आगरा: औषधि विभाग की कार्रवाई के बावजूद दवा माफिया बेखौफ

औषधि विभाग लगातार दवा माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही कर रहा है लेकिन कार्यवाही के बाद भी दवा माफियाओं के क्षेत्र में इजाफा होता जा रहा है। आगरा के बाद अब दवा माफियाओं ने मथुरा में अपना ठिकाना बनाना शुरू कर दिया है।

Update: 2021-03-10 17:21 GMT
औषधि विभाग की कार्यवाही के बावजूद दवा माफिया बेखौफ

आगरा: औषधि विभाग लगातार दवा माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही कर रहा है लेकिन कार्यवाही के बाद भी दवा माफियाओं के क्षेत्र में इजाफा होता जा रहा है। आगरा के बाद अब दवा माफियाओं ने मथुरा में अपना ठिकाना बनाना शुरू कर दिया है। जिसके बाद विभाग ने मथुरा में छापेमार कार्यवाही करके लगभग 80 लाख रूपये की दवायें बरामद की है।

दवा माफियाओं के खिलाफ अभियान बेअसर

औषधि विभाग लगातार दवा माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाकर लाखों रुपये की दवाईयाॅ बरामद कर रहा है लेकिन इसके बाद भी दवा माफियाओं के कारनामों में रोक नहीं लग पा रही है। आगरा में पिछले दिनों कई जगह छापामार कार्यवाही करके औषधि विभाग ने दवा माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही की थी। इसके बाद अब आगरा के दवा माफियाओं के तार मथुरा में भी जुड गये हैं।

इसी क्रम में पिछले मंगलवार को सहायक आयुक्त औषधि अखिलेश जैन के नेतृत्व में मथुरा के गोविन्द नगर थाने में तीन टृांसपोर्टरों के यहां पुलिस व विभाग द्वारा छापेमारी की गयी। जिसमें लगभग 80 लाख रूप्ये की दवा बरामद की है। विभाग द्वारा आगरा में कार्यवाही की गयी थी तब बताया गया था कि दवाईयों का नकली कारोबार किया जा रहा है लेकिन विभाग ने छापेमार कार्यवाही के बाद यह नहीं देखा कि यह नकली दवाईयाॅ कहां-कहां सप्लाई हो चुकी है, यदि विभाग इस ओर ध्यान देता तो शायद बे-मौत मरने वाले मरीजों की जान बचायी जा सकती है। इससे विभाग की कार्यवाही पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है।

दवा माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही

अब देखना होगा कि औषधि विभाग इसी तरह दवा माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करके अपनी पीठ थपथपाता रहेगा या फिर नकली दवा बेचने वाले छोटे-छोटे मेडीकल स्टोरों पर भी कार्यवाही करेगा। फिलहाल विभाग के एक औषधि निरीक्षक की पिछले दिनों लाखों रूप्ये डील की ऑडियो वायरल हो चुकी है जिस पर अधिकारियों द्वारा सिर्फ जांच की जा रही है।

मेडीकल स्टोरों पर नहीं बैठते फार्मासिस्ट

औषधि विभाग की लापरवाही के चलते मेडीकल स्टोरों पर फार्मासिस्ट नहीं बैठते हैं जबकि विभाग जब जांच करता है तो मेडीकल स्टोर संचालकों को नोटिस जारी करता है,उसके बाद सैटिंग के खेल में वह नोटिस गुम हो जाता है।

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टिंचर-‘जिंजर की बिक्री पर नहीं है ध्यान

औषधि विभाग की शिथिलता के चलते टिंचर-जिंजर की दुकानें गरीबों के घरों को उजाड रही है जबकि विभाग इन दुकानों को लेकर सिर्फ आॅपचारिकतायें पूरी करता नजर आ रहा है। यही कारण है कि इन दुकानों पर धडल्ले से टिंचर-जिंजद बेचा जा रहा है।

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ऑडियो पर नहीं हो रही कार्यवाही

पिछले दिनों औषधि विभाग के निरीक्षक की एक आॅडियो दवा व्यापारी से रूप्ये मांगता वायरल हुआ था लेकिन वह आॅडियो सिर्फ जांच में घिर कर भ्रष्टाचार की दास्ता बयां कर रहा है। अधिकारी भी सिर्फ इसमें जांच की बात करते है।

नोटिस के खेल में दिखता है भ्रष्टाचार

विभाग द्वारा लगातार नोटिस जारी किये जाते हैं लेकिन यह नोटिस भ्रष्टाचार के खेल में उलझ जाते हैं। इसके लिये कोई उच्च अधिकारी जबाव देने को भी तैयार नहीं है। जबकि मुख्यमंत्री लगातार ईमानदार सरकारी चलने का दावा करते है।

रिपोर्ट- प्रवीन शर्मा

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