महिला दिवस 2020: भारत की ये दमदार महिलाएं, जिनके कदमों में पूरी दुनिया

भारत की महिलाएं किसी से कम नहीं, वे राष्ट्र निर्माण में पुरुषों के बराबर ही सहयोग कर रही हैं। साथ ही हर क्षेत्र में अव्वल हो रही हैं। भारत की महिलाओं ने दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया है।

Update: 2020-03-08 05:24 GMT

लखनऊ: आज विश्व महिला दिवस है। महिलाओं के नाम समर्पित दिन.. उनकी स्थिति को समाज में ज्यादा मजबूत और समानता का अधिकार देने के लिए जश्न के तौर में मनाएं जाने का दिन। भारत की महिलाएं किसी से कम नहीं, वे राष्ट्र निर्माण में पुरुषों के बराबर ही सहयोग कर रही हैं। साथ ही हर क्षेत्र में अव्वल हो रही हैं। भारत की महिलाओं ने दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया है। मनोरंजन, राजनीति, खेल, स्वास्थ्य और डिफेंस आदि के क्षेत्र में सम्मान पूर्वक उच्चतम पद पर हैं। दुनियाभर की महिलाओं को इनसे प्रेरणा लेने की जरूरत हैं और 'हम किसी से कम नहीं' के मोटो पर चलते हुए अपने सपनों को साकार करने की जरूरत है।

हर क्षेत्र में महिलाओं का परचम:

खेल -

एक समय था, जब महिलाएं घर की चार दीवारी तक सीमित थी, उन्हें पढ़ने और नौकरी करने का तो अधिकार बाद में मिल गया लेकिन खेल को अपना प्रोफेशन बनाने की न तो उन्हें अनुमति मिली और न ही उन्हें बतौर खिलाड़ी उतनी तव्वजों मिली। लेकिन आज भारत की महिलाएं खेल में भी दुनियाभर में अपना और देश का नाम रौशन कर रही हैं।

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इस बात का सबूत हैं आज होने वाला महिला वर्ल्ड कप फाइनल। भारत की महिला खिलाडियों ने फाइनल्स तक पहुंच कर ये बात साबित कर दी। मिताली राज, हरमनप्रीत का नाम आज कौन नहीं जानता।

राजनीति

महिलाओं की सबसे ज्यादा मजबूती राजनीति में देखने को मिल रही है। भारतीय महिलाएं अब समाज निर्माण के लिए चाणक्य की भूमिका निभा रहीं हैं। सुषमा स्वराज, निर्मला सीतारमण, जय ललिता, प्रतिभापाटिल, मायावती, स्मृति इरानी ने राजनीति में अपना नाम और एक अलग मुकाम बनाया।

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सुषमा स्वराज जब विदेश मंत्री रहीं तो विदेशों में बसे भारतीयों को हमेशा लगा की वह अपने देश से जुड़े हुए हैं, एक ट्वीट पर सुषमा भारतीयों की मदद में जुट जाती थी। जय ललिता की तुलना महात्मा गांधी से तो नहीं कर सकते लेकिन राजनीति में उन्होंने अम्मा का दर्जा प्राप्त कर साबित कर दिया कि जनता के मन में उनके लिए कितना सम्मान था। मायावती

मनोरंजन:

बात अगर मनोरंजन की करें तो कुछ दशकों पहले तक अभिनेत्रियों को सिर्फ ग्लेमर भर के लिए फिल्मों में रखा जाता था। उनका काम अभिनेताओं को एक हीरो के तौर पर दर्शाने के लिए खुद को कमजोर लड़की की तरह साबित करना होता है। लेकिन अब ऐसा नहीं है, कुछ अभिनेत्रियों ने इस प्रथा को खत्म कर दिया। दमदार किरदार के साथ ऐसी फ़िल्में सामने आई, जिसमें अभिनेत्रियाँ अभिनेताओं को टक्कर देती नजर आई।

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मर्दानी, राजी, थप्पड़, पंगा, मनिकर्णिका, हिचकी, पारी और वीरे की वेडिंग कुछ ऐसी ही फ़िल्में थीं। दुनियाभर में अपना नाम कमाने वाली अभिनेत्रियों की बात करें तो सुष्मिता सेन, एश्वर्या राय और प्रियंका चोपड़ा ने विश्वस्तर पर भारत की सुंदर और समझदार महिलाओं के तौर पर पेश किया। वहीं रानी मुखर्जी, आलिया भट्ट, दीपिका पादुकोण और तापसी पन्नू जैसी अभिनेत्रियों ने भी समाज में सम्मान हासिल किया।

डिफेंस

महिलाएं केवल खुबसुरत दिखने, समझदारी दिखाने भर सीमित नहीं है। महिला तो शक्ति है। एक ऐसी शक्ति जो जरूरत पड़ने पर अपने घर परिवार और देश के लिए दुश्मनों से भिड़ भी सकती है। ऐसे में भारत की सेना में महिलाओं का होना तो लाजमी है।

जाबाज महिलाओं की बात करें तो पहली महिला एयर मार्शल पद्मावती, पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल पुनीता अरोड़ा , कारगिल गर्ल गुंजन सक्सेना, पहली महिला जवान शांति तिग्गा का नाम हर किसी को पता होना चाहिए।

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