Kedarnath Dham Yatra Service: बाप रे बाप! केदारनाथ में खच्चर-घोड़े कर रहे हेलीकॉप्टर से भी ज़्यादा कमाई, एक महीने में कमाए करोड़ों
Kedarnath Dham Yatra: पहली बार केदारनाथ धाम में घोड़ा-खच्चर मालिकों ने हेलीकॉप्टर से भी ज़्यादा कमाई की है जो करीब 1 अरब 9 करोड़ 28 लाख रुपये का रिकॉर्ड कारोबार है।
Kedarnath Dham Yatra Service: केदारनाथ धाम बारिश के मौसम में भी श्रद्धालुओं से भरा रहता है। लोग यहाँ भारी संख्या में आते हैं साथ ही भोले बाबा का आशीर्वाद पाने के लिए हर साल भक्त दूर दूर से आते हैं। वहीँ इस साल कुछ ऐसा हुआ जिसने प्रशासन और लोगों को हैरान कर दिया है दरअसल पहली बार केदारनाथ धाम में घोड़ा-खच्चर मालिकों ने हेलीकॉप्टर से भी ज़्यादा कमाई की है जो करीब 1 अरब 9 करोड़ 28 लाख रुपये का रिकॉर्ड कारोबार है। जिसने सरकार को आठ करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व दिया है। इन आकड़ों ने सभी के होश उड़ा दिए हैं।
केदारनाथ में खच्चर और घोड़े कर रहे हेहेलीकॉप्टर से भी ज़्यादा कमाई
सोशल मीडिया पर केदारनाथ धाम के कई वीडियो वायरल होते रहते हैं जिसमे हम खच्चरों और घोड़ों की स्थिति साफ़ तौर पर देख सकते हैं। शायद ही कोई होगा जिसका मन इन वीडियोस को देखकर नहीं पसीजा होगा। बारिश से लेकर हर मौसम में इन खच्चरों को लगातार नीचे से ऊपर की चढ़ाई करनी पड़ती है जिसमे कई अपनी जान तक गवा देते हैं। साथ ही इनके मालिक काफी मोटी कमाई करते हैं। जितना हेलीकाप्टर भी नहीं कमाते उतना इन बेज़ुबान जानवरों ने कमा तो लिया लेकिन बदले में इन्हे सिर्फ भूखा रहना और प्रताड़ना ही मिलती है।
आपको बता दें कि गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) के एमडी बंसीधर तिवारी ने इस विषय पर बात करते हुए कुछ आकड़ों को मीडिया से शेयर करते हुए कहा कि,"हिमालयी राज्य ने इस साल केदारनाथ और यमुनोत्री यात्रा से लगभग 211 करोड़ का शानदार कारोबार किया है।" जानकारी के मुताबिक उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिले के प्रशासन ने 4,302 घोड़ा मालिकों के 8,664 खच्चरों का पंजीकरण कराया गया था। वहीँ अगर तीर्थयात्रियों की बात करें तो एक सीजन में ही लगभग 5.34 लाख तीर्थयात्रियों ने खच्चरों और घोड़ों की सवारी केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान की है।
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इतना ही नहीं जहाँ हेलीकॉप्टर कंपनियों ने इस सीजन 85 करोड़ रूपए की कमाई की वहीँ घोड़ा-खच्चर कंपनियों ने 100 करोड़ रूपए से ऊपर का कारोबार किया है। भले ही केदारनाथ धाम के कपाट गुरुवार सुबह शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। लेकिन क्या इन खच्चरों और घोड़ों की प्रताड़ना का दौर ख़त्म हो जायेगा शायद नहीं। फिलहाल प्रशासन जहाँ एक ओर इस कमाई से खुश है वहीँ इन बेज़ुबानों की हालत के लिए लोगों को भी आगे आना चाहिए जिससे इनकी दशा में कुछ सुधार हो सके।