UP की धूम, गौहत्या, लव जेहाद समेत कई राज्य अपना रहे योगी मॉडल
पिछले साल नागरिकता संशोधन एक्ट पर देश के कई हिस्सों में बवाल हुआ। असामाजिक तत्वों ने इस एक्ट के खिलाफ हिंसक विरोध किया। दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में हुए विरोध प्रदर्शन में सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: कभी अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर देश भर में मशहूर हुए गुजरात माडल की तरह ही अब बेहतर कानून व्यवस्था को लेकर योगी माडल की धूम है। कई राज्यों में कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उठाए गए कदमों की सराहना होने के बाद अब इसे कई राज्य अपना रहे है।
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नागरिकता संशोधन एक्ट पर देश के कई हिस्सों में बवाल हुआ
पिछले साल नागरिकता संशोधन एक्ट पर देश के कई हिस्सों में बवाल हुआ। असामाजिक तत्वों ने इस एक्ट के खिलाफ हिंसक विरोध किया। दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में हुए विरोध प्रदर्शन में सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। इस पर यूपी की योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश पब्लिक प्राइवेट प्रॉपर्टी एंड रिकवरी अध्यादेश पारित कराकर दंगाइयों से सम्पत्ति वसूलने का काम किया। इस कानून की अन्य राज्यों ने सराहना की और भाजपा षासित सरकार गुजरात में इसे अपनाया भी गया।
गौ संरक्षण कानून को योगी सरकार ने सख्त बनाने का काम किया
इसी तरह प्रदेश के लचीले गौ संरक्षण कानून को योगी सरकार ने सख्त बनाने का काम किया। उत्तर प्रदेश सरकार ने गौहत्या कानून में सजा बढ़ाने के साथ गोवंश को नुकसान पहुंचाने पर भी सजा का प्रावधान कर दिया। गोहत्या पर अब 3 से 10 साल की सजा व गोवंश को शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचाने पर भी सजा हो सकती है। इसके अलावा गोकशी और गोतस्करी से जुड़े अपराधियों के फोटो भी सार्वजनिक रूप से चस्पा किए जाने की व्यवस्था है। इस माडल की तरह ही कर्नाटक येदुरप्पा सरकार ने कानून बनाने का काम किया है। इसमें गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और तस्करी, अवैध परिवहन, गायों पर अत्याचार और गौहत्या करने वालों पर कड़ी सजा का प्रावधान है। कानून के तहत गौहत्या करने पर 50000 से 10 लाख तक जुर्माना और 3-7 साल की सजा का प्रावधान है।
यूपी में लव जेहाद की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए सीएम ने कदम उठाया
यूपी में लव जेहाद की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे बढ़कर कदम उठाया। उन्होंने विधानसभा सत्र का इंतजार किए बिना कैबिनेट में अध्यादेश लाकर इसे कानून बनाने का काम किया। इसके बाद अन्य राज्यों में इस कानून की मांग हुई और कर्नाटक हरियाणा और मध्यप्रदेश भी इसी रास्ते पर आगे बढ़ चुके है।
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काफी जगहों के बदले नाम
मुगलों के जमाने से भारतीय संस्कृति के विपरीत धारा वाले नगरों के नाम बदलने का काम सबसे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है। फैजाबाद से अयोध्या, इलाहाबाद से प्रयागराज, मुगलसराय स्टेशन का नाम पं दीनदयाल उपाध्याय और आगरा के मुगल म्युजियम का नाम छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से रखने का काम किया है। हाल यह है कि अब देश के कई राज्यों उत्तराखण्ड, बिहार,मध्यप्रदेश और जम्मू काश्मीर में भी कई जिलों के नाम बदलने की मांग हो रही है। कुछ मुख्यमंत्रियों ने तो इस पर काम शुरू भी कर दिया है।
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