वाराणसी: जूनियर बच्चन अभिषेक बुधवार को काशी में थे। यहां बीएचयू के स्पंदन प्रोग्राम में उन्होंने अपने दिल की बात कही। उन्होंने कहा, ''मैं यहां से लौटकर अपनी बेटी आराध्या से कहूंगा कि वो हमारी तीन पीढ़ियों की परंपरा को यहां पढ़कर आगे बढ़ाएं। यहां से उनके परिवार एक खास रिश्ता रहा है। मेरे दादा ने पहली बार यहीं पर मधुशाला का पाठ किया था और आज मैं भी पहली बार बनारस में बोल रहा हूं। मैं पापा से कहूंगा कि अगले साल वो भी बीएचयू के प्रोग्राम में जरूर आएं '' अभिषेक बच्चन ने स्टूडेंट्स की डिमांड पर काला चश्मा भी उतार दिया। हालांकि उन्होंने देश में चल रहे जेएनयू विवाद पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वो एक अभिनेता हैं और इस मामले पर उनका बोलना ठीक नहीं होगा।
पिता को पिता ही रहने दें: अभिषेक
कुछ वक्त पहले एक्टर और नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा था कि अमिताभ बच्चन को राष्ट्रपति बना चाहिए। इसका जवाब अभिषेक बच्चन ने बिहारी बाबू को काशी में दिया। उन्होंने कहा, ''मेरे पिता को पिता ही रहने दें। मेरे पिता की कोई कॉपी नहीं करता और न ही उनके जैसा कोई अभिनय कर सकता है। मैं, दादा और डैड के सामने कुछ भी नहीं हूं।
काशी के लिए कुछ करना चाहता हूं : अभिषेक
जूनियर बच्चनने कहा, ''बनारस से जुड़कर कुछ करना चाहता हूं, क्योंकि ये शहर से मेरे परिवार का खास जुड़ाव रहा है। इस शहर में मैं पहली बार 1997 में आया था। आज भी यहां गुजारे गए बचपन की याद दिल में बसी हुई है।''
कबड्डी को इंडिया में आईपीएल की तरह पॉपुलर बनाने का श्रेय जूनियर बच्चन को जाता है। उनके मुताबिक, कबड्डी का जिक्र पुराणों में मिलता है। ये एक प्राचीन खेल है। यही वजह है कि मैंने इस खेल को प्रमोट करने की सोची।