EU से ब्रिटेन हुआ बाहर, जानिए भारतीयों पर इसका क्या होगा पर असर

Update:2016-06-24 15:46 IST

नई दिल्ली: यूरोपियन यूनियन से अलग होने को लेकर कराए गए जनमत संग्रह के बाद ब्रिटेन अब इस संघ का हिस्सा नहीं रहेगा। हालांकि यूरोपियन यूनियन के देशों की अर्थव्यवस्था का इस पर क्या असर होगा इस पर बातें हो रही हैं, लेकिन आम भारतीय के मन में ये बातें उठाना लाजमी है कि इससे हम पर क्या असर होगा।

गौरतलब है कि यूरोपीय संघ में बने रहने और इससे बाहर निकलने के समर्थन में चले अभियानों में 12 लाख भारतीय मूल के ब्रिटेन नागरिक भी शामिल रहे हैं।

ये होगा भारत पर असर

-भारत और ब्रिटेन दोनों बड़े व्यापारिक साझीदार हैं।

-भारत की सैकड़ों बड़ी और मंझोली कंपनियां ब्रिटेन में काम कर रही हैं, उन पर आर्थिक अस्थिरता का बुरा असर पड़ेगा जिससे भारत प्रभावित होगा।

-टाटा समूह ब्रिटेन की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है।

-ज्ञात हो कि टाटा मोटर्स की कमाई का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा ब्रिटेन से आता है।

-ऐसी कई भारतीय कंपनियां हैं जिनका यूरोपीय मुख्यालय ब्रिटेन में है। जबकि कारोबार कई दूसरे यूरोपीय देशों में, ऐसे लोगों और कारोबारियों पर इस फ़ैसले का सीधा प्रभाव होगा।

-जो भारतीय कंपनियां, ख़ास तौर पर आईटी क्षेत्र की कंपनियां अपने कर्मचारियों को आसानी से ब्रिटेन और यूरोप के दूसरे देशों में कारोबारी ज़रूरत के हिसाब से भेजती रही हैं उन्हें दिक्क़तों का सामना करना होगा।

नौकरी के लिए भारी संख्या में जाते हैं ब्रिटेन

-ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर हो जाने की सूरत में जानकारों का मानना है कि ऐसा होने पर नौकरियों के लिए यूरोप जाने वालों पर सीधा असर पड़ेगा।

-भारत के अलग-अलग हिस्सों से नौकरियों के लिए बड़े पैमाने पर लोग यूरोप, ख़ास तौर पर ब्रिटेन जाते हैं।

-भारत में जनमत संग्रह के नतीजों से भारत में सबसे ज़्यादा निराशा गोवा और पुड्डुचेरी वासियों को होगी।

-उल्लेखनीय है कि इन दो राज्यों से सबसे ज्यादा लोग ब्रिटेन नौकरी के लिए जाते हैं।

भारतीय छात्रों के लिए अवसर बढ़ेंगे

जानकारों का यह भी मानना है कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग हो जाने की सूरत में अब भारत के छात्रों के लिए पढ़ाई के अवसर बढ़ेंगे क्योंकि ब्रिटेन पर यूरोपीय छात्रों के लिए कोई बाध्यता नहीं रह जाएगी, जो अब तक थी।

कुछ अन्य बातें जो डाल सकती हैं भारत पर असर

-ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से बाहर होने पर पाउंड में गिरावट आना संभव है।

-पाउंड में गिरावट के साथ डॉलर की मांग बढ़ जाएगी।

-डॉलर का मूल्य बढ़ने से आयात होगा महंगा हो जाएगा।

-कच्चा तेल महंगा होने से पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में इजाफा होगा।

-पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में वृद्धि से खुदरा बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी होगी।

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