ये है सेटेलाइट युग ! इस दिन भारत को मिली, ये बड़ी उपलब्धि
26 फरवरी 1972 में देश के पहले सेटेलाइट अर्थ स्टेशन का लोकार्पण राष्ट्रपति वीवी गिरी ने किया था। यह तत्कालीन स्थितियों में देश की बहुत बड़ी उपलब्धि थी। विक्रम भू उपग्रह केंद्र महाराष्ट्र के वर्धा के पास आर्वी में स्थित है। इसका नाम देश के महान वैज्ञानिक विक्रम अंबालाल साराभाई के नाम पर रखा गया।
रामकृष्ण वाजपेयी
आजकल आपकी सारी दिनचर्या सेटेलाइट से जुड़ी है। चाहे किसी की वायस सुननी हो या फिर वीडियो काल करनी हो। अपने बात फैलानी हो या अपनी अदा की झलक दिखानी हो। कुछ भी जानना हो तो गूगल अंकल हैं न..। मतलब ये कि आपकी जिंदगी का बड़ा हिस्सा सेटेलाइट से मिलने वाले इंटरनेट से गवर्न होता है। लेकिन क्या आपको पता है देश का पहला सेटेलाइट अर्थ स्टेशन कहां और कब बना था। इसे किसने बनाया था। भारत की अंतरिक्ष यात्रा की सीढ़ी किसने तैयार की थी।
चलिये हम बताते हैं आज.. आज इसलिए चूंकि इसी दिन 26 फरवरी 1972 में देश के पहले सेटेलाइट अर्थ स्टेशन का लोकार्पण राष्ट्रपति वीवी गिरी ने किया था। यह तत्कालीन स्थितियों में देश की बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
विक्रम भू उपग्रह केंद्र महाराष्ट्र के वर्धा के पास आर्वी में स्थित है। इसका नाम देश के महान वैज्ञानिक विक्रम अंबालाल साराभाई के नाम पर रखा गया।
कौन था अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक
विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का पितामह माना जाता है। उनमें वैज्ञानिक, प्रवर्तक, उद्योगपति तथा दिव्यदर्शनद्रष्टा के विरल गुण थे।
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विक्रम साराभाई को गुरुदेव रवीन्द्रनाथ, जे कृष्णामूर्ति, मोतीलाल नेहरु, वी.एस. श्रीनिवास शास्त्री, जवाहरलाल नेहरु, सरोजनी नायडू, मौलाना आजाद, सी एफ एड्रूज, सी.वी. रमन आदि का बचपन से आशीर्वाद मिला था क्योंकि ये लोग जब अहमदाबाद आते थे, तब साराभाई परिवार के साथ रहते थे। महात्मा गॉधी भी एक बार उन के घर में रहे थे।
गजब का इंसान
विक्रम साराभाई मेट्रिक्युलेशन के बाद, कैम्ब्रिज चले गये। जब वे घर वापस आये तब भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु में सर सी.वी. रमन के अधीन अनुसंधान में जुट गए। उनके सौर भौतिकशास्त्र व कास्मिक किरण में रुचि के कारण, उन्होंने देश में कई प्रेक्षण स्टेशनों को स्थापित किया।
उन्होंने 1947 नंवबर में अहमदाबाद में भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। वैज्ञानिक व औद्योगिकी अनुसंधान परिषद (सी एस आई आर) तथा परमाणु ऊर्जा विभाग का उन्हें समर्थन मिला।
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विक्रम साराभाई ने सौर तथा अंतरग्रहीय भौतिकी में अनुसंधान के नए क्षेत्रों के सुअवसरों की कल्पना की थी। विक्रम साराभाई ने 1962 में शांति स्वरुप भटनागर पदक प्राप्त किया। राष्ट्र ने वर्ष 1966 में पद्म भूषण तथा वर्ष 1972 में पद्म विभूषण (मृत्योपरांत) से सम्मानित किया। विक्रम साराभाई की मृत्यु दिसंबर 31, 1971 को निद्रावस्था में हुई थी। उनके निधन के बाद जब देश के पहले भू उपग्रह केंद्र के लोकार्पण का समय आया तो उसका नाम विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया। इसके बाद ही 19 अप्रैल, 1975 को भारत द्वारा पहला उपग्रह आर्यभट्ट प्रक्षेपित किया गया।