NDA में एक और सियासी दल की जल्द होगी एंट्री, गठबंधन टूटने से लोकसभा चुनाव में लगा था बड़ा झटका

Tamil Nadu Politics: सियासी सूत्रों का कहना है कि एआईएडीएमके की भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए में वापसी हो सकती है। तमिलनाडु में 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं मगर उससे पूर्व ही एआईडीएमके भाजपा के साथ हाथ मिला सकती है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-07-21 08:43 IST

पीएम मोदी (Pic: Social Media)

Tamil Nadu Politics: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से इस बार काफी मेहनत किए जाने के बावजूद लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में भाजपा एक भी सीट हासिल नहीं कर सकी। हालांकि पार्टी के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है और पार्टी ने इस बार राज्य में 11 फ़ीसदी से अधिक वोट हासिल किए हैं। इससे पूर्व तमिलनाडु में भाजपा का एआईएडीएमके के साथ गठबंधन रहा है मगर इस बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई से नाराजगी के कारण एआईडीएमके ने अलग चुनाव लड़ा था। वैसे एआईडीएमके भी लोकसभा चुनाव में बुरी तरह नाकाम साबित हुई है और पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली।

अब जानकार सियासी सूत्रों का कहना है कि एआईएडीएमके की भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए में वापसी हो सकती है। तमिलनाडु में 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं मगर उससे पूर्व ही एआईडीएमके भाजपा के साथ हाथ मिला सकती है। एआईडीएमके के साथ आने पर भाजपा को उच्च सदन में भी लाभ मिलेगा। राज्यसभा में एआईडीएमके के चार सांसदों की मदद से भाजपा कई महत्वपूर्ण विधेयक पास कराने में कामयाब हो सकती है।

लोकसभा चुनाव में दोनों दलों को लगा था झटका

लोकसभा चुनाव में इस बार तमिलनाडु में इंडिया गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सभी 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। द्रमुक 22 और कांग्रेस 9 सीटों पर जीतने में कामयाब रही थी। जयललिता के दौर में राज्य की राजनीति में प्रभुत्व रखने वाली पार्टी एआईडीएमके का खाता भी नहीं खुला था। दूसरी ओर भाजपा भी तमाम कोशिशों के बावजूद राज्य में एक सीट भी नहीं जीत सकी थी। हालांकि भाजपा की स्थिति मजबूत बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के कई दौरे किए थे।

लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके और भाजपा दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। एआईएडीएमके और भाजपा का पहले राज्य में गठबंधन था मगर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई के बयानों और क्रियाकलापों से खफा होकर एआईएडीएमके पिछले साल अक्टूबर में एनडीए से अलग होने का फैसला किया था। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद तमिलसाई सुंदरराजन जैसे भाजपा के प्रदेश स्तर के कई नेता एआईएडीएमके से अलग चुनाव मैदान में उतरने के पार्टी के फैसले पर सवाल उठा चुके हैं।

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी गठबंधन के पक्ष में

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से भी तमिलनाडु में मिली हार का की समीक्षा की गई है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का भी मानना है कि एआईएडीएमके के साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर बेहतर नतीजे हासिल किए जा सकते थे। भाजपा ने इस बार तमिलनाडु में 11.4 फीसदी वोट हासिल किए हैं।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में जरूर कामयाब रही है मगर सीटें जीतने के लिए यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि एआईएडीएमके तमिलनाडु में भाजपा की स्वाभाविक साझीदार है और दोनों दलों को साथ आने में कोई समस्या नहीं होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों दलों के बीच एक बार फिर गठबंधन हो सकता है।

विधानसभा चुनाव में भी दोनों दलों को होगा फायदा

जानकारों का कहना है कि एआईडीएमके भी राज्य में अपनी सियासी स्थिति मजबूत बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिलाने में परहेज नहीं करेगी। द्रमुक की चुनौतियों का सामना करने के लिए एआईडीएमके को भी भाजपा से मदद की दरकार है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी इस सच्चाई को गंभीरता से महसूस कर रहे हैं।

तमिलनाडु में 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाला है। लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद इंडिया गठबंधन के हौसले काफी बुलंद हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन की चुनौतियों से निपटने के लिए एआईडीएमके की एक बार फिर एनडीए में वापसी हो सकती है।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि हालांकि अभी तक एआईडीएमके के साथ एनडीए में वापसी के संबंध में बातचीत शुरू नहीं हुई है मगर इस बातचीत में कोई समस्या नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि एआईएडीएमके और भाजपा दो दशक से अधिक समय से साझीदार रह चुके हैं और दोनों ओर से इसे फिर से कायम करने की जरूरत महसूस की जा रही है।

राज्यसभा में बढ़ जाएगी एनडीए की ताकत

एआईडीएमके के साथ आने से भाजपा को उच्च सदन में भी काफी फायदा होगा और एनडीए की ताकत बढ़ जाएगी। राज्यसभा में एआईडीएमके के चार सांसद हैं और ऐसी स्थिति में महत्वपूर्ण विधेयकों पर एनडीए को इन सांसदों का समर्थन हासिल होगा।

जानकारों का यह भी कहना है कि एआईडीएमके की एनडीए में वापसी से पहले भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अपने प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई की भूमिका पर भी विचार करना पड़ सकता है। माना जा रहा है कि एआईडीएमके नेताओं को संतुष्ट करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से इस दिशा में कोई कदम जरूर उठाया जाएगा।

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