Meenkulathi Bhagavathi Amman Temple: केरल के मीनकुलथी भगवती अम्मा मंदिर में हर इच्छा होती है पूरी, ऐसे हुई थी स्थापना
Meenkulathi Bhagavathi Amman Temple: यह मंदिर केरल राज्य के पलक्कड़ जिले में पड़ता है, जो कि यहां का सबसे पुराना मंदिर है।
Meenkulathi Bhagavathi Amma Temple: दक्षिण भारत के केरल राज्य के पलक्कड़ जिले के एक गांव पल्लासाना में मीनकुलथी भगवती अम्मा मंदिर (Meenkulathi Bhagavathi Amma Temple) स्थित है। यह यहां का सबसे पुराना मंदिर है। मीन कुलथी का अर्थ है "वह जिसके पास मछली का तालाब है"। ऐसी मान्यता है कि सदियों पहले वीरशैव मन्नाडियार कबीले से संबंधित तीन परिवारों ने यहां देवी मीनाक्षी की अपने देवता के रूप में पूजा की थी।
ऐसे हुई मंदिर की स्थापना
इस मंदिर की स्थापना तमिलनाडु के चिदंबरम में रहने वाले मन्नाडियार के परिवार ने की थी। ऐसा कहा जाता है कि इस परिवार ने एकबार व्यावसायिक कारोबार में सब कुछ खोने के बाद तमिलनाडु से केरल जाने का फैसला किया। केरल जाने से पहले उस परिवार ने अपने कुल देवी मदुरै की मीनाक्षी मंदिर जाकर उनके दर्शन किए और वहां से पूजा करने के लिए एक पत्थर लेकर गए। जब तक हो सका उस परिवार का मुखिया मीनाक्षी मंदिर जाकर दर्शन कर आता था। लेकिन वृद्धावस्था में जाना मुश्किल हो गया तो वह अपना छत्र और दिव्य पत्थर तालाब के किनारे रख उसमें स्नान करने के लिए गया। मन ही मन अपने बुढ़ापे के कारण पछता रहा था कि वह फिर से मदुरै नहीं जा पाएगा और जब वह स्नान कर बाहर आया तो वहां से छत्र और पत्थर दोनों नहीं उठा सका। वे छत्र और पत्थर दोनों जमीन से जुड़े हुए थे और गांव वालों को लगा कि देवी ने अपना यहां स्थान ग्रहण कर लिया है। तब से उस जगह के प्रति गांव वालों की आस्था मजबूत होती चली गई।
कभी नहीं पड़ती मंदिर के दीवार की परछाई
ऐसा कहा जाता है कि केरल शैली में बनाए गए इस मंदिर के दीवार की परछाई कभी जमीन पर नहीं पड़ती। इस मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं, एक उत्तर और दूसरा पश्चिम में। मंदिर के पश्चिमी प्रवेश द्वार के बगल में एक तालाब है। भक्तों का विश्वास है कि इस तालाब में स्नान करने से सभी पुरानी बीमारियां दूर हो जाती हैं। इस तालाब में प्रचुर मात्रा में मछली देखने को मिलेंगे।
सागवान की लकड़ी से बना ध्वजस्तंभ भक्तों को पार करना पड़ता है, फिर गर्भगृह में मीनाक्षी अम्मा की एक बड़ी मूर्ति अपने मनमोहक छवि से सभी को आकर्षित करती प्रतीत होती है। भक्तों को गर्भगृह के आसपास घूमने की अनुमति नहीं है। मुख्य मूर्ति के चारों ओर, सप्त मठ है जिसमें ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, इंद्राणी, चामुंडी और वाराही देवियों की मूर्ति विराजमान है।
आठ दिवसीय मासी उत्सव में रामायण और कथकली के खास कार्यक्रम यहाँ आयोजित किए जाते हैं। नवरात्रि, कार्तिगई, मंडल विलक्कू, मासी थिरुविज़ा, पल्लीवेट्टाई और भैरव पूजा इस मंदिर में खासकर के बड़े उत्सव की तरह मनाए जाते हैं। इन उत्सवों के दौरान तलवार और दीप की शोभायात्रा निकाली जाती है।
मीनकुलथी भगवती मंदिर के दर्शन का समय सुबह 5:30 से 11.30 बजे फिर शाम 5.30 से 7 बजे तक है। मंदिर का समय, सेवा, पूजा का समय उत्सव और नवरात्रि में बदल सकता है।
अनूठी संरचना से बने इस मंदिर की पूजा पद्धति गांव के मूल निवासियों के बीच काफी लोकप्रिय है। केरल के साथ साथ तमिलनाडु राज्य से भी भक्तों काफ़ी तादाद में दर्शन के लिए इस जगह आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है।
अन्य दर्शनीय स्थल
दक्षिण भारत में केरल के 14 जिलों में से पलक्कड़ एक जिला है। ब्रिटिश काल में यह पालघाट के नाम से प्रचलित था। केरल के सातवें सबसे अधिक आबादी वाले इस शहर को पलक्कट्टुसरी के नाम से भी जाना जाता है। पलक्कड़ केरल के उत्तर में स्थित है और इसका प्रवेश द्वार भी माना जाता है। पलक्कड़ दो मलयालम शब्दों -पाला मतलब बंजर और कडू मतलब जंगल से बना है। इसे 'केरल का अन्न भंडार' भी कहा जाता है। घाटियों, पहाड़ियों, नदियों, जंगलों से घिरा यह जगह पर्यटकों का आकर्षण केंद्र रहता है।
पलक्कड़ किला (Palakkad Fort)
यह किला केरल के सबसे खूबसूरत संरक्षित किलों में से एक है। 1766 में बने इस किले का निर्माण मैसूर के हैदर अली और उनके बेटे टीपू सुल्तान ने करवाया था। इस किले को टीपू का किला भी कहा जाता है। 1790 में किले को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा पुनर्निर्माण किया गया । इस किले की देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है।
मलमपुझा बांध (Malampuzha Dam)
मलमपुझा बांध पर बने गार्डन को केरल का वृंदावन भी कहा जाता है। यहाँ हरे-भरे बगीचे के अलावा अनगिनत फूलों की प्रजातियां, ताल और फव्वारे हैं। नौका विहार के अलावा यहां पर्यटक रोप वे और मछली पकड़ने का आनंद भी ले सकते हैं।
साइलेंट वैली नेशनल पार्क (Silent Valley National Park)
नीलगिरि पहाड़ियों में स्थित यह नेशनल पार्क पर्यटकों का आकर्षण केंद्र है। 1847 में वनस्पति विज्ञानी रॉबर्ट वाइट ने इस जगह की खोज की थी। 2007 में यूनेस्को द्वारा इसे विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी गई।
परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य (Parambikulam Tiger Reserve)
पेड़ पौधों, जीव जंतुओं से घिरा यह अभयारण्य वन्यजीव बाघों के लिए आरक्षित है । सन् 2009 में इसे टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित किया गया। पर्यटक यहां जंगल सफारी का मज़ा ले सकते हैं ।साथ ही कई दुर्लभ प्रजातियों को भी यहां देखने का मौका मिलता है।
कलपथी मंदिर (Kalpathy Temple)
इसे श्री विशालाक्षी या श्री विश्वनाथस्वामी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। 15वीं शताब्दी में बना यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां नवंबर के महीने में राठोलस्वम जैसा बड़ा त्योहार मनाया जाता है जो सात दिनों तक चलता है।
जैनमेडु जैन मंदिर (Jainimedu Jain Temple)
जैनमेडु में स्थित इस जैन मंदिर का निर्माण15वीं शताब्दी में किया गया था । 500 साल पहले इस मंदिर का निर्माण जैन मुनि इन्चन्ना सतुर ने जैन संत चंद्रनाथस्वामी के लिए करवाया था। पलक्कड़ में रहने वाले जैन परिवारों के अलावा देश के अन्य जगहों के जैन समुदाय का भी यह तीर्थस्थल है।
कैसे पहुंचे?
पलासेना गांव केरल के पलक्कड़ शहर से लगभग 18 किमी दूरी पर है। तमिलनाडु के कोयम्बटूर शहर यह स्थान 70 किमी दूर है। इस जगह पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा कोयंबटूर है। यह हवाई अड्डा चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई, बैंगलोर, कोचीन, पुणे, भुवनेश्वर, विशाखापत्तनम, शारजाह, बैंकॉक, सिंगापुर और अहमदाबाद से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
निकटतम रेलवे स्टेशन पलक्कड़ जंक्शन, पलक्कड़ पहुंचने के लिए केरल और पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रेल मार्ग से कोयंबटूर पहुंच कर सड़क मार्ग से इस जगह पहुंचा जा सकता है।
पलक्कड़ और कोयंबटूर से इस स्थान के लिए सरकारी और अन्य निजी बसें भी चलती हैं। आप टैक्सी से भी इस जगह पहुंच सकते हैं। हरे-भरे धान के खेतों और नारियल की खेती के बीच पल्लसाना की सड़क यात्रा एक यादगार सफर रहेगी।
घूमने के लिए सही समय
अक्टूबर से मार्च तक का महीना यहां घूमने के लिए अनुकूल रहता है। वैसे देवी के दर्शन के लिए साल भर लोग आते हैं।
( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं॥)