करते हैं बागवानी तो जानिए क्या छिपा है इसमें लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी या कुछ और?
जयपुर: एक समय था जब बहुमंजिला इमारतों में आशियाना नहीं तलाशा जाता था, खुले आंगन और छोटे से बगीचे वाले आशियाने को प्राथमिकता दी जाती थी। अब लोगों की सोच बदली है। वक्त ने करवट बदली, तो आधुनिकता ने आंगन भी निगल लिया और बगीचा भी। लेकिन एक बार फिर लोगों में अपने घर पर एक छोटा सा बगीचा तैयार करने का मन बना लिया है। भले ही लोग गार्डन को जरूरत या शौक के नजरिए से न देख लाइफ स्टाइल स्टेटस में इजाफा समझ कर अपने आशियाने में जगह दे रहे हों, लेकिन होम गार्डन के ट्रेंड पर उन्होंने अपनी सहमति की मुहर जरूर लगा दी है।
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बागबानी समय का सब से अच्छा सदुपयोग है। ‘आज की भागती दौड़ती दिनचर्या में किसी के पास वक्त नहीं है। लोग ऑफिस के काम से फुरसत पाते हैं तो घरेलू कार्यों में मसरूफ हो जाते हैं। फिर अगर समय मिलता है तो वीकैंड में शॉपिंग करने निकल जाते हैं। कई बार तो फिजूलखर्ची करते हैं।ऐसे में मानसिक संतुष्टि मिलने के बजाय उलटा अवसाद घेर लेता है।
यहां डच (जरमनी) लोगों का उदाहरण देना सही रहेगा, क्योंकि वहां करीब करीब सभी लोगों के पास अपना बगीचा है, जिस में खाली समय में वे बागबानी करते हैं। उन्हें मॉल्स में घूमने से ज्यादा बेहतर बागबानी करना लगता है। यहां आम लोग ही नहीं वरन सेलिब्रिटीज भी गार्डनिंग का शौक रखते हैं। एक डच पत्रिका में जरमनी के मशहूर शैफ, जौन लफर के अनुसार, यदि वे देश के मशहूर शैफ न बन पाते तो खुशी से गार्डनिंग के पेशे में आते।
कुछ अरसा पहले एक इंटरटेनमेंट वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में सेलिना ने कहा कि वे अपने प्रोफेशन से वक्त मिलते ही छत पर बनाई अपनी बगिया में पहुंच जाती हैं। वहां उन्हें नए पौधे लगाना, उन में खाद डालना, पानी देना बहुत अच्छा लगता है। उन्हें गार्डनिंग का शौक इस कदर है कि इस के लिए उन्होंने विशेषतौर पर ट्रेनिंग भी ली है और वक्त मिलने पर वे बागबानी से जुड़ी किताबें भी पढ़ती रहती हैं।
जबकि बागबानी एक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की तरह है। उस में जितना समय देंगे, सेहत उतनी ही अच्छी रहेगी।रिसर्चर डैन बटनर के अनुसार, बागबानी करने वालों का जीवन आम लोगों से 14 वर्ष अधिक होता है।
*बागबानी दिन में ही की जाती है, इसलिए जाहिर है कि बागबानी के दौरान सूर्य के संपर्क में आना पड़ता है, जिस से शरीर को विटामिन डी मिल जाता है। विटामिन डी शरीर को कैंसर और हृदय से जुड़ी बीमारियों से बचाता है।
*यह भ्रम है कि मिट्टी में हाथ सनने से बैक्टीरिया चिपक जाते हैं, जिस से संक्रमण का खतरा रहता है। दरअसल, मिट्टी प्राकृतिक बैक्टीरिया, मिनरल्स, माइक्रोऔर्गैनिज्म का प्रमुख स्रोत होती है।रोजाना मिट्टी के स्पर्श से शरीर का इम्यून सिस्टम अच्छा होता है।
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*लोगों में भ्रांति है कि नंगे पैर जमीन पर रखने से वे मैले हो जाते हैं। लेकिन यह सोचना गलत है. त्वचा का धरती से सीधा संपर्क शरीर में इलेक्ट्रिकल ऐनर्जी द्वारा पौजिटिव इलेक्ट्रोंस जेनरेट करता है।
*आधुनिक जीवनशैली में बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने लोगों को अवसाद के आगोश में धकेल दिया है, जिस से तमाम तरह की बीमारियां जन्म ले रही हैं। बागबानी इन बीमारियों से बचने का एक सरल उपाय है, क्योंकि इस से मिलने वाला सुख शरीर पर प्रत्यक्ष रूप से असर डालता है और दिमाग को तनावमुक्त रखता है।
*बागबानी का अर्थ केवल फूल उगाना नहीं। घरों में किचन गार्डन भी तैयार किया जा सकता है. इस से मिलने वाली सब्जियां आप के शरीर को पोषण देने के साथसाथ ऐंटीऔक्सिडैंट भी देंगी और जहरीले तत्त्वों से भी शरीर की सुरक्षा करेंगी।
*बागवानी करने वालों को जिम जाने की जरूरत भी नहीं पड़ती, क्योंकि बागवानी में काम करते हुए ही पूरी ऐक्सरसाइज हो जाती है।
कभीकभी खर्चे के अलावा कुछ और परेशानियां बागबानी के शौकीनों को घर पर बगीचा तैयार करने से रोक देती हैं. छोटा घर और कम जगह इन परेशानियों में से ही हैं। लेकिन घर कितना भी छोटा क्यों न हो, पौधे लगाने के लिए थोड़ी जगह मिल ही जाती है। यदि वह भी न मिले तो हैंगिंग गार्डन का फैशन चलन में है। इस विधि के अनुसार गमलों को फर्श पर रखने की जगह दीवारों या खूंटे के सहारे हवा में टांग दिया जाता है। इस से फर्श भी खाली रहता है और बागबानी का शौक भी पूरा हो जाता है।