साझा रैलियां करेंगे अखिलेश-मायावती, अमेठी व रायबरेली से उतार सकते हैं प्रत्याशी
लखनऊ। लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ प्रदेश में सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस की दूरियां तो पहले ही बढ़ चुकी थीं मगर अब दोनों के बीच तल्खी और बढ़ गयी है। सपा-बसपा गठबंधन ने पहले अमेठी और रायबरेली की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ीं थीं मगर अब यह गठबंधन रायबरेली व अमेठी सीट पर भी अपने उम्मीदवार उतार सकता है। हालांकि इस पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। गठबंधन के उम्मीदवारों को मजबूती देने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव व बसपा सुप्रीमो मायावती ने साझा रैलियां करने का भी फैसला किया है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार शाम बसपा सुप्रीमो से मुलाकात कर प्रदेश के सियासी हालात पर चर्चा की। इस मुलाकात के बाद चर्चा है कि गठबंधन में सपा-बसपा के बीच सीटों के बंटवारे में कुछ संशोधन हो सकता है। एक-दो सीटों की अदला-बदली को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई। इस दौरान चुनाव प्रचार के लिए संयुक्त रैलियों समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक के दौरान कांग्रेस के प्रति तल्खी दिखाई पड़ी। हालांकि अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन ऐसे संकेत हैं कि रायबरेली व अमेठी सीट पर भी गठबंधन अपने उम्मीदवार उतार सकता है।
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दोनों नेताओं की बातचीत में एकजुटता का संदेश देने के लिए मायावती व अखिलेश यादव की संयुक्त रैलियों का भी फैसला हुआ। बैठक में जल्द ही रैलियों के कार्यक्रम को अंतिम रूप देने पर सहमति बनी। दोनों नेताओं का मानना था कि संयुक्त रैलियों से कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश जाएगा और इससे गठबंधन प्रत्याशी की स्थिति मजबूत होगी। इससे पहले सपा व बसपा के साथ ही रालोद नेता जिला या लोकसभावार अलग-अलग सभाएं करेंगे। इनमें तीनों दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय कायम किया जाएगा ताकि वे एक-दूसरे को अपने वोट ट्रांसफर कर सकें।
पश्चिमी यूपी से होगी शुरुआत
दोनों नेता नवरात्र में ही साझा रैलियां शुरू कर सकते हैं। इस अभियान की शुरुआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश से होगी। माना जा रहा था कि अभी तक बंद कमरों में हो रही बैठक से कैडर के पास सीधा संदेश नहीं जा रहा था। अगर दोनों साझा रैली करते हैं तो फिर ये 1993 के बाद पहली बार होगा कि बसपा-सपा के नेता साझा रैली करेंगे। इससे पहले कांशीराम और मुलायम सिंह यादव ने साथ में रैलियां की थीं। सात चरणों में होने वाले उत्तर प्रदेश के चुनाव में दोनों नेता हर चरण दो-दो साझा रैलियां करेंगे यानी कुल 14 साझा रैलियां हो सकती हैं।
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प्रियंका-चंद्रशेखर की मुलाकात से मायावती नाराज
अखिलेश व मायावती की बैठक में कांग्रेस को लेकर भी चर्चा हुई। बताया जाता है कि मायावती बुधवार को मेरठ में प्रियंका गांधी व भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर के बीच मुलाकात से काफी नाराज हैं। मायावती किसी दूसरे दलित नेता को उभरते हुए नहीं देखना चाहतीं और इस नजरिये से वे चंद्रशेखर को भी फूटी आंख नहीं देखना चाहतीं। यही कारण है कि इस मुलाकात के बाद कांग्रेस से उनकी तल्खी और बढ़ गई है। मायावती ने कांग्रेस के प्रति कड़े तेवर दिखाए हैं। मंगलवार को प्रियंका गांधी वाड्रा जब गुजरात में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को संबोधित कर रहीं थी तो मायावती ने कांग्रेस से किसी भी राज्य में गठजोड़ की संभावना से इनकार किया था।
अब उन्होंने यूपी में कांग्रेस के प्रति और सख्त रुख कर दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले मनोनयन की रेवडिय़ां बांटने को लेकर उन्होंने बुधवार को ट्वीट कर प्रदेश की भाजपा सरकार के साथ मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को भी घेरा। अखिलेश से बातचीत में उन्होंने कांग्रेस से दूरी बनाए रखने पर जोर दिया। बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई है कि रायबरेली व अमेठी से प्रत्याशी उतारने पर क्यों न विचार किया जाए।
गठबन्धन ने किया दावेदारों की तैयारियांं पर कुठाराघात
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी में भले ही 26 सालों बाद चुनावी समझौता होने के बाद अब साझा रैलियों की तैयारियां चल रही हैं लेकिन उन सीटों को लेकर समाजवादी पार्टी नेतृत्व अभी भी सांसत में है जहां पिछले लोकसभा चुनावों में सपा के सांसद चुने गए थे। अब यह सीटें बसपा के खाते में हैं।
ऐसी सीटों में सहारनपुर, बिजनौर, नगीना (सु), अमरोहा, मेरठ, गौतमबुद्धनगर, बुलन्दशहर (सु), अलीगढ़, आगरा (सु), फतेहपुर सीकरी, आंवला, शाहजहांपुर (सु), धौरहरा, सीतापुर मिश्रिख (सु), मोहनलालगंज (सु), सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फर्रुखाबाद, अकबरपुर, जालौन (सु), हमीरपुर, फतेहपुर, कौशाम्बी (सु), अम्बेडकरनगर, कैसरगंज, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीर नगर, देवरिया, बांसगाव (सु), लालगंज (सु), घोसी, सलेमपुर, जौनपुर, मछलीशहर (सु), गाजीपुर तथा भदोही हैं। यह सभी सीटें बसपा के खाते में गईं है। इनमें से 2009 के लोकसभा चुनाव में नगीना (सु), बुलन्दशहर, शाहजहांपुर (सु), मोहनलालगंज (सु), जालौन, फतेहपुर, जालौन (सु), कैसरगंज, मछलीशहर तथा गाजीपुर सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीतकर सांसद बने थे।
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में समाजवादी पार्टी को केवल पांच सीटें ही मिल पाई थीं। उस लहर में भी बिजनौर, नगीना (सु), अमरोहा, गौतमबुद्वनगर, आंवला, फर्रुखाबाद, हमीरपुर, कैसरगंज, श्रावस्ती, बस्ती, लालगंज तथा गाजीपुर में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों ने जोरदार टक्कर दी थी।