Mohit Jha
लखनऊ.पीएम नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी साथी अमित शाह दोबारा बीजेपी के प्रेसिंडेंट बन गए हैं। कई सालों से गुजरात की राजनीति में सक्रिय शाह का करियर ग्राफ यूपी में आने के बाद तेजी से बढ़ा। लोकसभा चुनाव में यूपी प्रभारी रहते हुए उन्होंने पार्टी की झोली में 80 में से 71 सीटें डाल दी। इसके बाद ही उन्हें पार्टी का प्रेसिडेंट बनाया गया। अब एक बार फिर यूपी ही उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है। 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ अमित शाह की साख भी दांव पर होगी।
आसान नहीं ये सफर
-दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद यूपी में हर हाल में बीजेपी को जीत चाहिए।
-बंगाल, केरल, त्रिपुरा, असम, तमिनाडु चुनाव में पार्टी की स्थिति बेहतर करना आसान नहीं होगा।
-पार्टी के मार्गदर्शक मंडल को संतुष्ट रखना होगा।
-केंद्र के कामकाज को जनता के बीच सही रूप में पेश करना होगा, विपक्ष लगातार कई मुद्दों पर हावी रहा है।
यूपी में किया था कमाल
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सभी लोगों की जुबान पर एक ही सवाल था। मोदी के सिपाही अमित शाह ने आखिर यूपी में ऐसा क्या किया, जिसकी वजह से कभी सूबे में राजनीतिक धरातल तलाशती बीजेपी को 80 में से 71 सीटें मिल गईं। 2009 में इस राज्य में बीजेपी के पास महज 10 सीटें थीं। इसके अलावा, बीजेपी राज्य में बीते 17 साल से सत्ता से दूर थी। पार्टी को इस धमाकेदार जीत से नवाजने वाले अमित शाह की चुनावी रणनीति को डिकोड करने में तमाम राजनीतिक विश्लेषक लगे रहे। अब एक बार फिर उन्हें वही करिश्मा दिखना होगा।