Chhattisgarh Tirathgarh Waterfall: यहां पर सबसे खूबसूरत झरना, झाग में बदला पानी पर्यटकों को करता है भीगने के लिए आकर्षित

Chhattisgarh Tirathgarh Waterfall: कांगेर नदी की सहायक नदी मुनगा और बहार नदी से इस झरने का निर्माण हुआ है। इस झरने का पानी करीब 300 फीट की चन्द्राकार रूप से बनी पहाड़ी से नीचे प्राकृतिक रूप से बने सीढ़ी नुमा तल पर गिरता है ।

Update:2023-09-04 09:10 IST
Chhattisgarh Tirathgarh Waterfall (photo: social media)

Chhattisgarh Tirathgarh Waterfall: भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित तीरथगढ़ वाटरफॉल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है। छत्तीसगढ़ राज्य हरे भरे जंगलों और खूबसूरत झरनों के लिए प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में जगदलपुर से करीब 35 किमी दूर स्थित यह झरना इस राज्य का सबसे ऊंचा झरना है। कांगेर नदी की सहायक नदी मुनगा और बहार नदी से इस झरने का निर्माण हुआ है। इस झरने का पानी करीब 300 फीट की चन्द्राकार रूप से बनी पहाड़ी से नीचे प्राकृतिक रूप से बने सीढ़ी नुमा तल पर गिरता है । पानी तल पर गिरते ही सफेद झाग में बदल जाता है और अपनी ओर पर्यटकों को भीगने के लिए आकर्षित करता है।

छत्तीसगढ़ का फेमस वाटरफ़ॉल

ऐसा माना जाता है कि शायद किसी भूकंप के कारण नदी की चट्टानें करोड़ो वर्ष पूर्व घाटी में धसने से सीढ़ी नुमा रूप ले लिया। इस चट्टान पर गिरता हुआ नदी का पानी झरने का आकर्षक और मनमोहक रूप लेकर पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है ।

Full View

तीरथगढ़ के इस झरने में साल भर पानी एक समान गिरता रहता है और चारों तरफ हरियाली वाला वातावरण रहता है, इसलिए आप किसी भी महीने में यहां घूमने का प्लान बना सकते हैं । वैसे झरने के पास स्थित शिव पार्वती मंदिर श्रावण महीने में श्रद्धालुओं के लिए भी एक खास मौका रहता है।

युवा दंपतियों और प्रेमी युगल के लिए यह जगह एक रोमांटिक माहौल बनाके रहता है। फोटो शौकीन लोगों के लिए भी यह जगह अपनी ओर खींच लाती है।

वैसे अधिकतर सैलानी अक्टूबर से फरवरी महीने में अनुकूल मौसम होने से यहां आना ज्यादा पसंद करते हैं।

तीरथगढ़ झरने के अलावा यहां कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं जिसे घूम सकते हैं :

कुटुमसर गुफा –

कांगेर घाटी नेशनल पार्क में स्थित यह गुफा देश की सबसे गहरी गुफा मानी जाती हैं और इसके अंदर अंधी मछलियाँ पाई जाती हैं। इस गुफा के अंदर चूना पत्थर से बनीं हुई आकृतियां देख सकते हैं। इस गुफा के अंदर अंधेरा होने की वजह से टॉर्च या मोबाइल लाइट की सहायता से घूम सकते हैं।

जून से अक्टूबर तक यह गुफा अंदर बारिश का पानी भरा होने के कारण पर्यटकों के लिए बंद होती है। इस गुफा को घूमने का सबसे अच्छा मौसम नवंबर से अप्रैल तक का रहता है।

कैलाश गुफा -

यह गुफा घने जंगलों के बीच मुख्य सड़क मार्ग से करीब 15 किमी अंदर स्थित है | इस गुफा के अंदर भी कुटुमसर गुफा की तरह चूना पत्थरों से बनी आकृतियां देखने को मिलती हैं। इस गुफा का एक मुख्य आकर्षण यहां के कुछ पत्थरों को बजाने से निकलने वाले संगीत के वाद्य यंत्रों की ध्वनि है।

चित्रकूट जलप्रपात –

इस जलप्रपात को भारत का नियाग्रा भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के जगदलपुर शहर से 38 किमी की दूरी पर इंद्रावती नदी पर यह झरना है।

चित्रधारा जलप्रपात -

यह एक मौसमी झरना है जो केवल बरसात की मौसम में देखने को मिलता है। जगदलपुर से 19 किमी दूर यह झरना बस्तर जिले के खूबसूरत झरनों में से एक है और सैलानियों की पसंदीदा जगह है।

कैसे पहुंचें ?

तीरथगढ़ पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा रायपुर का स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा और ओडिशा का कोरापुट है। यहां से सड़क परिवहन द्वारा झरने तक पहुंच सकते हैं।

यहां पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन जगदलपुर है । जिधर पहुंच कर सड़क मार्ग से इस झरने तक पहुंचा जा सकता है। यह स्टेशन देश के कई बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से भी रेल, हवाई और सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। राज्य परिवहन की बसें और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं।

यहां ठहरने के लिए निकट के शहरों में अच्छे होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।

इस वाटरफॉल के पास कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है । जैसे इस झरने की ऊंचाई ज्यादा होने से पानी गिरने के जगह से दूर खड़े रहें।

कई पत्थरों पर काई जमा होने से फिसलन वाले हालात होते हैं, वहां सावधान रहें। तैरने की कोशिश न करें, दुर्घटना की संभावना रहती है।

ये झरने घने जंगलों के अंदर स्थित हैं और इधर अकेले घूमने ना जाएं।

प्रशासन के दिए निर्देशों का पालन कर और सावधानियां बरत कर आप इन जगहों का मजा दुगुना कर सकते हैं।

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