20 लाख करोड़ का पैकेज : MSME ने जताया आभार, व्यापारियों में निराशा
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रांतीय कोषाध्यक्ष एवं जिला अध्यक्ष नरेश कुच्छल ने कहा कि आर्थिक पैकेज से व्यापारी वर्ग निराश है। छोटे व्यापारियों के लिए आर्थिक पैकेज में कोई राहत नही दी गई है।
नोएडा। लॉकडाउन की सर्वाधिक मार उद्योग जगत व्यापरियों व इससे जुड़े लोगों पर पड़ी है। उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच गए है। सरकार की ओर से राहत पैकेट की घोषणा के बाद उद्यमियों ने दम भरा। लेकिन वह इस बात से भी परेशान है कि इतने बड़े पैकेज का बोझ किस पर आएगा। वहीं, पैकेज से व्यापारियों के लिए निराशा हाथ आई। हालांकि लॉकडाउन में यह पैकेज गिरते हुए एमएसएमई सेक्टर को संकट से उबरने में मददगार जरूरत होगा।
आर्थिक पैकेज व्यापारियों के लिए निराशाजनक- नरेश कुच्छल
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रांतीय कोषाध्यक्ष एवं जिला अध्यक्ष नरेश कुच्छल ने कहा कि आर्थिक पैकेज से व्यापारी वर्ग निराश है। छोटे व्यापारियों के लिए आर्थिक पैकेज में कोई राहत नही दी गई है। व्यापारी वर्ग कोरोना महामारी में सरकार के साथ योद्धा की तरह डटा रहा और अपनी जान जोखिम में डाल कर घरेलू सामान की पूर्ति करता रहा है, पर आर्थिक पैकेज में व्यापारी वर्ग की अनदेखी की गई है।
वित्त मंत्री के राहत पैकेज देने के बाद व्यापारिय संठगन व एमएसएमई ने दी प्रतिक्रिया
बैंक लोन के ब्याज में उन्हें कोई रियायत नही दी गई और ना ही उन्हें स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया गया। उत्तर पदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल द्बारा प्रधानमंत्री एवं वित्तमंत्री को कई बार व्यापारी मांगो से अवगत कराया था। आनलाइन ट्रेडिग पर भी कोई लगाम नही लगाई गई। व्यापारियों को बैंक ब्याज पर भी कोई छूट नही दी गई ओर ना ही इनकम टैक्स व जीएसटी के हिसाब से कोई आर्थिक पैकेज नही सृजन किया गया। अपंजीकृत व्यापारियों के लिए भी कोई योजना का ना लाना अचंभित करने वाला है। जबकि व्यापारी को इस वक्त आर्थिक पैकेज की सख्त दरकार है।
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इतनी बड़ी पूंजी का बोझ किस पर आएगा-सुरेंद्र नहाटा (एमएसएमई)
20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा का चिन्ता के साथ स्वागत है! चिन्ता इस बात की कि इतनी बड़ी पूंजी का बोझ किस पर आयेगा? स्वागत इस बात के लिए कि सरकार ने एमएसएमई को समझने की कोशिश की। सरकार यह जान गई की लघु,सूक्ष्म, मध्यम वर्ग के उद्योगों को नए रूप में परिभाषित कर देश दुनिया को बताया और यह स्वीकार किया कि एमएसएमई वर्ग के उद्योगों को चलाने के लिए पैसा चाहिए, कर्मचारी भविष्य निधि का बोझ है, वित्तीय संस्थाएं कर्ज देने में बे वजह की शर्तें लगाती हैं। बन्द हुए छोटे उद्योगों को सहारे की आवश्यकता है। और देश को आत्म निर्भर बनाने के लिए लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम वर्ग के उद्योग ही है जो यह भूमिका निभा सकती है।
राहत पैकेज से अपैरल सेक्टर को होगा फायदा-रूपक वशिष्ठ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्बारा 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विस्तार से पैकेज के बारे में बताया। पैकेज की घोषणा के बाद अपैरल मेडअप्स एंड होम फर्निशिग सेक्टर स्किल काउंसिल के सीईओ व महानिदेशक डॉ. रूपक वशिष्ठ ने कहा, अपैरल सेक्टर में अधिकांश इकाइया्र एमएसएमई है। कोविड-19 के कारण अपैरल सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित हो चुका है। ऐसे में यह पैकेज संजीवनी का काम करेगा। एमएसएमई की परिभाषा बदलने से भी इस सेक्टर को लाभ मिलेगा। अब कंपनियां अपना दायरा बढ़ाएगी।
वहीं दूसरी ओर सरकार ने ईपीएफ का अंश देने का जो प्रावधान किया है। इससे इंडस्ट्री को लाभ मिलेगा। एमएसएमई के दायरे में आने के दूसरे लाभ, जैसे 45 दिन में भुगतान होना आदि भी इन इकाइयों को अब मिलेंगे। अपैरल में कई जॉब रोल ऐसे में है, जिसमें सैलरी करीब 15 हजार होती है। इंडस्ट्री को लाभ होने का सीधा असर रोजगार के अवसर के रूप में मिलेगा।
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राहत पैकेज आने वाले समय के हिसाब से ठीक- विपिन मल्हन, अध्यक्ष, नोएडा एंटरप्रिन्योर्स एसोसिएशन
नोएडा एंटरप्रिन्योर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन मल्हन मे कहा कि वित्त मंत्री का राहत पैकेज आने वाले समय के हिसाब से ठीक है। वर्तमान की बात करें तो इससे सीधा फायदा नहीं है। लोन तो मिले जाएगा लेकिन उसमें देने वाली ब्याज दर में राहत नहीं मिली है।
हाल फिलहाल जो राहत मिली है वह ये जो एमएसएमई की परिभाषा बदलने से उद्यमी अपने उद्योग का विस्तार कर सकेंगे और एमएसएमई वर्ग की राहत मिलेगी। इसके अलावा कर्मचारियों को नियोक्ता की ओर से देने वाली भविष्य निधि राशि को सरकार की ओर से दी जाएगी।
दिपांकर जैन
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