PT Usha Motivational Story: जानिए पीटी उषा के 'उड़न परी' बनने की पूरी कहानी...
PT Usha Motivational Story: देश की बेटियों के प्रेरणास्रोत पीटी उषा का जन्म एक बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था। उनका बचपन उनके गांव पय्योली में बीता था। जब पीटी उषा चौथी क्लास में थी, तब उन्होंने अपनी ही स्कूल में पढ़ने वाली एक लड़की को रेस में हरा दिया था।
PT Usha Motivational Story: भारतीय महिला एथलीट पीटी उषा को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। ये खबर आने के बाद उनके फैंस की खुशी का ठिकाना नहीं है। एथलीट पीटी उषा को 'गोल्डन गर्ल' (PT Usha Motivational Story) के नाम से भी जाना जाता है। पीटी उषा के नाम 100 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मेडल जीतने का रिकॉर्ड है। उन्होंने अपने लगभग 20 साल के करियर में एशियन चैंपियनशिप में भी 13 बार गोल्ड मेडल जीतने का कारनामा (PT Usha Motivational Story) किया था। केंद्र सरकार ने पीटी उषा को खेल क्षेत्र में इस बड़े योगदान के कारण राज्यसभा सदस्य के रूप में मनोनीत किया है। पीटी उषा महिलाओं के लिए बड़ी प्रेरणास्रोत हैं। चलिए जानते हैं पीटी उषा के बारे में...
गरीब परिवार की बेटी ने किया देश का नाम रोशन:
देश की बेटियों के प्रेरणास्रोत पीटी उषा का जन्म एक बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था। उनका बचपन उनके गांव पय्योली में बीता था। जब पीटी उषा चौथी क्लास में थी, तब उन्होंने अपनी ही स्कूल में पढ़ने वाली एक लड़की को रेस में हरा दिया था। जिस लड़की को उन्होंने हराया था वो रेस में जिला चैंपियन रह चुकी थी। उसके बाद से पीटी उषा ने जीवन (PT Usha Motivational Story) में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा था। उसके बाद वो लगातार जिला स्तर पर कई रेस जीतती गई। पीटी उषा गांव से गुजरने वाली गाड़ियों के साथ रेस लगाती थी। उनके परिवार के साथ गांव के लोगों को भी उस समय विश्वास हो गए था कि एक दिन गांव की ये छोटी सी लड़की देश का नाम रोशन करेगी।
कोच का रहा काफी योगदान:
पीटी उषा की काबिलियत पर किसी को शक नहीं था। लेकिन उनका करियर कोच ओएम नांबियार के मार्गदर्शन में ही चमका था। साल 1976 में पहली बार उनकी मुलाकात कोच ओएम नांबियार से हुई थी। उनके कोच ओएम नांबियार पहली बार में समझ गए थे कि पीटी उषा में जोश और हौसले की कोई कमी नहीं है। फिर उन्होंने पीटी उषा को प्रशिक्षण दिया और उसके साथ उनके खेल के लिए प्रोत्साहित भी किया। उसके बाद पीटी उषा ने ट्रैक पर खूब पसीना बहाया था। पीटी उषा ने 1984 ओलंपिक खेलों में चौथा स्थान हासिल किया था। उसके बाद उन्हें देश में पहचान मिली।
ओलंपिक के बाद प्रदर्शन में आई गिरावट:
पीटी उषा के करियर में एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें फैंस के द्वारा आलोचना भी झेलनी पड़ी। ओलंपिक के फाइनल में कुछ पॉइंट्स से मिली हार के बाद वो टूट गई। जिससे उनके खेल पर भी असर पड़ा। लेकिन फिर उन्होंने मेहनत के बलबूते ट्रैक पर शानदार वापसी की और पदक की लाइन लगा दी थी। इस दौरान एशियन चैंपियनशिप में 13 गोल्ड मेडल, जकार्ता एशियन चैंपियनशिप में 5 गोल्ड मेडल और सियोल एशियन गेम्स 4 गोल्ड जीतकर देश का नाम रोशन किया था। उन्होंने भारत के लिए 103 अंतरराष्ट्रीय मेडल जीते हैं।
1985 में पद्मश्री से हुई सम्मानित:
देश के नाम लगातार गोल्ड मेडल नाम करने वाली पीटी उषा को कई बड़े अवार्ड मिल चुके है। उन्होंने अपने शानदार खेल की बदौलत देश का नाम एक बार नहीं बल्कि कई बार रोशन किया। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें 1983 में पहले अर्जुन अवॉर्ड दिया। उसके बाद 1985 में देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया। हिला एथलीट पीटी उषा को उड़नपरी, गोल्डन गर्ल और पय्योली एक्सप्रेस के नाम जाना जाता है। पीटी उषा के इस मुकाम पर पहुंचने के बाद देश की बेटियों ने उनसे प्रेरणा लेकर खेलों में अपनी रूचि दिखानी शुरू की। आज खेलों में बेटों के बराबर देश की बेटियां नाम रोशन कर रही है।
पीटी ऊषा स्कूल के नाम से खोली एकेडमी:
खेलों के प्रति पीटी उषा का जूनून आज भी बरकरार है। उन्होंने 1997 में एथलीट से संन्यास लेने के बाद दोस्तों के साथ मिलकर एकेडमी खोलने का सपना देखा। उनका ये सपना साल 2000 में केरल सरकार की सहायता से पूरा भी हो गया। पीटी उषा को केरल सरकार ने 30 एकड़ जमीन के साथ 15 लाख की वित्तीय सहायता की पेशकश की थी। वह अब अपनी स्कूल में नए एथलीट्स को तैयार कर रही हैं। पीटी ऊषा स्कूल नाम से उनकी एकेडमी कई बड़े खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर चुके है। उनकी स्कूल से निकले एथलीट्स कई बार गोल्ड मेडल जीत चुके है।