Gorakhpur Shri Krishna Temples: गोरखपुर के इन कृष्ण मंदिरों में धूमधाम से मनायी जाती है जन्माष्टमी, आप भी जरूर जाएँ
Gorakhpur Famous Shri Krishna Temples: समूचे उत्तर भारत की तरह गोरखपुर में भी जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। चुकि भगवन कृष्ण का जन्म जेल में हुआ था इसलिए यहाँ के सभी पुलिस लाइन में तो जन्माष्टमी हर्षोल्लास के साथ तो मनाया ही जाता है, शहर के सभी कृष्ण मंदिरों में भी यह पर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर गोरखपुर में घरों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों को रंगीन रंगोली डिजाइनों, फूलों की मालाओं और भगवान कृष्ण की छवियों से खूबसूरती से सजाया जाता है।
Gorakhpur Famous Shri Krishna Temples: जन्माष्टमी, जिसे कृष्णाष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू त्योहार है जिसमे भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है और पूरे भारत और दुनिया भर के हिंदू समुदायों द्वारा बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
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गोरखपुर का फेमस कृष्ण मंदिर
समूचे उत्तर भारत की तरह गोरखपुर में भी जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। चुकि भगवन कृष्ण का जन्म जेल में हुआ था इसलिए यहाँ के सभी पुलिस लाइन में तो जन्माष्टमी हर्षोल्लास के साथ तो मनाया ही जाता है, शहर के सभी कृष्ण मंदिरों में भी यह पर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर गोरखपुर में घरों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों को रंगीन रंगोली डिजाइनों, फूलों की मालाओं और भगवान कृष्ण की छवियों से खूबसूरती से सजाया जाता है। भगवन कृष्ण के शिशु रूप की मूर्तियों के साथ पालने अक्सर मंदिरों और घरों में स्थापित किए जाते हैं।
यदि आप जन्माष्टमी में गोरखपुर जाने का प्लान बना रहे हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। अजा हम इस लेख में गोरखपुर शहर के प्रमुख मंदिरों के बारे में बताएँगे जहाँ जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनायी जाती है।
श्री गोपाल मंदिर, मोहद्दीपुर (Shri Gopal Mandir, Mohaddipur)
गोरखपुर-देवरिया/कसया रोड पर मोहद्दीपुर में स्थित श्री गोपाल मंदिर का जन्माष्टमी के पर्व पर बड़ा ही धार्मिल और आध्यात्मिक महत्व है। यह राधा कृष्ण मंदिर एक अच्छी और मनोरम जगह है। मंदिर में श्री राधा कृष्ण के साथ-साथ अन्य देवता भी हैं, जिनकी पूजा की जाती है। मंदिर के भीतरी दीवार पर भगवान कृष्ण के जीवन की सुंदर रचना की गयी है। मंदिर बहुत बड़ा नहीं है लेकिन शांत और सुन्दर है। यह मंदिर रविवार को छोड़ कर बाकी दिन सुबह 8 बजे से रात के 9 बजे तक खुला रहता है। जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर की छटा देखने लायक होती है। जन्माष्टमी के दिन यहाँ दूर-दूर से भक्त आते हैं और कृष्ण भगवान् के जन्म का साक्षी बनते हैं।
राधा कृष्ण साधना मंदिर, गीता वाटिका (Radha Krishna Sadhna Mandir, Gita Vatika)
राधा कृष्ण साधना मंदिर शहर के असुरन-पिपराइच मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना प्रसिद्ध समाजसेवी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने की थी। यहाँ बीते कई दशक से अनवरत हरी नाम कीर्तन चालू है। इस मंदिर में प्रवेश करते ही आपको कई देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ एक बड़ा हॉल दिखाई देगा। मध्य में मुख्य मूर्तियाँ राधा कृष्ण की हैं। बाईं ओर शिव और पार्वती का गर्भगृह है। दाहिनी ओर, राम दरबार है जिसमें भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी स्थापित हैं। दोनों ओर दो दीर्घाएँ हैं। उत्तर दिशा में आप भगवान गणेश, हनुमानजी और सूर्य की मूर्तियाँ देख सकते हैं। दक्षिण की ओर देवी दुर्गा, राम सीता और मन्मथ सुंदरी के गर्भगृह हैं। जब आप इस मंदिर के चारों ओर चक्कर लगाएंगे/परिक्रमा करेंगे तो आपको सरस्वती कार्तिकेय जी और वेदों के मंदिर और कई हिंदू धर्मग्रंथ अलग-अलग छोटे गर्भगृहों के अंदर रखे हुए दिखेंगे। गेट के प्रवेश द्वार पर ही आपको गीता प्रेस की किताबों की दुकान मिलेगी। जन्माष्टमी के अवसर पर इस मंदिर को भी बहुत ही सुन्दर ढंग से सजाया जाता है।
इस्कॉन मंदिर, तारामंडल (ISKCON Temple, Taramandal)
शहर के तारामंडल के बुद्ध विहार, इंदिरा नगर में स्थित इस्कॉन मंदिर अभी नया है और दो वर्ष पहले ही इसकी स्थापना हुई है। इस्कॉन मंदिर में भी जन्माष्टमी मंदिरों में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। अन्य मंदिरों के उलट यहाँ यह पर्व कुछ अलग तरह से मनाया जाता है। गोरखपुर इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी विस्तृत अनुष्ठानों, भजन, कीर्तन और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाई जाती है। यहाँ सुबह-सुबह भगवान कृष्ण के विग्रह को शुद्धि और भक्ति के प्रतीक के रूप में दूध, शहद, घी और फलों के रस जैसे विभिन्न शुभ तरल पदार्थों से स्नान कराया जाता है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था, इसलिए इस समय विशेष आरती की जाती है। इस खूबसूरत अनुष्ठान को देखने के लिए यहाँ दूर-दूर से भक्त इकट्ठा होते हैं। मंदिर में भगवान कृष्ण के लिए एक सुंदर सजाया हुआ झूला तैयार किया जाता है, और भक्त भजन गाते हुए भगवान को बारी-बारी से झुलाते हैं।