लखनऊ: मेरठ के स्वामी विवेकानन्द, सुभारती यूनिवर्सिटी को स्कॉलरशिप में गड़बड़ी के मामले में दोषी पाया गया है। समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति ने जांच के बाद शुल्क प्रतिपूर्ति के मामले में अनियमितता बरतने के आरोप में यूनिवर्सिटी को ब्लैक लिस्टेड करने के फैसले को सही ठहराया है। सुभारती विवि के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है।
छात्रवृत्ति के लाखों रुपए डकारे, शुल्क प्रतिपूर्ति के पैसे भी खुद के खाते में लिए
जांच में सामने आया कि यूनिवर्सिटी स्कॉलरशिप के लाखों रुपए डकार गया।
कुछ मामलों में स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप व शुल्क प्रतिपूर्ति की जो धनराशि दी गई वह निर्धारित फीस से अधिक थी।
इतना ही नहीं संस्थान ने शुल्क प्रतिपूर्ति के साथ कई स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप भी स्वयं के खाते में रख ली।
चीफ सेक्रेटरी के यहां भी की थी अपील पर नहीं मिली राहत
-सुभारती विवि ने स्कॉलरशिप में गड़बड़ी के मामले में ब्लैक लिस्टेड होने के बाद चीफ सेक्रेटरी के यहां अपील की थी।
-मुख्य सचिव ने मामले की सुनवाई के लिए प्रमुख सचिव समाज कल्याण की अध्यक्षता में एक फोरम बनाने का आदेश भी जारी किया।
-इस फोरम से भी विवि प्रशासन को राहत नहीं मिली।
क्या है पूरा घटनाक्रम
-10 अगस्त 2015 को सुभारती विवि को दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति में अनियमितता बरतने के आरोप में ब्लैक लिस्टेड किया गया था।
-प्रशासन ने इसके विरूद्ध 17 अगस्त को चीफ सेक्रेटरी के यहां अपील की।
- सेक्रेटरी ने इस मामले के निस्तारण के लिए 10 नवंबर 2015 को प्रमुख सचिव समाज कल्याण की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति गठित की।
-समितिे ने विवि को पक्ष रखने के लिए 21 दिसम्बर 2015 को बुलाया।
-11 अप्रैल को फिर समिति की बैठक हुई।
-3 मई को समिति ने शिक्षण संस्थान को ब्लैक लिस्टेड करने के फैसले को सही ठहराया।
सुभारती विवि को इन आरोपों में किया गया ब्लैक लिस्टेड
-निजी क्षेत्र की संस्थाओं में स्कॉलरशिप के लिए स्टूडेंट्स को अंतिम वरीयता श्रेणी-च में होनी चाहिए।
- विवि प्रशासन ने नियमों की अनदेखी करते हुए छात्रवृत्ति आवेदन पत्र वरीयता श्रेणी-ग(फ्री सीट) के तहत भराए।
-एससी व सामान्य वर्ग के दशमोत्तर क्लास के स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप व शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि अनियमित तरीके से प्राप्त की गई।
-शिक्षण संस्था ने बदनियती से स्कॉलरशिप और शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि प्राप्त करने के उद्देश्य से कई स्टूडेंट्स का डाटा एक ही श़ैक्षिक वर्ष में एक से अधिक पाठ्यक्रमों में दो या तीन बार सत्यापित कर भेजा गया।
चार सदस्यीय समिति ने विवि में जाकर की अभिलेखों की जांच
-इसके अलावा उपनिदेशक मुरादाबाद की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय समिति ने विवि में रहकर अभिलेखों की जांच की।
-इसमें पाया गया कि स्टूडेंट्स के आवेदन पत्र को फ्री/पेड सीट में भरवाकर शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि गलत तरीके से प्राप्त की गई।
-संस्थान द्वारा स्टूडेंट्स की शुल्क प्रतिपूर्ति के साथ उसकी स्कॉलरशिप भी स्वयं के खाते में डेबिट बाउचर्स के माध्यम से प्राप्त की गई।
-संस्थान द्वारा दुराग्रहपूर्ण रूप से स्टूडेंट्स का दो-दो पाठ्यक्रमों में नाम दर्शाते हुए डाटा भेजा गया।
-शिक्षण संस्था के स्तर से डाटा फारवर्ड करने में लापरवाही बरती गई।
-कुछ स्टूडेंट्स को एक ही शैक्षिक सत्र में एक से अधिक पाठ्यक्रमों में दो से तीन बार दर्शाते हुए डाटा फारवर्ड कर स्कॉलरशिप अनुचित तरीके से प्राप्त की गई।
जांच समिति के ये थे सदस्य
-सुनील कुमार, प्रमुख सचिव समाज कल्याण/अध्यक्ष अपीलीय फोरम
-पुष्पा सिंह, विशेष सचिव, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग
-बीबी सिंह, विशेष सचिव, उच्च शिक्षा विभाग
-जय प्रकाश पाण्डेय, संयुक्त सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण
-केके चौधरी, रजिस्ट्रार, यूपीटीयू
-सुरेश चन्द्र, उपसचिव, प्राविधिक शिक्षा विभाग
-आरएच खान, निदेशक, एनआईसी, राज्य योजना इकाई
- पीके त्रिपाठी, उपनिदेशक, समाज कल्याण मुख्यालय, लखनऊ