Sonbhadra: सोनभद्र में खतरनाक स्थिति में पहुंचा प्रदूषण, मानक के सात गुने से अधिक दर्ज हुआ आंकड़ा

Sonbhadra News Today: सोनभद्र की आबोहवा में प्रदूषण का जहर तेजी से बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जारी आंकड़ों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार जाने से हडकंप मच गया है।

Update: 2022-11-24 16:17 GMT

सोनभद्र में खतरनाक स्थिति में पहुंचा प्रदूषण

Sonbhadra: ठंडक के मौसम में छाने वाली कोहरे की धुंध के पहले ही सोनभद्र (सिंगरौली रीजन, जिसमें सोनभद्र की ओबरा से शक्तिनगर की एरिया शामिल है) की आबोहवा में प्रदूषण का जहर तेजी से बढ़ता जा रहा है। यूपी-एमपी सीमा पर स्थित मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जुडे़ संयंत्र से मिलने वाले आंकड़े को छोड़ दें तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (central pollution control board) की तरफ से जारी होने वाले आंकड़ों में भी महज एक पखवाड़े के भीतर चार बार, वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार जाने से हडकंप मच गया है। पर्यावरण विशेषज्ञ और चिकित्सक जहां इसे, लोगों की सेहत के लिए खतरनाक बता रहे हैं। वहीं इसके चलते स्कीन, फेफड़े से जुड़ी बीमारियों को तेजी से बढ़ने की आशंका ने लोगों की नींद उड़ानी शुरू कर दी है।

14 दिनों में चार बार 300 से अधिक दर्ज हुआ गुणवत्ता सूचकांक

पावर कैपिटल का दर्जा रखने वाले जिले के अनपरा को केंद्र सरकार की तरफ से संचालित होने वाले नेशनल एयर क्लीन प्रोग्राम में जगह दी गई और साल दर साल वायु प्रदूषण में कमी लाने का लक्ष्य तय किया गया है। वहीं हकीकत की स्थिति यह है, प्रोग्राम वाले एरिया से जुड़े इलाके की हवा में जहां प्रदूषण का स्तर मानक से सात गुना से भी अधिक पहुंच गया है। वहीं एक पखवाड़े से भी कम समय में वायु गुणवत्ता सूचकांक एक-एक दो-दिन के अंतराल पर तीन सौ से पार (11 नवंबर 305, 13 नवंबर 302, 17 नवंबर 306, 21 नवंबर 304) पहुंच गया है। यह आंकड़ा तब है, जब इस अवधि में तीन दिन यहां वायु प्रदूषण की गणना ही नहीं की गई। बता दें कि हवा में घुलने वाले 2.5 माइक्रोमीटर व्यास वाले सूक्ष्म कणों का मानक 40 और इससे अधिक तथा 10 माइक्रोमीटर व्यास वाले सूक्ष्म कणों का मानक 60 है। सोनभद्र में वर्तमान में जो प्रदूषण की स्थिति में है, उसमें सबसे अधिक मात्रा 2.5 माइक्रोमीटर वाले सूक्ष्म कणों की है।

प्रदूषण से मौतों का सबसे बड़ा कारक है पीएम 2.5, प्रति लाख 106 का आ चुका है रिसर्च

पीएम 2.5 यानी 2.5 माइक्रोमीटर व्यास वाले सूक्ष्य कण मानव जीवन के लिए कितने खतरनाक हैं, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता कि गत अगस्त माह में अमेरिका के हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट की रिसर्च में स्पष्ट रूप से यह दावा किया गया है कि पीएम 2.5 प्रदूषण की वजह से दिल्ली में प्रति एक लाख आबादी पर 106 और कोलकाता में प्रति लाख 99 लोगों की मौत हुई। प्रदूषण को लेकर सोनभद्र के भी हालात लंबे समय से बदतर बने हुए हैं। एनजीटी सोनभद्र के पर्यावरण में प्रदूषण सहने की क्षमता शेष रह गई है कि नहीं, इसके अध्ययन का निर्देश दे चुका है। बावजूद जिस तरह से वायु प्रदूषण का लगातार खतरनाक स्तर सामने आ रहा है, उसने लोगों को बेचैन करना शुरू कर दिया है। इसके नियंत्रण को लेकर किस तरह के उपाय अपनाए जा रहे हैं, इसके लिए क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी टीएन सिंह से संपर्क का प्रयास किया गया लेकिन लगातार व्यस्त होने का उत्तर मिलता रहा।

सुबह के वक्त बरतें विशेष एहतियात, मास्क लेकर ही निकलें घरों से बाहर

संयुक्त चिकित्सालय डिबुलगंज, अनपरा के प्रभारी डा. बीके सिंह कहते हैं कि 2.5 प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए लोगों को चाहिए कि वह घर से बाहर निकलते वक्त मास्क का जरूर इस्तेमाल करें। उम्रदराज यानी 50 वर्ष से उपर के व्यक्ति अति आवश्यक होने पर ही, वह भी मास्क का प्रयोग करते हुए घर से बाहर निकलें। अलसुबह मार्निंग वाक से जहां तक संभव हो परहेज करें। सूर्योदय के बाद ही मार्निंग वाक पर जाएं। घर की दरवाजे-खिड़कियां भी सूर्योदय के बाद ही खोलें। बता दें कि पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक 2.5 माइक्रोमीटर व्यास वाले सूक्ष्म कण फेफड़े में सीधे प्रवेश तो करते हैं, धमनियों में सीधे प्रवेश के कारण इसे अनीमिया का भी एक बड़ा कारक माना जाता है। एलर्जी, दमा सहित श्वसन संबंधी अन्य बीमारी तथा लंग कैंसर के लिए भी इसे प्रमुख रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है।

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