Bulandshahar Famous Food: खुर्जा का खुरचन नहीं खाया तो क्या खाया, इसे चखने दूर-दूर से आते हैं लोग
Bulandshahar Khurchan of Khurja: बुलन्दशहर जिले से लगभग 35 किमी दूर खुर्जा अपने जीवंत मिट्टी के बर्तनों की संस्कृति के कारण "सिरेमिक सिटी" के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ के क्राकरी बहुत प्रसिद्ध हैं। बताते हैं कि बोन चीन के बर्तन यूपी में खुर्जा की ही देन हैं। यहाँ के बोन चीन के कप-प्लेट दूर-दूर तक जाते हैं।
Bulandshahar Famous Food: उत्तर प्रदेश अपनी विविध और स्वादिष्ट मिठाइयों के लिए प्रसिद्ध है। इस सूबे की पाक विरासत विभिन्न प्रकार की पारंपरिक मिठाइयों को समेटे हुए है जो न केवल क्षेत्र के भीतर बल्कि पूरे भारत में लोकप्रिय हो गई हैं। बात मथुरा की पेड़े की करें या आगरा का पेठे की, या फिर लखनऊ के मलाई की गिल्लौरी की, इन सभी मिठाइयों का स्वाद दूर-दूर तक फैला है।
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इसी क्रम में एक और मिठाई का नाम आता है और वो है खुर्जा की खुरचन का। बुलन्दशहर जिले से लगभग 35 किमी दूर खुर्जा अपने जीवंत मिट्टी के बर्तनों की संस्कृति के कारण "सिरेमिक सिटी" के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ के क्राकरी बहुत प्रसिद्ध हैं। बताते हैं कि बोन चीन के बर्तन यूपी में खुर्जा की ही देन हैं। यहाँ के बोन चीन के कप-प्लेट दूर-दूर तक जाते हैं।
क्या है खुरचन का इतिहास?
बताया जाता है कि खुर्जा के खुरचन का इतिहास 100 वर्षों से भी ज्यादा पुराना है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस इलाके में दूध ज्यादा होने के कारण एक स्थानीय हलवाई ने 100 साल पहले दूध की कुछ अलग मिठाई बनाने की सोची। और उस सोच का नतीजा निकला खुरचन। आप खुरचन नाम से यह मत सोचिये कि कढ़ाई में बचे हुए खोये को खुरच कर जो मिठाई तैयार हो उससे खुरचन बन जाता है। असल में इसको बनाने की पूरी प्रक्रिया ही बिल्कुल अलग और जटिल होती है।
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क्या है खुरचन बनाने की प्रक्रिया?
खुरचन बनाने के लिए स्थनीय हलवाई पहले एक भारी तले वाले पैन को मध्यम-धीमी आंच पर गर्म करते हैं और उसमे खोया दाल कर लगातार हिलाते हुए पकाते हैं। जैसे-जैसे खोया गर्म होगा, वह पिघलना शुरू कर देगा और अपनी नमी छोड़ने लगेगा। खोया को लगातार चलाते रहते हैं और तब तक पकाते रहते हैं जब तक कि यह गाढ़ा न हो जाए और सुनहरा भूरा न हो जाए। इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है, लेकिन जलने से बचाने के लिए इसे धीरे-धीरे पकाना महत्वपूर्ण है। जब खोया सुनहरा भूरा हो जाता है और पैन के किनारे छोड़ने लगता है तो इसमें चीनी और इलायची पाउडर आदि डाल कर अच्छे से मिलाया जाता है। मिश्रण गाढ़ा होता रहेगा और पैन के किनारों को छोड़ता रहेगा। इस अवस्था में खोया थोड़ा भुरभुरा और दानेदार हो जाएगा। इसके बाद पैन को आंच से उतार कर खुरचन मिश्रण को थोड़ा ठंडा होने दिया जाता है। खुरचन मिश्रण के छोटे-छोटे हिस्सों को गोल आकार देकर उन्हें मिठाई के रूप में परोसा जाता है।
क्या होती है खुरचन की कीमत?
आमतौर पर खुरचन की कीमत 350 रुपये से लेकर 400 रुपये प्रति किलो होती है। हालांकि हर दुकान पर एक कीमत नहीं होता है। यह अलग-अलग दुकानों पर अलग-अलग हो सकता है। इसके अलावा त्यौहार के मौसम में कुछ दुकानों पर खुरचन की कीमत में इजाफा भी हो जाता है।
लखनऊ और दिल्ली से कैसे पंहुचे खुर्जा
खुर्जा रेल और रोड रूट दोनों से जुड़ा हुआ है। यह देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 50 किमी की दुरी पर स्थित है। दिल्ली से यहाँ जाना बहुत ही आसान है। दिल्ली से बुलन्दशहर के लिए ट्रेन और बस दोनों है। वहां से खुर्जा कुछ ही दुरी पर स्थित है। वैसे खुर्जा रेल मार्ग से दिल्ली से जुड़ा हुआ है। लखनऊ से यहाँ की दुरी थोड़ी ज्यादा है लेकिन वहां से भी रेल अथवा रोड दोनों माध्यम से खुर्जा आसानी से पंहुचा जा सकता है।