राहुल गांधी की यात्रा से दूरी मगर केसीआर के साथ यारी, आखिर क्या है अखिलेश यादव की तैयारी

अखिलेश यादव ने यूपी में भारत जोड़ो यात्रा में दूरी बना ली थी जबकि तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की ओर से खम्मस में आयोजित रैली में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गए हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2023-01-13 11:34 GMT

Akhilesh Yadav Politics। (Social Media)

 Akhilesh Yadav Politics: देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की जंग के लिए सभी सियासी दलों की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। लोकसभा चुनाव की सबसे बड़ी जंग उत्तर प्रदेश में लड़ी जाएगी क्योंकि लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें उत्तर प्रदेश में ही हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत हासिल करने वाली भाजपा ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं तो दूसरी ओर सपा मुखिया अखिलेश यादव भी पीछे नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव से ही अखिलेश यादव छोटे दलों के साथ मिलकर अपनी चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

अखिलेश की चुनावी रणनीति पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। पिछले दिनों अखिलेश यादव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अगुवाई में निकली भारत जोड़ो यात्रा से उत्तर प्रदेश में दूरी बना ली थी जबकि वे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की ओर से 18 जनवरी को खम्मस में आयोजित रैली में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गए हैं। ऐसे में राहुल गांधी से दूरी और केसीआर से यारी की अखिलेश की रणनीति को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इसे अखिलेश यादव की गैर कांग्रेस वाद की बड़ी रणनीति का संकेत माना जा रहा है।

रैली में विपक्ष के कई बड़े नेताओं को न्योता

तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस के मुखिया केसीआर की ओर से 18 जनवरी को खम्मस में बड़ी रैली का आयोजन किया गया है। केसीआर की पूरी पार्टी रैली की तैयारियों में जुटी हुई है और इस रैली में करीब दो लाख लोगों की भीड़ जुटने का अनुमान लगाया गया है। केसीआर ने पिछले साल अपनी पार्टी टीआरएस का नाम बदलकर बीआरएस कर दिया था और उनके इस कदम को राष्ट्रीय राजनीति में उनके सक्रिय होने का संकेत माना गया था। पार्टी का नाम बदले जाने के बाद केसीआर की ओर से पहली बार शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है।

इस रैली में केसीआर ने विपक्ष के कई बड़े नेताओं को भी आमंत्रित किया है। इन नेताओं में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा मुखिया अखिलेश यादव, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप मुखिया अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन शामिल हैं। जानकारों के मुताबिक अखिलेश यादव ने केसीआर की इस रैली में शामिल होने के लिए मंजूरी दे दी है। इस रैली के जरिए केसीआर विपक्षी एकजुटता का बड़ा संदेश देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

केसीआर से अखिलेश की यारी का क्या है संदेश

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा उत्तर प्रदेश में दाखिल होने के समय कांग्रेस की ओर से सपा मुखिया अखिलेश यादव को भी यात्रा में शामिल होने का आमंत्रण भेजा गया था। अखिलेश के साथ ही बसपा मुखिया मायावती और रालोद प्रमुख जयंत चौधरी को भी यात्रा में आमंत्रित किया गया था मगर इन तीनों नेताओं ने यात्रा से कन्नी काट ली। अखिलेश यादव ने यात्रा के लिए शुभकामनाएं तो दीं मगर सपा की विचारधारा को कांग्रेस से अलग बताया। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का संगठन काफी कमजोर पड़ चुका है और ऐसे में अखिलेश यादव और कांग्रेस से दूरी बनाकर चलने में ही अपने भलाई समझ रहे हैं।

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का उनका अनुभव भी काफी कटु रहा है। ऐसे में अखिलेश के कदम से साफ है कि वे कांग्रेस को अलग रखकर विपक्ष की एकजुटता का संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। अखिलेश यादव के कदम से साफ है कि वे एक गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी मोर्चा बनाए जाने के इच्छुक हैं। अखिलेश को कांग्रेस की अपेक्षा क्षेत्रीय दलों की ताकत पर ज्यादा भरोसा दिख रहा है।

विपक्षी एकजुटता की नई रणनीति

केसीआर की इस रैली में कांग्रेस को आमंत्रित नहीं किया गया है। इसके साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी केसीआर ने रैली का आमंत्रण नहीं दिया है। केसीआर ने पिछले साल अपनी पटना यात्रा के दौरान नीतीश कुमार और राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की थी मगर इस रैली में उन्होंने नीतीश को बुलाने से परहेज किया है। केसीआर की इस रणनीति से साफ हो गया है कि वे विपक्ष की राजनीति की अलग खिचड़ी पकाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। पार्टी का नाम बदले जाने के बाद उन्होंने दिल्ली में भी अपनी पार्टी का दफ्तर खोल दिया है।

केसीआर को इस साल राज्य में विधानसभा चुनाव भी लड़ना है। ऐसे में वे कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रहे हैं। उनके कदम से साफ है कि राष्ट्रीय राजनीति में भी उन्हें राहुल गांधी का नाम पीएम चेहरे के रूप में मंजूर नहीं होगा। ऐसे में पीएम चेहरे को लेकर विपक्ष की गुत्थी और उलझती दिख रही है। अब सबकी निगाहें केसीआर की इस बहुप्रतीक्षित रैली पर टिकी हुई हैं।

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