Tokyo Olympics: बैन के बाद भी ओलंपिक में खेल रहे रूस के खिलाड़ी, जानें क्या है मामला

Tokyo Olympics: WADA द्वारा बैन लगाए जाने के बाद भी रूस के खिलाड़ी ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update: 2021-07-28 13:27 GMT

टोक्यो ओलंपिक (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Tokyo Olympics: नियम किस तरह तोड़े मरोड़े जाते हैं इसका एक बड़ा उदाहरण टोक्यो ओलिंपिक है। इस बार के ओलिंपिक में रूस को हिस्सा लेने की अनुमति नहीं है क्योंकि दिसंबर 2019 में वर्ल्ड एंटीडोपिंग एजेंसी (World Anti‑Doping Agency- WADA) ने रूस पर चार साल के लिए किसी भी इंटरनेशनल इवेंट (International Event) में भाग लेने पर प्रतिबन्ध (Restrictions) लगा दिया था और इन इवेंट्स में टोक्यो ओलिंपिक और 2022 का फुटबाल वर्ल्ड कप (Football World Cup) शामिल है।

ये तो हुई नियम की बात लेकिन सच्चाई ये है कि टोक्यो ओलिंपिक में रूस के 335 खिलाड़ी विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में भाग ले रहे हैं। डोपिंग की सजा के नाम पर खिलाड़ी रूस का नाम, झंडा और राष्ट्र गान का उपयोग नहीं कर सकते हैं। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि रूसी दल 'आरओसी' यानी 'रशियन ओलिंपिक कमेटी' के बैनर तले प्रतिस्पर्धा में भाग ले रहा है।

इस बार की पदक तालिका में भी पदकों की संख्या आरओसी के आगे दी गयी है। रूसी खिलाड़ी अपने पहचान भी बनाये हुए हैं और वे सब रूसी झंडे के रंगों वाली ड्रेस अवश्य पहने हुए हैं। 

(फोटो साभार-  ट्विटर)

क्यों लगा है प्रतिबन्ध

रूस दुनिया के टॉप खेल राष्ट्रों में शामिल है। दिसंबर 2019 में वर्ल्ड एंटीडोपिंग एजेंसी (WADA) ने रूस पर चार साल के लिए ओलिंपिक और फीफा वर्ल्ड फुटबाल कप (FIFA World Football Cup) समेत किसी भी इंटरनेशनल इवेंट में भाग लेने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। ये प्रतिबन्ध इस खुलासे के बाद लगा जिसमें बताया गया था कि रूस अपने यहां खिलाड़ियों की डोपिंग कराता है।

दरअसल, कई बरसों से जांचकर्ता और व्हिसलब्लोअर रूस पर एक व्यापक डोपिंग प्रोग्राम (Doping Program) चलने का आरोप लगाते रहे थे। इसके चलते तमाम अंतर्राष्ट्रीय फेडरेशनों ने रूसी खिलाड़ियों को बड़े खेल इवेंट्स में भाग लेने पर रोक लगा दी थी।

कई तरह की जांच के बाद सितम्बर 2018 में 'वाडा' ने रूसी एथलीटों पर लगी रोक इस शर्त के साथ हटा दी कि वह मास्को स्थित प्रयोगशाला से अपने एथलीटों का डेटा डोपिंग नियामकों को सौंप देगा। इसका मकसद ये था कि इस डेटा की छानबीन से पता लगाया जा सकेगा कि रूस के किन एथलीटों ने खेल इवेंट्स में बेईमानी की है। बाद में रूस पर डेटाबेस में गड़बड़ी करने का आरोप लगा और अंततः 'वाडा' ने उस पर चार साल का प्रतिबन्ध लगा दिया। 

यूलिया स्टेपानोवा (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कहां से हुआ था खुलासा

रूस के डोपिंग मामले के खुलासे की शुरुआत 2014 में हुई जब रूसी धाविका यूलिया स्टेपानोवा (Yuliya Stepanova) और उसके पति विताली ने जर्मनी की एक डाक्यूमेंट्री फिल्म में सामने आ कर बताया कि रूस किस तरह खिलाड़ियों की डोपिंग करता है और किस तरह जांच नमूने बदल दिए जाते हैं। विताली रूस की एंटीडोपिंग एजेंसी 'रुसाडा' के पूर्व कर्मचारी हैं।

युलिया और विताली के सनसनीखेज खुलासे के दो साल बाद 'रुसाडा' के पूर्व प्रमुख ग्रिगोरी रॉडचेनकोव ने न्यूयॉर्क टाइम को बताया कि रूस एक सुनियोजित और सरकार समर्थित डोपिंग प्रोग्राम चलाता है। उन्होंने कहा कि 2014 के सोची विंटर ओलिंपिक खेलों के दौरान रूस के एंटी डोपिंग एजेंट्स और खुफिया एजेंसियों के लोगों ने एथलीटों के यूरीन सैंपल को प्रयोगशाला में बदल दिया था। ग्रिगोरी ने कहा कि ये काम प्रयोगशाला की दीवार में एक छेद के रास्ते किया गया।

इन सब आरोपों और खुलासों के बाद इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी, वाडा और अन्य इंटरनेशनल खेल महासंघों ने कई तरह की जांचें शुरू कर दीं। इन खुलासों के तत्काल बाद 2015 में रूस की एंटी डोपिंग प्रयोगशाला की मान्यता सस्पेंड कर दी गयी। ब्राजील के रिओ ओलिंपिक में भाग ले रहे रूस के 389 खिलाड़ियों में से 111 को आईओसी ने हटा दिया। इनमें रूस की समूची ट्रैक एवं फील्ड टीम शामिल थी।

जांच आगे बढ़ने पर आईओसी ने रूस पर 2018 साउथ कोरिया विंटर ओलिंपिक खेलों में भाग लेने पर प्रतिबन्ध लगाने की सिफारिश की। विभीन खेल महासंघों की दरियादिली पर बाद में रूस के 168 खिलाड़ियों को अनुमति दी गयी लेकिन उनको रूसी झंडा फहराने पर रोक लगी गयी।

2020 में खेलों सम्बन्धी मध्यस्थता न्यायालय ने रूस पर प्रतिबन्ध चार साल से घटा कर दो साल कर दिया। साथ में ये भी कहा कि जिन देशों ने 'वाडा' पर हस्ताक्षर किये हैं उनके द्वारा आयोजित इवेंट्स में रूस की अधिकारिक टीम भाग नहीं ले सकेगी। बहरहाल रूस पर लगा प्रतिबन्ध 16 दिसंबर 2022 में समाप्त होगा। 

ओलंपिक (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

क्या है ताजा स्थिति

ताजा स्थिति ये है कि प्रतिबन्ध के बावजूद रूस के 335 एथलीट टोक्यो ओलिंपिक में भाग ले रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि ये खिलाड़ी रशियन ओलिंपिक कमेटी (Russian Olympic Committee- ROC) के बैनर तले खेलों में शामिल हैं। कुल मिला कर डोपिंग की सजा यही है कि खिलाड़ी रूस का नाम, झंडा और राष्ट्र गान का उपयोग नहीं कर सकते हैं।

वर्ल्ड एंटीडोपिंग एजेंसी 'वाडा' के प्रेसिडेंट विटोल्ड बंका का कहना है कि मध्यस्थता अदालत द्वारा प्रतिबन्ध की अवधि चार सल से घटा कर दो साल किया जाना निराशाजनक है। ये दुर्भाग्य है कि मध्यस्थता अदालत ने रूसी एथलीटों को रूसी झंडे के रंगों वाली ड्रेस पहन कर खेल में भाग लेने की अनुमति दे रखी है। रशियन ओलिंपिक कमेटी वही संस्था है जो संभी खेलों में रूसी एथलीट भेजती है।

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