Akhilesh Yadav Birthday: महज 27 की उम्र में बने सांसद और 38 में यूपी के CM, अब पूरी मजबूती से संभाल रहे पिता की विरासत

Akhilesh Yadav Birthday: सपा मुखिया अखिलेश यादव का जन्म इटावा जिले के सैफई कस्बे में 1 जुलाई 1973 को मुलायम सिंह यादव और मालती देवी के घर पर हुआ था।

Update:2023-07-01 08:25 IST
Akhilesh Yadav (PHOTO: Newstrack )

Akhilesh Yadav Birthday: समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव देश के उन राजनेताओं में शामिल हैं जिन्होंने अपने पिता की विरासत को पूरी मजबूती के साथ संभाल रखा है। इटावा स्थित सैफई में 1 जुलाई,1973 को पैदा होने वाले अखिलेश यादव ने सियासी मैदान में उतरने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते रहे। अपने पिता समाजवादी दिग्गज मुलायम सिंह यादव से राजनीति का ककहरा सीखने वाले अखिलेश यादव महज 27 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने थे।

2012 में जब उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली तब उनकी उम्र महज 38 साल थी। जनवरी 2017 में उन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद की कमान संभाली और उसके बाद से ही वे लगातार पार्टी को सियासी रूप से मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उत्तर प्रदेश में सपा की सियासी मजबूती के कारण राष्ट्रीय स्तर पर भी अखिलेश यादव की सियासी पूछ काफी बढ़ गई है। मौजूदा समय में अखिलेश यादव पूरी मजबूती के साथ अपने पिता की विरासत को संभालते हुए भाजपा को कड़ी चुनौती देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

शुरुआती पढ़ाई भारत में,फिर गए आस्ट्रेलिया

सपा मुखिया अखिलेश यादव का जन्म इटावा जिले के सैफई कस्बे में 1 जुलाई 1973 को मुलायम सिंह यादव और मालती देवी के घर पर हुआ था। उनके जन्म से पहले ही उत्तर प्रदेश के सियासी हलकों में मुलायम सिंह यादव का नाम जाना जाने लगा था। अखिलेश यादव ने अपनी शुरुआती पढ़ाई इटावा के सेंट मैरी स्कूल से पूरी की और फिर उन्होंने आगे की पढ़ाई राजस्थान के धौलपुर स्थित मिलिट्री स्कूल से की। अखिलेश यादव ने मैसूर विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है।

इसके बाद वे आगे की पढ़ाई करने के लिए ऑस्ट्रेलिया चले गए। उन्होंने सिडनी यूनिवर्सिटी से पर्यावरण अभियांत्रिकी में परास्नातक किया। अखिलेश के पिता और उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव अपने बेटे को राजनीति के मैदान में उतारना चाहते थे और यही कारण था कि पढ़ाई पूरी करने के बाद अखिलेश यादव भारत लौटकर राजनीति का ककहरा सीखने लगे।

इस तरह डिंपल से हुई अखिलेश की शादी

भारत लौटने के बाद 24 नवंबर 1999 को अखिलेश यादव की शादी डिंपल यादव के साथ हुई थी। अखिलेश जब पहली बार डिंपल से मिले तो उनकी उम्र 21 साल थी जबकि डिंपल 17 साल की थीं। अखिलेश यादव और डिंपल की पहली मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के जरिए हुई थी। डिंपल यादव ने एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया था कि जब उनकी मुलाकात अखिलेश यादव के साथ हुई थी तब उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि वे इतने बड़े पॉलिटिशियन मुलायम सिंह यादव के बेटे हैं। उस समय अखिलेश यादव मैसूर विश्वविद्यालय पढ़ाई कर रहे थे। बाद में आगे की पढ़ाई के लिए सिडनी जाने के बाद भी वे लगातार डिंपल के संपर्क में बने रहे।

शुरुआत में मुलायम सिंह यादव उत्तराखंड के राजपूत परिवार से ताल्लुक रखने वाली डिंपल से अखिलेश की शादी के पक्ष में नहीं थे। हालांकि बाद में अखिलेश यादव की इच्छा के आगे उन्हें झुकना पड़ा और 24 नवंबर 1999 को अखिलेश और डिंपल शादी के बंधन में बंध गए। डिंपल यादव अखिलेश के लिए काफी लकी साबित हुईं और शादी के बाद वे सियासी मैदान में लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते रहे।

अखिलेश और डिंपल के दो बेटियां और एक बेटा है। बाद में डिंपल यादव सियासी मैदान में उतरीं। मौजूदा समय में वे अपने ससुर मुलायम सिंह यादव की सीट रही मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। पिछले साल 10 अक्टूबर को मुलायम सिंह के निधन के बाद सीट पर उपचुनाव कराया गया था जिसमें डिंपल यादव ने भारी मतों से जीत हासिल की थी।

27 की उम्र में पहली बार बने सांसद

अखिलेश यादव ने 2000 में सक्रिय राजनीति के मैदान में कदम रखा। अपनी राजनीतिक पारी शुरू करते समय अखिलेश यादव ने कहा था कि मैं बाहर था, तभी मेरे पास नेता जी का फोन आया और उन्होंने मुझे चुनाव लड़ने का निर्देश दिया। कन्नौज लोकसभा सीट पर 2000 में हुए उपचुनाव में अखिलेश यादव पहली बार सांसद बनने में कामयाब हुए। उस समय उनकी उम्र महज 27 साल थी।

2004 में अखिलेश यादव ने कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में दूसरी बार जीत हासिल की थी। 2009 में अखिलेश यादव ने कन्नौज और फिरोजाबाद दोनों लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा और दोनों पर जीत हासिल की हालांकि बाद में उन्होंने फिरोजाबाद सीट छोड़ दी थी।

2012 में सपा की जीत में बड़ी भूमिका

उत्तर प्रदेश में 2012 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए काफी मेहनत की थी। 2012 के उपचुनाव की औपचारिक घोषणा से पहले ही अखिलेश यादव ने कभी क्रांति रथयात्रा तो कभी साइकिल यात्रा के जरिए पूरे प्रदेश को मथ डाला था। 2012 का यह विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव के लिए गेमचेंजर साबित हुआ।

समाजवादी पार्टी को इस चुनाव में बड़ी जीत हासिल हुई थी और पार्टी ने 224 सीटें जीतकर प्रदेश में पूर्ण बहुमत हासिल किया था। सपा की इस बड़ी जीत के बाद मुलायम सिंह यादव ने बड़ा फैसला देते लेते हुए उत्तर प्रदेश की कमान अखिलेश यादव के हाथों में सौंपने का फैसला लिया था।

38 साल की उम्र में बन गए यूपी के सीएम

अखिलेश यादव ने जब मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश की कमान संभाली उस समय उनकी उम्र महज 38 साल थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश यादव ने कन्नौज के सांसद से इस्तीफा दे दिया था और कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी डिंपल यादव सांसद चुनी गई।

2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपने काम से अखिलेश ने लोगों को काफी प्रभावित किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश के विकास का नया हाईटेक मॉडल भी पेश किया। उस दौरान प्रदेश में हुए कई बड़े कामों का श्रेय अखिलेश यादव को दिया जाता है।

चाचा शिवपाल से जंग,फिर बने सपा के मुखिया

हालांकि अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में अखिलेश यादव को अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के विरोध का सामना भी करना पड़ा। समाजवादी पार्टी पर कब्जे की जंग में अखिलेश यादव और शिवपाल आमने-सामने आ गए। दोनों दिग्गजों के बीच काफी लंबी सियासी लड़ाई चली मगर आखिरकार अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी पर कब्जे के इस जंग में कामयाब हुए।

जनवरी 2017 में उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभाली। हालांकि यादव कुनबे में छिड़े इस संघर्ष का असर 2017 के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ा और भाजपा ने बड़ी जीत हासिल करते हुए सपा को बैकफुट पर ढकेल दिया। 2017 में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़ा था मगर पार्टी सिर्फ 47 सीटों पर जीत हासिल कर सकी जबकि कांग्रेस 7 सीटों पर ही सिमट गई।

2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ सपा का गठबंधन भी असर नहीं दिखा सका। चुनाव के दौरान अखिलेश यादव आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर चौथी बार सांसद बने मगर उनकी पार्टी को सिर्फ 5 सीटों पर जीत हासिल हो सकी जबकि बसपा ने 10 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा की बड़ी जीत के सामने यह गठबंधन फ्लॉप साबित हुआ।

2022 में हार के बाद अब 2024 पर निगाहें

उत्तर प्रदेश में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने रालोद के साथ गठबंधन करके भाजपा को घेरने की कोशिश की थी। हालांकि चुनाव में अखिलेश यादव और रालोद मुखिया जयंत चौधरी की जोड़ी कमाल नहीं दिखा सकी। सपा को 111 सीटों पर जीत हासिल हुई जबकि रालोद सिर्फ 8 सीटें जीतने में कामयाब हो सका। दूसरी ओर भाजपा ने 273 सीटों पर जीत हासिल करते हुए स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया और योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए।

अब अखिलेश यादव में 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन को कड़ी चुनौती पेश करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसके लिए उन्होंने अभी से सक्रियता बढ़ा दी है और विभिन्न चुनाव क्षेत्रों के लोगों के साथ बैठकर पार्टी की चुनावी रणनीति को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अब सबकी निगाहें 2024 के लोकसभा चुनाव पर लगी हुई हैं कि इस बार सपा मुखिया अखिलेश यादव क्या कमाल दिखाते हैं।

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