Varanasi Famous Kund: काशी का एक चमत्कारी कुंड, जहां स्नान मात्र से पुत्र रत्न की होती है प्राप्ति
Varanasi Famous Kund: भाद्रपद की षष्टी तिथि को वाराणसी के इस कुंड के दर्शन और स्नान करने का विशेष महत्व है। ये कुंड बहुत ही फलदायी है। काशी के इस शक्तिशाली कुंड का नाम लोलार्क कुंड है और यहां पर जो बाबा है उनका नाम लोलार्केश्वर हैं।
Varanasi Famous Kund: देवादिदेव महादेव भगवान भोलेनाथ की नगरी है काशी। वैसे तो काशी के कण-कण में बाबा भोलेनाथ का प्रत्यक्ष स्वरुप दिखता है। अस्सी के भदैनी में लोलार्क कुंड स्थित है यहां पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर भी हैं जिनको लोलार्केश्वर के नाम से जाना जाता हैं। यहां पर एक बहुत ही चमत्कारी कुंड स्थित है, जहां सच्चे मन से दर्शन और स्नान करने से सारी मनोकामना पूरी होती है।
वाराणसी में वैसे तो बहुत सारी रहस्यमयी और चमत्कारी जगहें हैं लेकिन हम आपको एक ऐसे चमत्कारी कुंड और मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर स्नान और दर्शन मात्र से ही मनोकामना पूर्ति होती है। महादेव की नगरी काशी की महिमा ही अद्भुत निराली है। बाबा विश्वनाथ मंदिर में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है, जबकि घाटों में हर दिन भक्त पाप-मुक्ति के लिए पवित्र गंगा नदी में स्नान करने आते हैं।
धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध काशी को मंदिरों का घर कहा जाता है। जहां दुनियाभर से पर्यटकों अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं। वाराणसी में वैसे तो बहुत सारी रहस्यमयी और चमत्कारी जगहें हैं लेकिन हम आपको एक ऐसे चमत्कारी कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर स्नान और बाबा के दर्शन मात्र से ही मनोकामना पूर्ति होती है।
लोलार्क कुंड में स्नान से सूनी गोद में भी गूंजती है किलकारी
भाद्रपद की षष्टी तिथि को वाराणसी के इस कुंड के दर्शन और स्नान करने का विशेष महत्व है। ये कुंड बहुत ही फलदायी है। काशी के इस शक्तिशाली कुंड का नाम लोलार्क कुंड है और यहां पर जो बाबा है उनका नाम लोलार्केश्वर हैं। जहां पर स्नान करने से चर्म रोग से निजात मिलती है। अगर आप संतान प्राप्ति की कामना के साथ इस कुंड में सच्चे मन और श्रद्धा जो दंपत्ति स्नान करते हैं उन्हें कुंड आर्शीवाद देता है। जिसभी अच्छे कार्य की मनोकामना लेकर आप इस कुंड में स्नान करते हैं वो सिद्ध होते हैं। संतान प्राप्ति के लिए हिंदू धर्म में लोग कई उपाय करते हैं। महिलाएं अपनी सूनी गोद को भरने के लिए भगवान से मन्नतें मांगती हैं और व्रत रखती हैं। लेकिन इस कुंड में महिलाओं को संतान प्राप्ति के लिए दर्शन करने चाहिए और स्नान करना चाहिए।
देवासुर संग्राम के समय कुंड का हुआ था निर्माण
वाराणसी के दिव्य कुंड की बहुत महत्ता है। जिसे सूर्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है। इस दिव्य कुंड के बारे में बताया जाता है कि देवासुर संग्राम के दौरान भगवान सूर्य के रथ का पहिया यहीं पर गिरा था। जिसके बाद से इस कुंड का निर्माण हुआ। तब से आज तक काशी में सूर्य उदय होने पर सबसे पहली किरण इस कुंड पर पड़ती है। जिससे इस दिव्य कुंड में स्नान करना बहुत गुणकारी बताया जाता है। वैसे पूरा साल यहा पर दर्शन और पूजन के लिए ताता लगा रहता हैं। सावन में यहा की अपनी अलग महत्व हैं।