भूपेन हज़ारिका : 17 बातें उस संगीतकार की, जिसके नाम पर है देश का सबसे लंबा पुल
लखनऊ : 26 मई 2017, याद होगी ये तारीख आपको। इस दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन किया गया था। इस पुल को नाम मिला भूपेन हज़ारिका पुल। आज भूपेन की बरसी है। वो भूपेन जिनके बारे में कहा जाता है कि उनेक गले में अमृत बसता था। जानिए भूपेन के बारे में...
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- भूपेन का जन्म 8 सितंबर 1926 को सदिया में हुआ।
- 1939 में भूपेन ने ‘इंद्रमालती’ में दो गाने गाए।
- भूपेन पढाई में भी अच्छे थे उन्होंने गुवाहाटी से इंटर किया और फिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बीए और एम ए किया।
- एम.ए. करने के बाद वो ऑल इंडिया रेडियो गुवाहाटी में नौकरी करने लगे।
- 1949 में उन्हें अमरीका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से फेलोशिप मिल गई।
- भूपेन जब न्यूयॉर्क में थे वहां उनकी मुलाकात पॉल रॉबसन से हुई। पॉल बेस सिंगर थे।
- भूपेन ने पॉल को अपना गुरू बनाया माना।
- ‘बिस्तिर्नो पारोरे’ रॉबसन का गाना है इसी पर भूपेन ने ‘ओ गंगा बहती है क्यों’ बनाया।
- 1953 में भूपेन देश लौटे, तबतक उन्होंने प्रियंवदा से शादी कर ली थी।
- वापस लौटने के बाद भूपेन इप्टा से जुड़ गए।
- 1956 से भूपेन ने असमिया फिल्में बनानी शुरू की। इनमें गाने लिखने से लेकर कंपोज़ करने का काम भूपेन करते थे।
- 1970 में भूपेन कल्पना लाजमी से मिले। कल्पना की फिल्म ‘एक पल’ का बैकग्राउंड स्कोर भूपेन ने दिया।
- 1993 में आई रुदाली में जब भूपेन ने संगीत दिया और ‘दिल हूम हूम करे, घबराए..’ गया तो इंडिया में उनके प्रति दीवानापन देखने लायक था।
- 2011 में ‘गांधी टू हिटलर’ उनकी आखिरी फिल्म रही।
- भूपेन ने असमिया में 15 किताबें लिखीं।
- ‘अमर प्रतिनिधी’ और ‘प्रतिध्वनी’ नाम से मासिक अखबार भी भूपेन ने निकाले।
- 1967 से 1972 के बीच भूपेन असम विधानसभा में निर्दलीय विधायक रहे।