मोटरसाइकिल वाली दुल्हनियां: ऐसे ले गए इन्हे दूल्हे राजा, कहा कि दुल्हन ही दहेज
हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक नव दंपति विवाह के बंधन में बंधे और दोनो ने ईश्वर को साक्षी मानकर सामाजिक दूरी को बनाए रखते हुए जीवन भर साथ रहने की कसम खाई।
रायबरेली: देश में जारी कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते पूरा देश में लॉकडाउन लागू है। ऐसे में साड़ी सेवायें और सुविधाएं बाधित है। ऐसे में देश भर में शादी ब्याह पर भी पाबंदी है। लेकिन लखनऊ से तीन बारातियों के साथ एक दूल्हा बाइक से अपनी बारात लेकर पहुंचा। हिंदू रीति रिवाज के साथ शादी की रस्में अदा हुई और फिर बाइक से ही दुल्हन विदा होकर पति के घर गई। यहां दूल्हे ने कहा कि लॉकडाउन की शादियां बिना खर्च के हो रही हैं, ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि दुल्हन ही दहेज है।
3 बारातियों के साथ पहुंची बारात
आपको बता दें कि जिले के महाराजगंज विकास क्षेत्र अंतर्गत अटरा गांव निवासी दयाराम की पुत्री कोमल का विवाह राजधानी लखनऊ के आलमबाग स्थित रेलवे कॉलोनी बरहा निवासी रामसेवक कश्यप के पुत्र संजय कश्यप के साथ तय था। तय तिथि पर दूल्हे समेत बारात में 3 लोग बाइक से यहां पहुंचे।
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हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक नव दंपति विवाह के बंधन में बंधे और दोनो ने ईश्वर को साक्षी मानकर सामाजिक दूरी को बनाए रखते हुए जीवन भर साथ रहने की कसम खाई। ऐसे में जहां लॉकडाउन के चलते लोगों की शादियाँ रुकीं हैं ऐसे में ये शादी एक मिसाल है।
दुल्हन ही असली दहेज़
नवविवाहिता कोमल ने बताया कि देश सर्वोपरि देश से बढ़कर कुछ नहीं। यदि इसी प्रकार शादी विवाह होते रहे तो कोई पिता कभी कर्जदार नहीं होगा। वहीं दूल्हे संजय ने बताया कि लॉक डाउन की शादियां बिना खर्च के हो रही हैं ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि दुल्हन ही दहेज है। इस जोड़ी ने देश के लिए एक उदाहरण पेश किया है।
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हमें निश्चित तौर पर इनसे कुछ सीखना चाहिए और लॉकडाउन हो या न हो शादी में प्रचलित दहेज की इस कुप्रथा का अंत होना चाहिए। फिलहाल संजय और कोमल ने ऐसे सनकत के समय में अपनी शादी करके बिना दहेज़ लिए देश के लिए एक मिसाल पेश की है। हमारी भी ये ही कामना है कि भगवान इनकी जोड़ी को सदा सलामत रखे।