गौरवशाली इतिहास और विवाद का AMU, जानिए इसके बारे में...
आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी एएमयू के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर मुख्य अतिथि ऑनलाइन शामिल होंगे. पिछले पांच दशक के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई प्रधानमंत्री एएमयू के किसी कार्यक्रम को संबोधित करेगा.
लखनऊ: करीब साल भर पहले सीएए विरोधी प्रदर्शन और हंगामे को लेकर चर्चित रहा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय आज अपना शताब्दी समारोह मना रहा है. आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी एएमयू के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर मुख्य अतिथि ऑनलाइन शामिल होंगे. पिछले पांच दशक के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई प्रधानमंत्री एएमयू के किसी कार्यक्रम को संबोधित करेगा. इससे पहले साल 1964 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने एएमयू के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह को यादगार बनाने के लिए एक विशेष डाक टिकट भी जारी करेंगे.
250 से ज्यादा कोर्स
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 250 से ज्यादा पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं. सत्रहवीं शताब्दी के समाज सुधारक सर सैयद अहमद खां ने आधुनिक शिक्षा की जरूरत को महसूस करते हुए साल 1875 में एक स्कूल शुरू किया जो बाद में मोहम्डन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज बना. एक दिसंबर 1920 को यही कॉलेज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बन गया. उसी साल 17 दिसंबर को एएमयू का औपचारिक रुप से एक यूनिवर्सिटी के रुप में उद्घाटन किया गया था.
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नामचीन हस्तियाँ
एएमयू के गौरवशाली इतिहास से देश-दुनिया के तमाम लोगों का नाम जुड़ा है जो हर क्षेत्र से संबंध रखते हैं. पूर्व क्रिकेटर लाला अमरनाथ, कैफी आजमी, राही मासूम रजा, मशहूर गीतकार जावेद अख्तर के साथ ही फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने भी एएमयू से पढ़ाई की. इसके अलावा प्रोफेसर इरफान हबीब, उर्दू कवि असरारुल हक मजाज, शकील बदायूनी, प्रोफेसर शहरयार ने इस विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की है.
विवादों से भी नाता
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का नाता उसके गौरवशाली इतिहास के साथ-साथ विवादों से भी रहा है. कभी विश्वविद्यालय का नाम बदलने की कोशिश. कभी जिन्ना की फोटो तो कभी नागरिकता कानून के विरोध को लेकर यह विश्वविद्यालय हाल के दिनों में भी काफी चर्चा में रहा. दो साल पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ भवन में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगे होने पर काफी बवाल हो गया था.
पिछले साल दिसंबर महीने में ही नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कई दिनों तक अस्थिर रहा. कई दिनों तक विश्वविद्यालय के छात्र नागरिकता कानून और जामिया विश्वविद्यालय में छात्रों की कथित पिटाई के विरोध में आंदोलन करते रहे. इस दौरान कई छात्रों को हिरासत में भी लिया गया और प्रशासन को बल प्रयोग भी करना पड़ा. बाद में विश्वविद्यालय को इसी वजह से बंद भी कर दिया गया था. दो साल पहले जब एएमयू में जिन्ना की तस्वीर का विवाद चल रहा था उसी समय विश्वविद्यालय के नाम को लेकर भी विवाद शुरू हुआ.
छपरौली से बीजेपी विधायक सहेंद्र सिंह रमाला ने एएमयू के नाम पर सवाल खड़ा करते हुए नाम बदलने की मांग की. विधायक सहेंद्र सिंह रमाला ने एएमयू का नाम बदलकर महाराजा महेंद्र प्रताप यूनिवर्सिटी रखे जाने की बात कही थी. हालांकि बाद में राज्य सरकार ने राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर राज्य विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की. विधायक के मुताबिक, राज महेंद्र प्रताप ने अपने पूर्वजों की जमीन को विश्वविद्यालय के लिए दान में दिया था.
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अल्पसंख्यक संस्थान
1920 से 1965 तक विश्वविद्यालय अच्छी तरह से चलता रहा लेकिन 1965 से 1972 के दौरान सरकारों ने कई तरह की पाबंदी लगा दीं. 1961 में अजीज पाशा नाम के एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि इसे अल्पसंख्यक संस्थान ना माना जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया और एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान मानने से मना कर दिया लेकिन बाद में 1981 में केंद्र सरकार ने फिर से कानून में संशोधन किए और विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल कर दिया.
नीलमणि लाल