नई दिल्ली/कोलकाताः मदर टेरेसा को आखिरकार संत की उपाधि मिल रही है, लेकिन उनके संत घोषित होने की राह आसान नहीं रही है। 1997 में उनके निधन के बाद से 18 साल यानी 2015 तक उनके एक-एक चमत्कार को सही मानने के लिए न जाने कितने तौर-तरीके वेटिकन के पोप ने देखे। उनके पहले चमत्कार को मौत के पांच साल बाद तत्कालीन पोप जॉन पॉल द्वितीय ने मान्यता दी थी। बता दें कि आज भी तमाम लोग मदर के कामकाज और उनके चमत्कारों पर सवाल भी उठाते हैं।
कौन-कौन से चमत्कार?
कोलकाता से 400 किलोमीटर दूर दक्षिण दिनाजपुर के एक गांव में रहने वाली आदिवासी मोनिका बेहेरा मदर टेरेसा के पहले चमत्कार का सबूत देती हैं। मोनिका के मुताबिक उनके पेट में अल्सर था और साल 1998 में जब एक नन ने उनके पेट में मदर की तस्वीर बांध दी तो एक ही रात में अल्सर खत्म हो गया। मोनिका के मुताबिक डॉक्टरों ने कह दिया था कि वह नहीं बचेंगी, लेकिन मदर ने उन्हें बचा लिया।
मोनिका ने साल 2003 में पोप जॉन पॉल से मिलकर मदर के इस चमत्कार की जानकारी दी थी। मदर टेरेसा के दूसरे चमत्कार का दावा ब्राजील के एक शख्स ने किया है। इस शख्स के मुताबिक मदर की वजह से उनका ब्रेन ट्यूमर खत्म हो गया। इस दावे की पुष्टि के बाद मदर को संत घोषित करने का फैसला किया गया था।
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मदर पर ये लोग उठाते हैं सवाल
मोनिका का इलाज करने वाले डॉक्टर रंजन कुमार मुस्तफी के मुताबिक चमत्कार नहीं, बल्कि मेडिकल साइंस ने उन्हें ठीक किया है। वहीं, ब्रिटिश लेखकर क्रिस्टोफर हिचेंस उन्हें धार्मिक रूढ़िवादी, कट्टर उपदेशक और राजनीतिक जासूस करार दिया था। लंदन के डॉक्टर अरूप चटर्जी ने उन्हें मिशनरीज ऑफ चैरिटी में स्वच्छता के बदतर हालात के लिए दोषी बताया था।
अमेरिका के मियामी के हेमली गोंदालेथ के मुताबिक कोलकाता के मदर हाउस में उन्होंने देखा कि मदर गरीबों की दोस्त नहीं, गरीबी को बढ़ावा देने वाली थीं। रेशनलिस्ट सनल एडुमारकु के मुताबिक सबूत बताते हैं कि मोनिका दवाइयों से ठीक हुईं, मदर का कोई चमत्कार इसमें काम नहीं आया था।