भारत ने आज ही के दिन रचा था इतिहास, कपिल की अगुवाई में देश बना वर्ल्ड चैंपियन

स्वतंत्र भारत के इतिहास में 25 जून की तारीख को दो महत्वपूर्ण कारणों से याद किया जाता है। पहला कारण है कि इसी दिन 45 साल पहले 1975 में देश को...

Update: 2020-06-25 05:02 GMT

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: स्वतंत्र भारत के इतिहास में 25 जून की तारीख को दो महत्वपूर्ण कारणों से याद किया जाता है। पहला कारण है कि इसी दिन 45 साल पहले 1975 में देश को आपातकाल का दंश झेलना पड़ा था और दूसरा कारण यह कि आज ही के दिन 37 साल पहले 1983 में भारत क्रिकेट का विश्व चैंपियन बना था। भारत ने लॉर्ड्स के मैदान में उस समय की दिग्गज टीम वेस्टइंडीज को 43 रनों से हराकर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था।

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किसी को नहीं थी जीत की उम्मीद

1983 के विश्व कप की शुरुआत में किसी को उम्मीद नहीं थी कि भारतीय टीम विश्व कप के फाइनल तक भी पहुंच पाएगी। कपिल देव की अगुवाई में टीम धीरे-धीरे आगे बढ़ती रही और आखिरकार उसने मुकाम हासिल कर लिया। फाइनल में भारत का मुकाबला वेस्टइंडीज की मजबूत टीम से या। क्लाइव लायड की कप्तानी वाली वेस्टइंडीज की टीम 1975 और 1979 का विश्व कप जीत चुकी थी और हर किसी को यही उम्मीद थी कि तीसरी बार भी वेस्टइंडीज की टीम ही विश्व कप जीतेगी मगर फाइनल मुकाबले में कपिल देव की अगुवाई में भारतीय टीम ने कमाल कर दिया।

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श्रीकांत ने बनाए थे सर्वाधिक रन

लॉर्डस में खेले गए फाइनल मुकाबले में दोनों टीमों के केवल दो बल्लेबाजी ही 30 से ज्यादा रन बना पाए। भारत की ओर से सलामी बल्लेबाज के श्रीकांत ने फाइनल मुकाबले में सर्वाधिक 38 रनों की पारी खेली थी। भारत का जवाब देने उतरी वेस्टइंडीज की टीम की ओर से स्टार बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स ने 33 रनों की तूफानी पारी खेलकर सबका दिल जीता था। दोनों ही बल्लेबाजों ने अपनी पारी के दौरान सात-सात चौके लगाए थे। फाइनल मुकाबले में भारत की ओर से संदीप पाटिल ने 27, मोहिंदर अमरनाथ ने 26, मदनलाल ने 17 और कपिल देव ने 15 रनों का योगदान किया था।

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183 पर सिमट गई थी भारतीय टीम

जब भारतीय टीम 183 रनों पर ही सिमट गई तो वेस्टइंडीज की जीत तय मानी जा रही थी। जब वेस्टइंडीज की ओर से विवियन रिचर्ड्स बैटिंग कर रहे थे तो उनके तूफानी अंदाज को देखते हुए हर किसी ने यह मान लिया था कि वेस्टइंडीज एक बार फिर विश्व चैंपियन बन जाएगा मगर मदनलाल की गेंद पर रिचर्ड्स का मुश्किल कैच लेकर कपिल देव ने मैच का पासा ही पलट दिया और वेस्टइंडीज की पूरी टीम 140 रन पर ऑल आउट हो गई।

भारतीय गेंदबाजों ने किया कमाल

भारतीय टीम को जिताने में गेंदबाजों की प्रमुख भूमिका रही। भारत की ओर से कप्तान कपिल देव 11 ओवर में 4 मेडन ओवर फेंकते हुए 21 रन पर 1 विकेट लिया था। बलविंदर संधू ने 9 ओवर में 32 रन देकर दो विकेट झटके थे। मदनलाल ने 12 ओवर में 31 रन देकर तीन विकेट लिए थे जबकि बिन्नी ने 10 ओवर में 23 रन देकर एक विकेट झटका था। मोहिंदर अमरनाथ ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 7 ओवर में 12 रन देकर 3 विकेट झटके थे। मोहिंदर अमरनाथ को विश्व कप में शानदार ऑलराउंडर प्रदर्शन करने के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया था।

 

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भारत ने तोड़ा वेस्टइंडीज का सपना

विश्व कप की शुरुआत 1975 में हुई थी और वेस्टइंडीज ने 1975 और 1979 दोनों बार विश्व कप जीतने में कामयाबी हासिल की थी। क्लाइव लॉयड की कप्तानी वाली वेस्टइंडीज की टीम की नजर तीसरे विश्व कप को जीतने पर भी थी मगर कपिल देव की अगुवाई में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए वेस्टइंडीज के सपने को चकनाचूर कर दिया। क्रिकेट जगत से जुड़े दिग्गजों का मानना है कि इस जीत के बाद भारतीय टीम विश्व क्रिकेट में काफी मजबूत बनकर उभरी और उसके बाद उसने अपनी ताकत का लोहा मनवाया। 1983 के बाद टीम इंडिया 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में दोबारा विश्व कप जीतने में कामयाब हुई।

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