Kanpur History Hindi: समृद्ध है कानपुर का इतिहास, यहां के इन स्थानों की जरूर करें सैर

Kanpur History Hindi: कानपुर उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध शहर है चलिए आज आपको इसके इतिहास और प्रसिद्ध जगह के बारे में बताते हैं।

Update: 2024-03-13 05:19 GMT

Kanpur History And Famous Tourist Place (Photos - Social Media)

Kanpur History And Famous Tourist Place: कानपुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर नगर ज़िले में स्थित एक औद्योगिक महानगर है। यह नगर गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 80 किलोमीटर पश्चिम स्थित यहाँ नगर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है।

कानपुर का इतिहास

कानपुर का मूल नाम 'कान्हपुर' था। नगर की उत्पत्ति का सचेंदी के राजा हिंदूसिंह से, अथवा महाभारत काल के वीर कर्ण से संबद्ध होना चाहे संदेहात्मक हो पर इतना प्रमाणित है कि अवध के नवाबों में शासनकाल के अंतिम चरण में यह नगर पुराना कानपुर, पटकापुर, कुरसवाँ, जुही तथा सीमामऊ गाँवों के मिलने से बना था।



 


कानपुर के पर्यटक स्थल

राधा कृष्ण मंदिर

यह मंदिर जे. के. मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। बेहद खूबसूरती से बना यह मंदिर जे. के. ट्रस्ट द्वारा बनवाया गया था। प्राचीन और आधुनिक शैली से निर्मित यह मंदिर कानपुर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। यह मंदिर मूल रूप से श्रीराधाकृष्ण को समर्पित है। इसके अलावा श्री लक्ष्मीनारायण, श्री अर्धनारीश्वर, नर्मदेश्वर और श्री हनुमान को भी यह मंदिर समर्पित है।

राधा कृष्ण मंदिर


भीतरगांव मंदिर

भीतर गांव, उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित है। यहां गुप्तकालीन एक मंदिर के अवशेष उपलब्ध है जो गुप्तकालीन वास्तुकला के सुंदर नमूनों में से एक है। ईटों का बना यह मंदिर अपनी सुरक्षित तथा उत्तम साँचे में ढली ईटों के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इसकी एक-एक ईट सुंदर एवं आर्कषक आलेखनों से खचित थी। इसकी दो दो फुट लंबे चौड़े खानें अनेक सजीव एवं सुंदर उभरी हुई मूर्तियों से भरी थी। इसकी छत शिखरमयी है तथा बाहर की दीवारों के ताखों में मृण्मयी मूर्तियाँ दिखलाई पड़ती है। इस मंदिर की हजारों उत्खचित ईटें लखनऊ संग्रहालय में सुरक्षित हैं।

भीतरगांव मंदिर


कानपुर मेमोरियल चर्च

कानपुर मेमोरियल चर्च, जिसे लोकप्रिय रूप से ऑल सोल कैथेड्रल के रूप में जाना जाता है, एक प्रभावशाली स्थापत्य कला है, जिसका निर्माण 1875 में उत्तर प्रदेश के कानपुर में 1857 के विद्रोही सिपाही विद्रोह में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले ब्रिटिश सैनिकों के साहस और पराक्रम के लिए किया गया था। वाल्टर ग्रानविले, पूर्व बंगाल रेलवे के पूर्व वास्तुकार, चर्च के उत्तम लोम्बार्डी गोथिक वास्तुकला के लिए जिम्मेदार थे। इमारत बहु-रंग के रंग में सजी जीवंत लाल ईंटों से बनी है। चर्च के आंतरिक भाग में दिल दहलाने वाले स्मारक टेबल, एपिटैफ़ और स्मारक हैं जो उन सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने अपने देश के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था।

कानपुर मेमोरियल चर्च


जगन्नाथ मंदिर बेहटा

यह मंदिर भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। यह मंदिर कानपुर जनपद के भीतरगांव विकासखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर पर बेंहटा गांव में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की खासियत यह है कि बरसात से 7 दिन पहले इसकी छत से बारिश की कुछ बूंदे अपने आप ही टपकने लगती हैं। हालांकि इस रहस्य को जानने के लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं पर तमाम सर्वेक्षणों के बाद भी मंदिर के निर्माण तथा रहस्य का सही समय पुरातत्व वैज्ञानिक पता नहीं लगा सके। बस इतना ही पता लग पाया कि मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था। उसके पहले कब और कितने जीर्णोद्धार हुए या इसका निर्माण किसने कराया जैसी जानकारियां आज भी अबूझ पहेली बनी हुई हैं, लेकिन बारिश की जानकारी पहले से लग जाने से किसानों को जरूर सहायता मिलती है।

जगन्नाथ मंदिर बेहटा


नाना राव पार्क

नाना राव पार्क फूल बाग से पश्चिम में स्थित है। 1857 में इस पार्क में बीबीघर था। आज़ादी के बाद पार्क का नाम बदलकर नाना राव पार्क रख दिया गया।

नाना राव पार्क


प्राणी उद्यान

कानपुर जूलॉजिकल पार्क, कानपुर भारत के सबसे पुराने जूलॉजिकल पार्क में से एक है। यह 4 फरवरी, 1974 को जनता के लिए स्थापित और खोला गया है। जूलॉजिकल पार्क का क्षेत्र लगभग 76.56 हेक्टेयर है। यह एक मानव निर्मित जंगल में स्थापित है। पार्क का इलाका अपर्याप्त है और एक उच्च जंगल जैसा दिखता है। यह उन जूलॉजिकल पार्क में से एक है जो आधुनिक चिड़ियाघर निर्माण सिद्धांतों पर बनाया गया है। जूलॉजिकल पार्क में रहने वाले जानवरों को खुले और मोटे बाड़ों में रखा गया है। मोटे बाड़े जानवरों को अपने जैविक और शारीरिक अभिव्यक्तियों को व्यक्त करने में मदद करते हैं।

प्राणी उद्यान


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