तो क्या काले गेहूं से डायबिटीज की बीमारी होती है दूर, बाकी सच्चाई भी जान लीजिए
इसे औषधीय गुणों से भरपूर और सेहत के लिए काफी फायदेमंद बताया गया है। इससे डायबिटीज और हार्ट से जुड़ी बीमारियों के ठीक होने का दावा किया जा रहा है।
लखनऊ: इन दिनों सोशल मीडिया में एक विडियो तेजी के साथ वायरल हो रहा है। जिसमें आलू, टमाटर व चावल की तरह ही काले गेहूं की पैदावार का भी दावा किया जा रहा है। दावा ये भी किया जा रहा है कि अब देश में काले गेहूं की फसल आ चुकी है।
इसकी बोआई राजधानी में भी हो चुकी है। इसे औषधीय गुणों से भरपूर और सेहत के लिए काफी फायदेमंद बताया गया है। इससे डायबिटीज और हार्ट से जुड़ी बीमारियों के ठीक होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन यह पूरा सच नहीं है। आज आप को बताते हैं, ये गेहूं कहां पैदा होता है, इसका रंग काला क्यों होता है, और इसके चिकित्सकीय गुण क्या हैं?
ये है पूरा मामला
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे काले गेहूं के वीडियो का सच यह है कि इसकी खेती पंजाब और हरियाणा में हो रही थी लेकिन, अब उत्तर प्रदेश में भी इसके कदम पड़ चुके हैं।
राजधानी में बसे मोहनलालगंज के मोतीपुरवा कनेरी गांव में किसान ज्ञानेन्द्र कुमार ने करीब 15 बिस्वा काले गेहूं की बोआई की है। किसान ने बताया कि काले गेहूं का 20 किलो बीज उन्होंने हरियाणा के सिरसा से 250 रुपये किलो की दर से मंगवाया है। ज्ञानेन्द्र ने बताया कि काले गेहूं की बाली का रंग पहले हरा ही होता है। बाली भूरी होने के बाद काले गेहूं दिखाई देने लगते हैं।
ये भी पढ़ें...गांवो में छुटटा गाय – बैलों से फसलों की तबाही रोकेगी सरकार, ये है प्लान
क्यों है काला
जानकारी के मुताबिक़ गेहूं के काले रंग की वजह एंथोसाएनिन नाम का पिगमेंट का पाया जाना है। एंथोसाएनिन की अधिकता से फलों, सब्जियों, अनाजों का रंग नीला, बैंगनी या काला हो जाता है। एंथोसाएनिन नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट भी है।
इसी वजह से यह सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। आम गेहूं में एंथोसाएनिन महज 5पीपीएम होता है, लेकिन काले गेहूं में यह 100 से 200 पीपीएम के आसपास होता है। एंथोसाएनिन के अलावा काले गेहूं में जिंक और आयरन की मात्रा में भी अंतर होता है।
काले गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 फीसदी आयरन ज्यादा होता है। हालांकि, प्रोटीन, स्टार्च और दूसरे पोषक तत्व समान मात्रा में होते हैं।
एनएबीआइ ने कराया है पेटेंट
नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (एनएबीआइ) मोहाली द्वारा सात साल की रिसर्च के बाद पिछले वर्ष नवंबर में काले गेहूं का पेटेंट करा लिया था। एनएबीआइ ने इस गेंहू को 'नाबी एमजी' नाम दिया है।
ये भी पढ़ें...CM योगी ने किसानों को गन्ने के बजाए अन्य फसलें लगाने को कहा, जानिए क्यों?
सेहत के लिए है फायदेमंद
यह शरीर से फ्री रेडिकल्स निकालकर हार्ट, कैंसर, डायबिटीज, मोटापा और अन्य बीमारियों की रोकथाम करता है। इसमें जिंक की मात्रा भी अधिक है। एंथोसाएनिन नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट भी है।
कुछ वेबसाइट बेच रही हैं काले गेहूं का आटा
देखने में आया है कि कुछ ई कॉमर्स वेबसाइट काले गेहूं का आटा बेच रही हैं। इसकी कीमत साइट पर 2 हजार रुपये प्रति किलो से 4 हजार रुपये प्रति किलो तक बताई गई है। साथ ही इनमें बीमारियां दूर करने वाले वे सभी दावे भी किए गए हैं जो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। काला चावल भी होता है गेहूं ही नहीं काला चावल भी होता है।
इंडोनेशिअन ब्लैक राइस और थाई जैसमिन ब्लैक राइस इसकी दो जानीमानी वैरायटी हैं। म्यामांर और मणिपुर के बॉर्डर पर भी ब्लैक राइस या काला चावल उगाया जाता है। इसका नाम है चाक-हाओ। इसमें भी एंथोसाएनिन की मात्रा ज्यादा होती है।
ये भी पढ़ें...केजरीवाल का मोदी सरकार पर हमला, कहा- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना रद्द किया जाए