अब पराली से बनेगी बिजली, स्मॉग और पॉल्यूशन से मिलेगी राहत
बिजलीघरों में अब कोयले के साथ पराली मिलाई जाएगी। इससे किसानों को काफी लाभ होगा और स्मॉग जैसी समस्या से भी निपटा जा सकेगा।
नई दिल्ली: बिजलीघरों में अब कोयले के साथ पराली मिलाई जाएगी। इससे किसानों को काफी लाभ होगा और स्मॉग जैसी समस्या से भी निपटा जा सकेगा। इसके लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राष्ट्रीय थर्मल पावर कारपोरेशन से भी जानकारी मांगी है। एनजीटी ने एनटीपीसी को यह बताने का आदेश दिया है कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा में उसके पावर प्लांट में कितनी मात्रा में फसलों को काटने के बाद बचे कचरे का इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही एनजीटी ने उप्र के छह और हरियाणा के एक पावर प्लांट्स में जलाए जा रहे कोयले की मात्रा की जानकारी भी मांगी है।
यह भी पढ़ें: वायु प्रदूषण: पराली जलाने पर केंद्र-दिल्ली और 3 राज्यों को SC का नोटिस
उल्लेखनीय है कि दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों बढ़ते पॉल्यूशन की वजह हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब के किसानों के खेतों में जलने वाली पराली को माना जाता है। इसी से धुंध और स्मॉग बनता है। अब इसी पराली से बिजली बनाने की प्लानिंग है। इस पहल से प्रदूषण कम होगा और किसानों को आय भी बढ़ेगी। इसका इस्तेमाल कोयले के साथ किया जाएगा। कोयले में 10 फीसदी पराली मिलाई जाएगी और उसका बिजली प्लांट में ईंधन के रूप में इस्तेमाल होगा। केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने भी प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना' वेब पोर्टल की लांचिंग के दौरान इस योजना की पुष्टि की।
यह भी पढ़ें: ज्ञानीजनों! दिल्ली के रास्तों को इंसानों से खाली कर दीजिए, हवा गुजरना चाहती है
पता चला है कि बहुत जल्दी एनटीपीसी किसानों से पराली खरीदने की शुरुआत करेगा। इसके लिए जल्द ही टेंडर जारी किया जा सकता है। किसानों से 5500 रुपए प्रति टन के रेट से पराली खरीदी जाएगी। एक एकड़ में दो टन तक पराली निकलती है। इससे किसानों को प्रति एकड़ 11 हजार रुपए तक की आय होगी। इससे पावर प्लांट पर भी कोई एडिशनल बोझ पड़ेगा। बिजली सचिव एके भल्ला ने कहा कि फसलों के अवशेष का इस सीजन में पावर प्लांट में ईंधन के तौर पर उपयोग नहीं हो पाएगा।