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इंदौर: 91 साल की उम्र में वह बिना थके अपने जीवन का एक-एक पल मरीजों की सेवा में बिता रही हैं और वह भी बिना कोई फीस लिए। यह सिलसिला साल 1948 से चला आ रहा है। चेहरे पर झुरियां, कांपते हाथ, चलने-फिरने में दिक्कत, लेकिन गजब का हौसला।
वह मानवता का पाठ आज़ादी के वक़्त से पढ़ा रही हैं। उन्हें हर कोई सलाम किए बिना नहीं रहता। जी हां, ऐसी ही हैं इंदौर की पहली महिला एमबीबीएस डॉक्टर भक्ति यादव जो एक स्त्री रोग विशेषज्ञ (गाइनकालजिस्ट) हैं।
छड़ी के सहारे चलने वाली डॉ. भक्ति को उठने-बैठने में काफी तकलीफ है लेकिन वह अपनी अंतिम सांस तक दूसरों की सेवा करनी चाहती हैं। डॉ. भक्ति का मानना है कि मरीज के साथ दिल से जुड़ना बहुत जरूरी है।
आगे के स्लाइड्स में पढ़ें कैसा है डॉ. भक्ति का काम करने का जूनून ...
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डॉ. भक्ति यादव 91 साल की हैं, लेकिन वह आज भी समय पर अपने क्लिनिक इसलिए पहुंचती हैं, जिससे अपने मरीजों का सही समय पर उचित इलाज कर सकें। समय की पाबंद डॉ. भक्ति का स्वभाव बहुत ही सरल और मीठा है।
जब कोई मेरी उम्र और पगार पूछता है तो मैं कहती हूं ...
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डॉ. भक्ति कहती हैं कि कोई मेरी उम्र पूछता है तो तो मैं साफ बोल देती हूं कि ‘कोई मेरी उम्र और पगार मत पूछना’ मेरा स्वभाव मेरे मरीज़ों के प्रति बहुत ही मज़ाकिया रहता है।
अब तक कर चुकी हैं हजारों महिलाओं की डिलीवरी ...
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डॉ. भक्ति से इलाज कराने के लिए पूरे मध्यप्रदेश और आस-पास के राज्य से उनके पास मरीज़ों का तांता लगा रहता है। वह आज तक हज़ारों महिलाओं की डिलीवरी कर चुकी हैं।
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डॉ. भक्ति की सबसे ख़ास बात यह है कि उनका प्रयास रहता है कि वह प्रसूति की नॉर्मल डिलीवरी करें। 68 साल के करियर में उन्होने हज़ारों नॉर्मल डिलीवरी करवाई हैं, जिस वजह से उनकी अलग पहचान है। हालांकि अधिक उम्र होने के कारण अब डॉ. भक्ति मरीज़ों को उतना समय नही दे पातीं, लेकिन उनकी सलाह कम कीमती नहीं है।
आज के दौर के डॉकटर्स से क्यों शिकायत है डॉ. भक्ति को ....
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डॉ. भक्ति का इलाज़ करने का तरीका सबसे अलग है। उनका मानना है कि डॉक्टर को एक्सपीरियंस के साथ उनके प्यार की भी ज़रूरत पड़ती है। इस वजह से आज के दौर के डॉकटर्स से उन्हे शिकायत भी रहती है।
डॉ. भक्ति कहती हैं कि आज के डॉक्टर हर मुमकिन सेवा तो करते हैं, लेकिन एक बात जो मुझे चुभती है, वह ये है कि वे मरीज़ो से संपर्क नहीं रखते। बहुत कम लोगों को मैने देखा है, जो मरीज़ों को दिल में रखते हैं।
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