Mundeshwari Temple Bihar: यह भगवान शिव का सबसे पुराना मंदिर, यहां मौजूद है पंचमुखी शिवलिंग
Mundeshwari Temple Bihar: सावन के महीने में शिव मंदिर में विशेष तौर पर भीड़ देखने को मिलती है। चलिए आज आपको भगवान शंकर के सबसे पुराने मंदिर के बारे में बताते हैं।
Mundeshwari Temple Bihar : सावन के महीने का हिंदू धर्म में काफी ज्यादा महत्व माना गया है। इस महीने में भक्त कावड़ यात्रा निकालते हैं और भगवान शंकर के दर्शन के लिए अलग-अलग मंदिरों में जाते हैं। इस समय हरिद्वार में भारी भीड़ देखने को मिलती है। अगर आप शिव मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो भारत के सबसे प्राचीन शिव मंदिर में जा सकते हैं। यह भारत का सबसे प्राचीन शिव मंदिर है। यह बिहार के कैमूर जिले के कौरा क्षेत्र में मौजूद है। इसे मुंडेश्वरी मंदिर के रूप में पहचाना जाता है। चलिए आज आपको इस मंदिर के बारे में जानकारी देते हैं।
कब हुआ मुंडेश्वरी मंदिर का निर्माण (When Was Mundeshwari Temple Built?)
मुंडेश्वरी मंदिर का निर्माण तीन या चार शताब्दियों के दौरान हुआ था। इस मंदिर में भगवान विष्णु स्थापित हैं। सातवीं शताब्दी में यहां पर भगवान शिव की एक मूर्ति स्थापित की गई थी। यह वाराणसी से 60 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है और सबसे पुराने और सबसे अधिक पूजे जाने वाले मंदिरों में से एक है। यह मुंडेश्वरी नामक पर्वत पर मौजूद है।
भगवान शिव के हैं 4 मंदिर (There Are 4 Temples of Lord Shiva)
इस मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति के चार मुख हैं। यहां सूर्य गणेश और विष्णु की मूर्तियां भी है। चैतरामाहा के दौरान बड़ी संख्या में भक्ति यहां पर आते हैं। सुरक्षा कारणों की वजह से 9 मूर्तियां कोलकाता संग्रहालय में स्थानांतरित कर दी गई है। यह मंदिर तांत्रिक पूजा का प्रतीक है।
मुंडेश्वरी मंदिर की विशेषता (Specialty of Mundeshwari Temple)
इस मंदिर की विशेषताओं की बात करें तो यहां पर सात्विक बलि दी जाती है। यहां बाली के बकरे को देवी की मूर्ति के सामने लाया जाता है और फिर पुजारी मां की मूर्ति को छूकर चावल के दाने बकरा पर फेंक देता है जिससे बकरा बेहोश हो जाता है। थोड़ी देर बाद उसे पर फिर से अक्षत फेंका जाता है और बकरा उठकर खड़ा हो जाता है। इस तरह से बलि की प्रक्रिया पूरी की जाती है।