राजाओं का 'खतरनाक' प्यार, जिस्म ने ऐसे किया बर्बाद 'किधर' के भी ना रहे
आपने शाहजहाँ और मुमताज़ की प्रेम कहानी के किस्से सुने होंगे। इन दोनों की प्रेम कहानी दुनियाभर में मशहूर है। आगरा में ताजमहल का निर्माण भी शाहजहाँ ने मुमताज़ की याद में करवाया था और यह उसके प्यार की निशानी है।
नई दिल्ली: भारतीय इतिहास राजाओं के वीरता के गाथा से भरा पड़ा है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ उन्हीं में कई ऐसे भी राजा हुए हैं जिन्होंने प्यार के चलते खुद को और अपनी सल्तनत को बर्बाद कर डाला। आज हम आपको इतिहास के कुछ ऐसे शासकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनको जिस्म की चाहत ने कहीं का नहीं छोड़ा।
1- शाहजहाँ और मुमताज़
आपने शाहजहाँ और मुमताज़ की प्रेम कहानी के किस्से सुने होंगे। इन दोनों की प्रेम कहानी दुनियाभर में मशहूर है। आगरा में ताजमहल का निर्माण भी शाहजहाँ ने मुमताज़ की याद में करवाया था और यह उसके प्यार की निशानी है।
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जब शाहजहाँ ताजमहल का निर्माण कर रहा था, तब उसने अपना सारा मुगल खजाना इसमें डाल दिया था। औरंगजेब को यह बात अच्छी नहीं लगी। इस कारण से, उन्होंने शाहजहाँ को जेल में डाल दिया था, जहाँ शाहजहाँ को कई बीमारियों का सामना करना पड़ा और वह इसी से मर गया।
2- पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता
पृथ्वीराज चौहान एक ऐसे योद्धा थे, जो बिना हथियार के शेर के जबड़े को फाड़ देते थे। ये दिल्ली पर शासन करने वाले अंतिम हिंदू राजा थे।, लेकिन उनको जयचंद की बेटी से प्यार हो गया, जिसके साथ वह एक बार भाग भी गए थे, और इस गुस्से में उन्होंने मोहम्मद गोरी का समर्थन किया था।
यह उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती साबित हुई। इसके कारण उनकी भी मृत्यु हो गई।
3- बाजीरॉव और मस्तानी
बाजीराव मस्तानी भी एक फिल्म बन गई है, जो बहुत लोकप्रिय थी। बता दें कि बाजीराव मराठा ब्राह्मण थे, लेकिन उन्हें एक ऐसी महिला से प्यार हो गया, जो मुस्लिम थी और यह मराठा ब्राह्मण समाज और बाजीराव के परिवार को स्वीकार्य नहीं थी। लेकिन वह मस्तानी को छोड़ने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था और उससे शादी करना चाहता था।
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मस्तानी के लिए बाजीराव द्वारा एक महल भी बनाया गया था। लेकिन जब वह लड़ने के लिए दूर था, तो मस्तानी को बाजीराव के परिवार ने कैद में रखा और उसे कैद में रखा। जब बाजीराव को इस बारे में पता चला, तो उन्हें गहरा दुख हुआ और वे बहुत अवसाद में चले गए। उसे तेज बुखार भी था, जिससे उसकी मौत हो गई। )हमारे इस लेख का उद्देश्य किसी की भावनाओं के ठेस पहुंचाने का नहीं है।)
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