ऋषभ पंत स्पेशल: राजस्थान ने नहीं किया था सम्मान, अब मिला करारा जवाब
साल 2015 में पंत ने रणजी क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। यहां से उनकी जिंदगी बादल गई। 2016-17 का सीजन उनकी जिंदगी का सबसे यादगार सीज़न था।
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत आज अपना 22वां बर्थडे मना रहे हैं। अपनी तूफानी पारियों के लिए फ़ेमस पंत 4 अक्टूबर 1997 को जन्मे थे। उन्होंने छोटी उम्र में भी बड़ा नाम कमाया है। ऋषभ पंत भले ही टेस्ट टीम का हिस्सा न हों लेकिन उन्होंने ऐसे कारनामे कर दिखाए हैं, जो आजतक बड़े-बड़े दिग्गज नहीं कर पाए हैं।
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तेजी से सफलता की सीढ़ी चड़ रहे पंत कि वह टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व तीनों फॉर्मेट- टी20, वनडे और टेस्ट में कर चुके हैं। यही नहीं, पंत आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप में भी इंडिया को रीप्रेसेंट कर चुके हैं। ऐसे में सब उनका ब्राइट फ्युचर ही देख रहे हैं।
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पंत उत्तराखंड के रुड़की में पैदा हुए। उनके लिए आज इस मुकाम पर पहुंचना कभी इतना आसान नहीं था। वह जिस समय क्रिकेट खेलना सीख रहे थे, तब उत्तराखंड में क्रिकेट का कोई भविष्य नहीं था। उनके लिए दिल्ली में बड़ा मौका था। दिल्ली में पंत शिखर धवन, आकाश चोपड़ा, आशीष नेहरा, अतुल वासन, अजय शर्मा और अंजुम चोपड़ा के गुरु रहे तारक सिन्हा के शरण में आए।
इस तरह तारक सिन्हा से हुई मुलाक़ात
ऋषभ पंत और तारक सिन्हा का एक दिलचस्प किस्सा सामने आया है। दरअसल तारक सिन्हा हमेशा एक टैलेंट हंट का आयोजन करते थे। ये आयोजन उनका क्लब करता था। इसके जरिये ही वह खिलाड़ियों का चयन करते थे। इस टैलंट हंट में पंत अपनी मां के साथ आए थे।
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तब पंत सिर्फ 12 साल के थे। इसके बाद पंत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अंडर-12 टूर्नामेंट में पंत ने तीन शतक लगाए थे। इसकी वजह से उनको मैन ऑफ द टूर्नामेंट का अवार्ड भी मिला था। आज जिस मुकाम पर ऋषभ पंत हैं, वहां तक पहुंचना उनके लिए कभी आसान नहीं था।
ठहरे थे गुरुद्वारे में, खाया था लंगर
रुड़की से दिल्ली आए पंत राष्ट्रीय राजधानी में किसी को नहीं जानते थे। उनका ठहरने का भी कोई इंतजाम नहीं था। मगर वह अपने सपने को साकार करना चाहते थे, जिसकी वजह से वह मोतीबाग के गुरुद्वारे में भी रहे और यहां लंगर खाकर वो अपना काम चलाते थे। उनकी मां गुरुद्वारे में सेवा करती थीं।
2 साल पहले पिता को खोया
ऋषभ पंत जब 2017 का आईपीएल खेल रहे थे उन्हें पिता राजेंद्र पंत की मौत की खबर मिली। पिता को बुधवार को रुड़की स्थित घर में दिल का दौरान पड़ा था। पंत तुरंत रुड़की रवाना हो गए। पिता के अंतिम संस्कार से लौटकर पंत शुक्रवार को टीम से जुड़ गए। उन्होंने टीम के अगले मैच में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ 33 गेंदों पर अर्धशतक जड़ा और 36 गेंद पर 57 रन बनाए। पंत ने इस पारी में 3 चौके व 4 छक्के जड़े।
राजस्थान ने नहीं किया सम्मान
दिल्ली में कंपीटिशन ज्यादा होने की वजह से तारक सिन्हा ने उनको राजस्थान जाने की सलाह दी। उन्होंने ऐसा किया भी। अंडर-14 और अंडर-16 स्तर के टूर्नामेंट पंत ने राजस्थान में ही खेले। हालांकि, उनके ऊपर हमेशा से बाहरी होने का ठपा लगा।
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राजस्थान से उनको कभी वो सम्मान और प्यार नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे। राजस्थान में उनके खेलने की संभावनाए खत्म हो गई थीं, जबकि यहीं उन्होंने महिपाल लोमरोर (वर्तमान में राजस्थान क्रिकेट टीम के कप्तान) के साथ मिलकर 'जय-वीरु' की जोड़ी बनाई थी।
रणजी ट्रॉफी में जड़ी थी ट्रिपल सेंचुरी
साल 2015 में पंत ने रणजी क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। यहां से उनकी जिंदगी बादल गई। 2016-17 का सीजन उनकी जिंदगी का सबसे यादगार सीज़न था। इस सीज़न में ऋषभ पंत ने 8 मैचों में 81 के औसत से 972 रन बनाए। 2016-17 वहीं सीज़न है, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र के खिलाफ तिहरा शतक जड़ा था।