किसानों को रोकने में फेल येागी सरकार, आखिर कैसे हो गई प्रशासनिक चूक

मुजफ्फरनगर में एकत्र किसान इस बात का साफ संकेत दे रहे हैं कि योगी सरकार के अधिकारियों से कहीं न कहीं चूक जरूर हो गयी वरना कल देर रात जिस तरह से अर्द्धसैनिक बलों और पुलिस-पीएसी की तैनाती की गयी थी

Update:2021-01-29 15:42 IST
किसानों को रोकने में फेल येागी सरकार, आखिर कैसे हो गई प्रशासनिक चूक (PC: social media)

लखनऊ: गुरूवार देर रात खत्म होता किसान आंदोलन एक बार फिर से बड़ा होता नजर आ रहा है। गुरूवार को ऐसा लग रहा था किसानों के गुटों के आपसी मतभेद और किसानों के धरना स्थल छोड़ देने के बाद अब दो महीना पुराना किसान आंदोलन अंतिम सांसे ले रहा है पर किसान नेता राकेश टिकैत के 'इमोशन कार्ड' ने भाजपा सरकार की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है। जो किसान अपने घर पर लौट चुके थें वह एक बार फिर 'रिफ्रेश' होकर आंदोंलन के मैदान में डट गए है।

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मुजफ्फरनगर में एकत्र किसान इस बात का साफ संकेत दे रहे हैं

मुजफ्फरनगर में एकत्र किसान इस बात का साफ संकेत दे रहे हैं कि योगी सरकार के अधिकारियों से कहीं न कहीं चूक जरूर हो गयी वरना कल देर रात जिस तरह से अर्द्धसैनिक बलों और पुलिस-पीएसी की तैनाती की गयी थी उससे साफ था कि बस कुछ देर में ही राकेश टिकैत की गिरफ्तारी होने जा रही है और आज के बाद यह दो महीने पुराना आंदोलन खत्म हो जाएगा।

देश की राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन सवालों के घेरे में आ गया था। दिल्ली पुलिस की तमाम कार्रवाइयों के बाद फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी ऐक्शन में आ चुके थें।

किसानों के धरने को खत्म कराने का आदेश दिया था

गुरुवार को उन्होंने उत्तर प्रदेश में जगह-जगह चल रहे किसानों के धरने को खत्म कराने का आदेश दिया था। योगी सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस-प्रशासन को धरना खत्म कराने के निर्देश दिए हैं। वहीं, सीएम के आदेश के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने अपने तंबू उखाड़ने शुरू हो गए थें।

पर थोड़ी प्रशासिनक चूके के बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पुलिस ने सरेंडर करने के सारे कयासों पर मिट्टी डालते हुए धरना जारी रहने का ऐलान किया है। उधर दिल्ली सरकार ने भी राजनीतिक विरोध के चलते बिजली और पानी की व्यवस्था कर अप्रत्यक्ष तौर पर इस धरने को आगे बढाने के लिए अपना पूरा समर्थन देने का काम कर दिया है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि आखिर किसान नेता राकेश टिकैत को गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। जबकि पुलिस के सामने उनको शुक्रवार को हाजिर भी होना था। आखिर किसके इशारे पर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने राकेश टिकैत के सामने अपने हथियार डाल दिए।

अपना समर्थन देकर किसान बिल का विरोध किया है

सवाल इस बात का है कि जिस तरह से बसपा नेत्री मायावती सपा नेता अखिलेश यादव कांग्रेस के राहुल प्रियंका समेत रालोद के जयन्त चैधरी ने धरना स्थल पर पहुंचकर राकेश टिकैत को अपना समर्थन देकर किसान बिल का विरोध किया है उसे योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है।

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बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि अगर किसान लंबे समय तक आंदोलन करते हैं तो यूपी में खासतौर से पश्चमी यूपी में भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. पिछले चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस सपा और बसपा के साथ साथ आरएलडी की मौजूदगी के बावजूद अच्छी सफलता हासिल की थी। पर इस आंदोलन के कारण पार्टी का अगले विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है।

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री

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