया कमाल

पहले सांसद बनकर सचिन ने यह दिखा दिया कि भले ही वह राजनीति में आना ना चाहते हैं पर उनमें राजनीति के गुण किसी से कम नहीं हैं।संसद में अपनी वाकपटुता से लोगों को हैरान किया तो राजस्थान के चुनाव में अपनी संगठन क्षमता से उन्होंने भाजपा के किले को ध्वस्त कर दिया। अशोक गहलोत के साथ मिलकर उन्होंने मोदी लहर को बावजूद कांग्रेस को राजस्थान का सियासी किला जिता दिया।कहा जाता है कि इस जीत में पायलट की अपील,संगठन करने की क्षमता का बहुत बड़ा योगदान था।

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सरकार बनने पर पार्टी के एक धड़े ने पायलट को राजस्थान की कमान सौंपने की मांग की थी पर कांग्रेस हाइकमान ने जांचे परखे गहलोत पर दांव चला और पायलट को उप मुख्यमंत्री पद से नवाज़ा गया । सरकार में दोनों के बीच मतभेद की खबरें की बार आईं पर उन्हें सुलझा लिया गया लेकिन पिछले एक पखवाड़े से चल रहा विवाद अब सुलझने से कोसों दूर दिखाई दे रहा है।कांग्रेस भले ही कोशिश कर रही है पर पायलट फिलहाल तो पिघलते नहीं दिख रहे हैं।

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