सरकार छीन रही रोजगारः AAP नेता का आरोप, भर्ती प्रक्रिया में बदलाव पर कही ये बात

आम आदमी पार्टी ने यूपी में सरकारी नौकरियों में पांच वर्ष संविदा की अनिवार्यता संबंधी बदलाव पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा के मोदी-योगी ने युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था लेकिन रोजगार छीनने का काम कर रहे हैं।

Update: 2020-09-13 13:37 GMT
आप नेता सभाजीत सिंह ने भर्ती प्रक्रिया में बदलाव को लेकर कही ये बात (file photo)

लखनऊ: आम आदमी पार्टी ने यूपी में सरकारी नौकरियों में पांच वर्ष संविदा की अनिवार्यता संबंधी बदलाव पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा के मोदी-योगी ने युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था लेकिन रोजगार छीनने का काम कर रहे हैं। पार्टी का कहना है कि युवाओं का शोषण बर्दाश्त नहीं किया जायेगा तथा युवाओं के शोषण की मोदी व योगी सरकार की साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी।

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आम आदमी पार्टी के यूपी अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने कहा

आम आदमी पार्टी के यूपी अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने रविवार को कहा कि मोदी की केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय नई भर्तियों पर रोक लगा दी है और प्रदेश की योगी सरकार 05 साल की संविदा पर नियुक्तियों की साजिश रच रही है। इससे युवाओं के शोषण और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि जानकारी मिली है कि यूपी की योगी सरकार समूह 'ख' व समूह 'ग' की भर्ती प्रक्रिया में बड़े बदलाव की साजिश रच रही है।

AAP leader Sabhajit Singh (file photo)

चयनित अभ्यर्थियों को शुरुआती 05 वर्ष तक संविदा पर रखा जाएगा

नई व्यवस्था में चयनित अभ्यर्थियों को शुरुआती 05 वर्ष तक संविदा पर रखा जाएगा। नौकरी के शुरुआती 05 वर्ष तक वो ना तो नियमित होंगे और न ही इस दौरान उनको नियमित सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले सेवा संबंधी सारे लाभ ही मिलेंगे। इन 05 वर्षों में अधिकारी मनमाने तरीके से उनसे काम लेंगे और उन पर नौकरी जाने की तलवार हमेशा लटकी रहेगी।

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प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मीडिया में छपी खबरों में कहा जा रहा है कि इन पांच वर्षों के दौरान हर छह महीने पर संविदा कर्मियों के काम का मूल्यांकन किया जाएगा और हर साल मूल्यांकन में 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले कर्मचारियों को सेवा से बाहर कर दिया जायेगा। सरकार का दावां है कि तय शर्तों के साथ पांच वर्ष की सेवा पूरी करने वालों को ही स्थाई नौकरी भी दी जाएगी। सभाजीत सिंह ने सवाल उठाया कि इन 05 वर्षों के दौरान नियमित नौकरी की चाहत में युवा कर्मचारी अधिकारियों का गुलाम बनकर रह जाएगा।

मनीष श्रीवास्तव

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